बैंकिंग, बीमा जैसे क्षेत्रों में देश की जानी मानी कंपनी वक्रांगी के संस्थापक, प्रमोटर और चेयरमैन एमेरिटस दिनेश नंदवाना का शुक्रवार को 62 साल की उम्र में निधन हो गया। यह घटना उस समय हुई जब ED (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम उनके अंधेरी के घर पर तलाशी अभियान चला रही थी।
पुलिस ने बताया कि ED के जालंधर यूनिट के अधिकारियों ने सुबह करीब 11:30 बजे तलाशी शुरू की थी, तभी नंदवाना की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। एमआईडीसी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक रविंद्र चव्हाण ने बताया कि शुरुआती जांच में यह ऐसा लगता है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, लेकिन मौत का सही वजह जानने के लिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। पुलिस ने यह भी बताया कि नंदवाना के परिवार ने किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज नहीं कराई है।
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कौन थे दिनेश नंदवाना?
दिनेश नंदवाना राजस्थान के कोटा जिले के कैथून कस्बे से ताल्लुक रखते थे। उनका जन्म एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके पिता, बिरधीलाल नंदवाना, पेशे से वकील थे, जबकि उनके ताऊ ब्रजवल्लभ नंदवाना राजनीति में सक्रिय थे और वे विधायक के पद पर भी रह चुके थे।1984 में वे चार्टर्ड अकाउंटेंसी (CA) की पढ़ाई के लिए मुंबई चले गए, जहां उन्होंने अपने करियर की नींव रखी।
1990 में दिनेश नंदवाना ने मुंबई में वक्रांगी सॉफ्टवेयर कंपनी की शुरुआत की। कुछ ही सालों में वक्रांगी की वर्किंग कैपिटल 50,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गई, जो एक बड़ी उपलब्धि थी। दो साल के अंदर, 1992 में वक्रांगी सॉफ्टवेयर देश की दूसरी सबसे बड़ी आधार कार्ड बनाने वाली कंपनी बन गई। कंपनी के काउंटरों पर 20 करोड़ से ज्यादा आधार कार्ड बनाए गए थे, जिससे उसकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गई।
वक्रांगी ने मुंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में भी अपनी जगह बनाई। और 2017 में फोर्ब्स में बताया गया कि उनकी कुल संपत्ति 1.72 बिलियन डॉलर यानी लगभग 1,49,10,91,22,000 रुपए थी। वक्रांगी बैंकिंग, बीमा, ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स, और ई-गवर्नेंस जैसी सेवाएं देती है।