सुप्रीम कोर्ट से पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को 3 महीने के भीतर सरकारी कर्मचारियों को 25% डीए देने का आदेश दिया है। यह सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश है और अब इस मामले पर अगस्त में सुनवाई होगी। 


सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने यह अंतरिम आदेश दिया है। इस साल इस मामले पर 18 बार सुनवाई टालने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश जारी किया है। 

 

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क्या है मामला?

यह सारा विवाद तब खड़ा हुआ जब पश्चिम बंगाल सरकार के कुछ कर्मचारियों ने ज्यादा डीए की मांग को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।


राज्य सरकार के कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में यह दलील रखी कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को ज्यादा डीए मिलता है, जबकि उनकी तुलना में राज्य के कर्मचारियों को बहुत कम डीए मिलता है।

हाईकोर्ट ने क्या कहा था?

राज्य सरकार के कर्मचारियों की याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने मई 2022 में फैसला दिया था। हाईकोर्ट ने ममता सरकार को आदेश दिया था कि वह राज्य सरकार के कर्मचारियों को भी केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर डीए दे। ममता सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

 

 

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ममता सरकार कितना डीए देती है?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसी साल बजट में राज्य सरकार के कर्मचारियों का डीएम 4 फीसदी बढ़ाने का ऐलान किया था। इसके बाद 1 अप्रैल 2025 से राज्य सरकार के कर्मचारियों को 18 फीसदी डीए मिल रहा है। हालांकि, यह अभ भी केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाले डीए की तुलना में 37 फीसदी कम है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 55 फीसदी डीए मिलता है।

अब सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में ममता सरकार को कर्मचारियों को 25 फीसदी डीए देने को कहा है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को 3 महीने का समय दिया है। यानी, ममता सरकार को 3 महीने के भीतर करीब 10 लाख कर्मचारियों को 25 फीसदी डीए देना होगा।