उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मंगलवार को आई आपदा के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन का गुरुवार को तीसरा दिन है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को बताया था कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान अब तक 274 लोगों को बचा लिया गया है। हालांकि, अब भी 50 से 60 लोग लापता बताए जा रहे हैं। बुधवार को रेस्क्यू टीम ने 2 लाशें बरामद की थीं। इस बीच एक्सपर्ट्स ने 'बादल फटने' वाली थ्योरी पर सवाल उठाए हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि उत्तरकाशी में मंगलवार को इतनी बारिश भी नहीं हुई थी, जिससे माना जाए कि बादल फटने के कारण ही यहां अचानक बाढ़ आई थी।
दरअअसल, मंगलवार को उत्तरकाशी जिले में अचानक बाढ़ आ गई थी। कहा जा रहा था कि धराली गांव के पास खीर गंगा नदी के कैचमेंट एरिया में बादल फटने की वजह से ऐसा हुआ। पानी का बहाव इतना तेज था कि रास्ते में आने वाली गाड़ियां, घर, दुकानें, होटल और होमस्टे तक इसमें बह गए थे। इस घटना में 4 लोगों के मारे जाने की आशंका है। अब तक 2 लाशें मिल चुकी हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि इसमें मारे गए लोगों की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है।
इस बीच मौसम विभाग (IMD) से जुड़े वैज्ञानिक रोहित थपलियाल ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा कि हमारे पास जो डेटा है, उससे यह पता नहीं चलता कि यहां बादल ही फटा था। उन्होंने बताया कि मंगलवार को उत्तरकाशी में सिर्फ 22 मिलीमीटर बारिश ही हुई थी, जो सामान्य थी।
इससे पहले बुधवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धराली गांव पहुंचकर हालात का जायजा लिया और प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी घायलों को तुरंत मेडिकल सहायता दी जाए और जरूरत पड़ने पर एयर एंबुलेंस का भी इस्तेमाल किया जाए। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बुधवार को उत्तराखंड के पांचों सांसदों से मुलाकात की थी और स्थिति की जानकारी ली थी।
कैसा चल रहा है कि रेस्क्यू ऑपरेशन?
रेस्क्यू ऑपरेशन में भारतीय सेना के साथ-साथ NDRF, SDRF, ITBP और BRO के जवान जुटे हुए हैं। गृह सचिव शैलेष बगौली ने बताया कि ITBP, BRO और SDRF के 100 से ज्यादा जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हैं और अभी बहुत से जवान भी पहुंच रहे हैं।
NDRF की दो और टीमें धराली पहुंच रही हैं लेकिन लगातार हो रही लैंडस्लाइड के कारण ऋषिकेश-उत्तरकाशी हाइवे ब्लॉक होने के कारण पहुंच नहीं पा रहीं हैं। NDRF के DIG मोहसेन शाहेदी ने बुधवार को बताया था कि NDRF की दो टीमों को देहरादून से एयरलिफ्ट कर भेजा जाना है लेकिन खराब मौसम के कारण उड़ान भरने में दिक्कत आ रही है।
मंगलवार को जब पानी का तेज बहाव आया तो वह अपने साथ मलबा भी लेकर आया था। यह मलबा धराली में जमा हुआ है। आर्मी, ITBP और SDRF के जवान लगातार बारिश और टूटी सड़कों के बीच मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटे हैं। अधिकारियों ने बताया कि आर्मी की आईबैक्स ब्रिगेड मलबे में दबे लोगों की तलाश के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और खोजी कुत्तों की मदद लेने की तैयारी कर रही है।
उत्तरकाशी के डिस्ट्रिक्ट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर के एक अधिकारी ने बताय कि गंगोत्री नेशनल हाइवे कई जगहों पर बंद हो गया है और 200 से ज्यादा बचावकर्मियों की एक टीम भटवारी में रास्ता खुलने का इंतजार कर रही है। उन्होंने बताया कि गंगोत्री हाइवे पर गंगनानी में लिमच्छा नदी पर बना एक पुल फ्लैश फ्लड में बह गया, जिससे रेस्क्यू टीम धराली जाने वाले रास्ते में फंस गई है।
भारतीय सेना भी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी है। सेना ने अपने Mi-17 और चिनूक हेलीकॉप्टरों को स्टैंडबाय पर रखा है और मौसम साफ होने के बाद ही ये हेलीकॉप्टर उड़ान भरेंगे। लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि हमारे कई जवान भी लापता हैं, इसके बावजूद हमारी टीम पूरी हिम्मत के साथ काम कर रही है।
यह भी पढ़ें-- 'सबकुछ खत्म'; उत्तरकाशी में आई तबाही के खौफनाक मंजर की दास्तान
अब तक 274 लोगों को बचाया गया
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को बताया था कि 190 लोगों को बचा लिया गया है। वे सभी सुरक्षित हैं और सुरक्षित स्थानों पर हैं। उन्होंने आगे कहा, 'घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जबकि कुछ घायलों को मिलिट्री कैंप और हायर सेंटर में भेजा गया है।' हालांकि, गुरुवार को उत्तराखंड सरकार ने नया अपडेट देते हुए बताया कि अब तक 274 लोगों को बचाा लिया गया है। सरकार ने बताया कि गंगोत्री और आसपास के इलाकों से 274 लोगों को हर्षिल लाया जा चुका है। इनमें 131 गुजरात, 123 महाराष्ट्र, 21 मध्य प्रदेश, 12 उत्तर प्रदेश, 6 राजस्थान, 7 दिल्ली, 5-5 असम और कर्नाटक, 3 तेलंगाना और 1 पंजाब का है। सरकार का कहना है कि सभी लोग सुरक्षित हैं और अब इन्हें देहरादून ले जाया जाएगा।
मंगलवार को आई अचानक बाढ़ में 4 लोगों के मारे जाने की आशंका है। डिजास्टर मैनेजमेंट के सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि बुधवार को दो शव बरामद किए गए हैं। एक शव की पहचान आकाश पंवार के रूप में हुई है। दूसरे शव की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। हालांकि, अब तक तीन लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है।
माना जा रहा है कि 60 लोग अब भी लापता हैं। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि यह संख्या और ज्यादा हो सकती है, क्योंकि मंगलवार को जब यह त्रासदी आई, तब बहुत से लोग धराली गांव में 'हर दूध मेले' के लिए इकट्ठा हुए थे।
इस त्रासदी में मरने वालों की संख्या भी बढ़ने की आशंका है। क्योंकि मंगलवार को आई बाढ़ ने कई घरों, होटलों और होमस्टे को अपनी चपेट में ले लिया था। मलबा अब भी जमा हुआ है और इसके नीचे कई लोगों के फंसे होने की आशंका है।
सीएम धामी ने बताया कि कई फीट ऊंचा मलबा जमा हो गया है और इसे हटाना बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि सड़क संपर्क पूरी तरह से टूट गया है और पहाड़ों पर सड़कें बनाना कोई आसान काम नहीं है। हमारी कोशिश है कि हम इसे जल्द से जल्द ठीक कर लें।
हुआ क्या था मंगलवार को?
मंगलवार को उत्तरकाशी जिले में अचानक बाढ़ आ गई थी। सबसे ज्यादा तबाही धराली गांव में हुई है। अचानक आई बाढ़ में होटल, घर, दुकानें, पेड़ और सड़कें बह गईं। हर तरफ मलबा जमा हो गया है।
अधिकारियों ने बताया कि कम से कम आधा गांव कीचड़, मलबे और पानी के तेज बहाव में दब गया। पानी का बहाव इतना तेज था कि तीन-चार मंजिला इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं। कई वीडियो में लोगों को 'सबकुछ खत्म हो गया' कहते हुए सुना जा सकता है।
सोशल मीडिया पर वायरल कई वीडियो में 5 से 10 मीटर ऊंची लहरें अपने साथ मलबा लेकर आती दिखाई दे रही हैं। पानी के तेज बहाव के साथ आया यह मलबा घरों, होटलों और दूसरी इमारतों से टकराया और उन्हें ढहा दिया। बाढ़ के कारण कई घर और होटल पूरी तरह से मलबे में डूब गए। कुछ ऊंचे होटलों की केवल लाल और हरे रंग की छतें ही दिखाई दे रहीं हैं।
धराली गांव के सामने मुखबा गांव के रहने वाले 60 साल के सुभाष चंद्र सेमवा ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया था कि उन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसा भयानकर मंजर कभी नहीं देखा। उन्होंने बताया कि दोपहर में तेज गति से पानी और पत्थरों के बहने की आवाज सुनाई दी, जिसके बाद उनका परिवार बाहर आ गया।
यह भी पढ़ें-- उत्तराखंड में बादल फटने से बह गया पूरा गांव; 4 की मौत, दर्जनों लापता
बादल फटने की थ्योरी पर उठे सवाल
अब तक माना जा रहा था कि उत्तरकाशी में आई इस त्रासदी की वजह बादल फटना है। हालांकि, एक्सपर्ट्स ने इस थ्योरी को खारिज कर दिया है।
मौसम विभाग के मुताबिक, जब 20-30 वर्ग किलोमीटर इलाके में तेज हवाओं और बिजली कड़कने के साथ हर घंटे 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश होती है, तो उसे बादल फटना कहा जाता है।
मौसम विभाग के वैज्ञानिक रोहित थापलियाल ने PTI बताया कि मंगलवार को उत्तरकाशी में सिर्फ 27 मिलीमीटर बारिश हुई है, इसलिए इसे बादल फटना नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा, 'मौसम विभाग के पास जो डेटा है, उससे इस बात की पुष्टि होती है कि बादल फटने जैसी कोई घटना नहीं हुई थी।'
यह पूछे जाने पर अगर बादल नहीं फटा था तो फ्लैश फ्लड का कारण क्या हो सकता है? इस पर उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है कि अचानक आई बाढ़ के पीछे क्या कारण थे।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के पूर्व वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने PTI से कहा कि इतनी ऊंचाई पर बादल फटने की संभावना बहुत कम है। उन्होंने कहा, 'जिन ऊंचाइयों से कीचड़ ढलानों से नीचे की ओर से तेजी से आया, वे अल्पाइन क्षेत्र में आते हैं, जहां बादल फटने की संभावना बहुत कम होती है।'
उन्होंने कहा, 'हो सकता है कि बर्फ का कोई बड़ा टुकड़ा गिरा हो, कोई चट्टान गिरी हो या लैंडस्लाइड की कोई बड़ी घटना हुई हो, जिसने नदी के रास्ते में जमा मिट्टी और पत्थरों को बहा दिया और अचानक बाढ़ आ गई।' उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी आपदा का सटीक कारण सैटेलाइट तस्वीरों के साइंटिफिक एनालिसिस के बाद ही पता लगाया जा सकता है। इसके लिए ISRO से सैटेलाइट तस्वीरें मांगी गई हैं।
हाल ही में एक रिसर्च में सामने आया था कि उत्तराखंड में भारी बारिश की घटनाएं बढ़ीं हैं। 1998 से 20009 तक मौसम गर्म था और बारिश कम होती थी लेकिन 2010 के बाद भारी बारिश की घटनाएं बढ़ीं हैं।
हिमालय का मौसम भी भारी बारिश का कारण बनता है, क्योंकि नम हवा ऊपर उठती है और तेज बारिश होती है। इससे भूस्खलन और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
नवंबर 2023 में आई एक स्टडी में बताया गया था कि 2020 से 2023 के बीच उत्तराखंड में मानसून में 183 आपदाएं हुई थीं। इनमें 34.4% लैंडस्लाइड, 26.5% फ्लैश फ्लड और 14% बादल फटने की घटनाएं थीं।