बीए, एमए और हायर एजुकेशन में पढ़ाई के स्तर को सुधारने के लिए केंद्र सरकार एक अहम कदम उठाने जा रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अकादमिक बदलावों को लेकर 2025 का एक शिक्षा मसौदा (Draft) तैयार किया है। इस ड्राफ्ट को UGC रेगुलेशन 2025 का नाम दिया गया है।
UGC अब उच्च शिक्षा में शिक्षकों, वाइस चांसलर (VC) और कर्मचारियों की नियुक्ति में कॉलेज और विश्वविद्यालयों की नियुक्ति से जुड़े कुछ मानकों में बदलाव करने का फैसला किया है।
नए बदलावों के जरिए विश्वविद्यालयों में वीसी, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर से जुड़ी नियुक्तियों में बदलाव किया जाएगा। कॉलेज के संदर्भ में प्रवक्ता और सहायक प्रवक्ता की नियुक्तियों से जुड़े कुछ बदलाव किए जाएंगे।
UGC के फैसले से क्या बदलेगा?
राज्यों के गर्वनर अगर चाहें तो वाइस चांसलर के पद पर शिक्षा जगत से अलग उन लोगों की भी नियुक्ति कर सकते हैं, जिनका एकेडमिक बैकग्राउंड नहीं है। पब्लिक सेक्टर के दिग्गजों को भी वीसी बनाया जा सकता है। अगर यह मसौदा लागू होता है तो कुलपति (चांसलर) के पास वाइस चांसलर के नियुक्ति के अधिकार बढ़ जाएंगे। 
नए बदलावों के बाद यह जरूरी नहीं रहेगा कि आप जिस विषय से ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट हैं, उसी में NET या Ph.D क्वालिफाई करें। अब आपके पास दूसरे विषयों में भी NET-Ph.d करने का विकल्प होगा, अगर आप चयनित होते हैं तो उस विषय के प्रोफेसर-प्रवक्ता बनने का विकल्प आपके पास होगा। 
पहले ऐसी अनिवार्यता थी कि जिस विषय में आपने पढ़ाई की है, उसी विषय के आप प्रवक्ता या प्रोफेसर बन सकते हैं। यह ड्राफ्ट दिसंबर 2024 को ही पारित हो गया था, अब देशभर के लोग इस पर अपना फीडबैक दे सकेंगे। 
UGC के चेयरमैन जगदीश कुमार ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा है, 'ड्राफ्ट का मकसद कर्मचारियों-प्रवक्ताओं की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव करना है। इसका मकसद विविधतापूर्ण शिक्षा है। अब किसी पद के लिए आवेदन करने वाले लोगों के पास उन विषयों का भी प्रवक्ता बनने का विकल्प होगा, जिन विषयों में उनकी UGC-NET है। अगर उनकी डिग्री अलग-अलग विषयों में है तो भी नेशनल एजुकेशन प्लान के तहत शिक्षक बन सकते हैं। अभी तक विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में एक ही विषय में पढ़ाई अनिवार्य थी, NEP 2020 में अब तक पीजी के दौरान छात्र कई विषय पढ़ सकते हैं, जिससे उनका विकास होगा। इसके जरिए स्थानीय भाषा को भी बढ़ावा मिलेगा।'
जगदीश कुमार ने कहा है, 'योग, कला और खेल-कूद के क्षेत्र में प्रोफेशनल लोग आएंगे, अलग-अलग क्षेत्रों से आए लोग अकादमिक संस्कृति को बेहतर करेंगे। नए बदलाव केंद्र, राज्य और प्राइवेट विश्वविद्यालयों में लागू होंगे।' 
अगर ग्रेजुएशन-पोस्ट ग्रेज्रुएशन स्टूडेंट किसी क्षेत्र में पढ़ाई करते हैं तो वे सीधे सहायक प्रोफेसर के लिए आवेदन कर सकते हैं। शर्त यह है कि उनके पास राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार हो।  
भर्ती और प्रमोशन की प्रक्रिया क्या होगी?
नए बदलावों का मकसद प्रमोशन और अपॉइंटमेंट को बेहतर और योग्यता आधारित बनाना है। असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसरों को नेशनल एडवरटाइजमेंट के जरिए नियुक्त किया जाएगा। इसे समिति चुनेगी। पीएचडी या नेट/सेट और ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर अलग-अलग क्षेत्रों में डिग्री वाले उम्मीदवार भी आवेदन कर सकेंगे।   
 
भाषा के लिए क्यों अहम हैं ये सुधार?
भाषा के स्तर पर भी ये सुधार बेहद अहम साबित हो सकते हैं। ड्राफ्ट में क्षेत्रीय भाषाओं में रिसर्च और स्टडी पब्लिश करने की बात कही गई है।  
योग्यता में क्या बदलाव किए गए हैं?
सहायक प्रोफेसर- पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री, कम से कम 55 फीसदी मार्क, Ph.D, NET/SET क्वालिफिकेशन अनिवार्य है।
एसोसिएट प्रोफेसर- पीएचडी, 8 साल का शिक्षण में अनुभव, रिसर्च का अनुभव और विषयों के शोध में दक्षता।
प्रोफेसर- कम से कम 10 साल का अनुभव। 3 साल एसोसिएट प्रोफेसर, अकादमिक उपलब्धियां और डॉक्टोरल सुपरविजन हो।
क्यों ये बदलाव किए जा रहे हैं?
कुछ पदों के लिए Ph.D क्वालिफिकेशन अनिवार्य है। दुनिया की शिक्षा नीतियों के सापेक्ष भारत में भी शैक्षणिक बदलाव की जरूरत थी। 
एक नजर में ऐसे समझिए क्या बदलाव होने वाले हैं-  
UGC रेगुलेशन 2025 है क्या?
केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने UGC रेगुलेशन 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है। इसका मकसद विश्वविद्यालयों में शिक्षकों-कर्मचारियों की नियुक्ति, प्रमोशन, न्यूनतम योग्या और शिक्षा मानकों में बदलाव करना है।
बदलेगा क्या?
जिस विषय से आप NET-Phd हैं, उसके लेक्चरर बन सकते हैं।
ग्रेजुएशन-मास्टर्स से अलग विषय में NET क्वालिफाई कर सकेंगे। 
शिक्षक बनने के लिए एक विषय में पढ़ाई की बाध्यता खत्म होगी। 
जिन विषयों पर आपकी पकड़ है, उसके आप प्रवक्ता, बिना उस विषय की डिग्री के बन सकेंगे।
प्रमोशन में मूल्यांकन की प्रक्रिया बदलेगी।
 
जरूरी क्यों थे बदलाव?
असिस्टेंट, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की नियुक्तियां राष्ट्रीय स्तर पर निकलेंगी।
समिति उम्मीदवारों के चयन पर विचार करेगी।
Ph.D और NET/SET अभ्यर्थियों के विषय चुनने के विकल्प बढ़ेंगे। 
भारतीय भाषाओं का विकास होगा। 
किनके लिए अवसर बढ़ा?
फाइन आर्ट्स, योग और ड्रामा के शिक्षक
शर्तें क्या हैं?
राष्ट्रीय स्तर का कोई पुरस्कार 
मकसद क्या है?
शिक्षा में सुधार
शोध को बढ़ावा देना
छात्रों के पास ज्यादा विषय पढ़ने का विकल्प होगा। 
