UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 में देव प्रभाकर तोमर ने ऑल इंडिया रैंक 629 हासिल किया है। मध्य प्रदेश के रहने वाले देव के दादा, रामगोविंद सिंह तोमर, चंबल के कुख्यात डकैत थे, जिसके कारण देव को सामाजिक तानों से गुजरना पड़ा। देव को लोग अक्सर कहते थे कि वह कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे लेकिन अपनी कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और परिवार के समर्थन से उन्होंने सभी को गलत साबित कर दिया और अपना IAS बनने का सपना पूरा किया। 

 

देव के दादा, रामगोविंद सिंह तोमर, चंबल घाटी में डकैत थे, जिसके कारण परिवार को सामाजिक बहिष्कार और तानों का सामना करना पड़ा। उनके पिता, बलवीर सिंह तोमर ने पढ़ाई का रास्ता चुना और संस्कृत में पीएचडी की। वह एक स्कूल प्रिंसिपल बने। देव बताते है कि 'लोग कहते थे कि मेरे दादा चंबल के डकैत थे, तुमसे कुछ नहीं होगा लेकिन आज मैंने अपने कड़ी मेहनत से UPSC पास कर लिया और मुझे गर्व है।'

 

यह भी पढ़ें: पहलगाम: क्या BSF ने किसानों को खेत खाली करने का आदेश दिया? सच जानिए

 

IIT ग्रेजुएट हैं देव

बता दें कि देव एक IIT ग्रेजुएट हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत से नीदरलैंड में फिलिप्स कंपनी में साइंटिस्ट की नौकरी कर रहे थे। उनकी सालाना सैलरी 88 लाख रुपये थी। इतनी अच्छी नौकरी होने के बावजूद देव ने 2019 में UPSC की तैयारी शुरू की और डेढ़ साल बाद नौकरी छोड़कर पूरी तरह से इस परीक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। देव ने 2019 से सेल्फ स्टडी और ऑनलाइन पढ़ाई की मदद से सिलेबस पूरा किया। उनकी यात्रा आसान नहीं थी। उन्होंने तीन बार मेन्स एग्जाम पास की लेकिन इंटरव्यू में असफल रहे। इसके बाद भी वह टूटे नहीं बल्कि और मेहनत की। अपने छठे और अंतिम प्रयास में उन्होंने 2024 में AIR 629 रैंक हासिल कर UPSC में सफलता हासिल की। 

 

यह भी पढ़ें: चिलमिलाती धूप करेगी परेशान, दिल्ली-NCR समेत कई राज्यों में लू का अलर्ट

देव की UPSC जर्नी

देव के परिवार ने उनकी इस जर्नी में बहुत साथ दिया। पहले दो साल उन्होंने अपनी सेविंग से पढ़ाई की और बाद में जब पैसे खत्म हुए तो उनके परिवार और पत्नी ने आर्थिक मदद की। उनकी पत्नी ने नौकरी शुरू की और पिछले 2 वर्षों तक उनका साथ दिया। देव का एक बच्चा है और UPSC पास करने के अलावा उनके पास कोई बैकअप प्लान नहीं था। उनका पूरा ध्यान UPSC पर था और उन्होंने इसे अपनी मंजिल बनाया। देव अपनी सफलता का क्रेडिट अपने माता-पिता, पत्नी और परिवार को देते हैं जिन्होंने उनकी मेहनत और बलिदान में साथ दिया। उन्होंने कहा कि लगातार मेहनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया।