भारी हंगामे और लगभग 12 घंटे की बहस के बाद वक्फ (संशोधन) बिल लोकसभा से पास हो ही गया। सुबह 12 बजे से शुरू हुई बिल पर बहस देर रात तक चलती रही। रात करीब 1 बजकर 56 मिनट पर वक्फ बिल पास हुआ। इस बिल के पक्ष में 288 वोट तो विरोध में 232 वोट पड़े। विपक्ष ने जो संशोधन सुझाए थे, उन्हें खारिज कर दिया गया।


बिल पर बहस के दौरान विपक्षी सांसदों ने इसे 'मुस्लिम विरोधी' और 'असंवैधानिक' बताया। इसके जवाब में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि 'अल्पसंख्यकों के लिए दुनिया में भारत से ज्यादा सुरक्षित जगह कोई नहीं है।' उन्होंने कहा, 'कुछ सदस्यों ने कहा है कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं। यह पूरी तरह से गलत बयान है। अल्पसख्यकों के लिए भारत से ज्यादा सुरक्षित कोई और जगह नहीं है। मैं भी अल्पसंख्यक हूं और हम सभी यहां बिना किसी डर और गर्व के साथ रह रहे हैं।'


बहस के दौरान लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा, 'आज इनकी नजरें एक खास समुदाय की जमीन पर है। कल इनकी नजरें बाकी अल्पसंख्यकों की जमीन पर होगी।' 

 


बिल पास होने के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने वक्फ बिल को 'हथियार' बताया। उन्होंने X पर लिखा, 'वक्फ बिल मुसलमानों को हाशिए पर धकेलने और उनके निजी कानूनों और संपत्ति के अधिकारों को हड़पने के मकसद से बनाया गया एक अधिकार है। संविधान पर RSS, बीजेपी और उनके सहयोगियों के इस हमले में आज मुस्लिम निशाने पर हैं लेकिन भविष्य में बाकी समुदायों को निशाना बनाने के लिए एक मिसाल कायम करता है।' उन्होंने लिखा कि कांग्रेस इस बिल का विरोध करती है।

 

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सरकार बनाम विपक्ष

  • विपक्षः वक्फ कानून में संशोधन असंवैधानिक है, क्योंकि यह धार्मिक मामलों में दखलंदाजी करता है।
  • सरकारः वक्फ कानून नया नहीं है। मौजूदा कानून में पहले भी संशोधन किया जा चुका है। यह केवल संपत्तियों से जुड़ा है। धारा 40 को हटाया गया है, जो वक्फ बोर्ड को यह तय करने का अधिकार देती थी कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं।

 

  • विपक्षः संशोधन में 'वक्फ बाय यूजर' के प्रावधान को क्यों हटा दिया गया? वक्फ की संपत्ति छीन ली जाएगी।
  • सरकारः  किसी की संपत्ति नहीं छीनी जाएगी। यह कानून पुरानी तारीख से लागू नहीं होगा। इसे नई तारीख से ही लागू किया जाएगा। सिर्फ विवादित संपत्तियां और सरकारी जमीनें ही प्रभावित होंगी।

 

  • विपक्षः सेंट्रल वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को क्यों नियुक्त किया जा रहा है?
  • सरकारः वक्फ बोर्ड कोई धार्मिक संस्था नहीं है। यह सिर्फ संपत्तियों का प्रबंधन करता है।

 

  • विपक्षः सरकार यह तय क्यों करना चाहती है कि वक्फ में दान देने वाला 'प्रैक्टिसिंग मुस्लिम' हो?
  • सरकारः यह संशोधन 2013 से पहले की स्थिति को बहाल करेगा। इसके तहत, सिर्फ वही मुस्लिम वक्फ के लिए संपत्ति दान कर सकेंगे, जो कम से कम 5 साल से इस्लाम को मान रहे होंगे।

 

  • विपक्षः वक्फ बोर्ड पर क्यों कंट्रोल करना चाहती है सरकार?
  • सरकारः राज्य सरकारों को वक्फ बोर्ड पर पूरा अधिकार होगा। केंद्र सरकार का बोर्ड में कोई कंट्रोल नहीं होगा। 

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लास्ट मोमेंट में हुआ अहम बदलाव?

वक्फ बिल को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष एकजुट दिखाई दिया। एनडीए सरकार में सहयोगी चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने बहस के दौरान एक बदलाव की मांग की। बहस के दौरान टीडीपी सांसद कृष्ण प्रसाद टेनेटी ने कहा कि केंद्र सरकार को कानून के नियम बनाते समय वक्फ बोर्ड का प्रशासनिक ढांचा तय करने के लिए राज्य सरकारों को छूट देने पर विचार करना चाहिए। बताया जा रहा है कि टीडीपी के इस बदलाव को मान लिया गया है। 

बिल के कानून बनने पर क्या होगा?

  • वक्फ बोर्ड का ढांचाः सेंट्रल वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में अब गैर-मुस्लिम और महिला सदस्य भी होंगी। काउंसिल और वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम और दो महिलाओं की नियुक्ति की जाएगी।
  • वक्फ बाय यूजर खत्मः प्रस्तावित बिल में 'वक्फ बाय यूजर' को खत्म कर दिया गया है। अब तक यह होता था कि अगर किसी संपत्ति पर सालों से मस्जिद या मदरसा बना है तो वह वक्फ की होगी। मगर अब ऐसी संपत्ति वक्फ की तभी मानी जाएगी, जब इसके वैध दस्तावेज होंगे।
  • वक्फ की संपत्तिः अब तक मस्जिद समेत इस्लामिक काम में इस्तेमाल होने वाली संपत्ति खुद-ब-खुद वक्फ की हो जाती थी। मगर अब जब तक संपत्ति दान नहीं की गई होगी, तब तक वह वक्फ की संपत्ति नहीं कहलाएगी। भले ही उस पर मस्जिद ही क्यों न बनी हो।
  • सर्वे का अधिकारः अभी वक्फ की संपत्ति का सर्वे करने का अधिकार सर्वे कमिश्नर या एडिशनल कमिश्नर के पास है। मगर प्रस्तावित बिल में सर्वे का अधिकार जिला कलेक्टर को मिल गया है। अब कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं, इसका फैसला वक्फ बोर्ड नहीं कर सकेगा।
  • अपील का अधिकारः मौजूदा कानून के मुताबिक, अगर वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति पर दावा करता है तो ट्रिब्यूनल में ही उसकी अपील की जा सकती थी। अब ट्रिब्यूनल के अलावा रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में भी अपील की जा सकती है। प्रस्तावित बिल में वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने का प्रावधान किया गया है।

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अब आगे क्या?

लोकसभा से पास होने के बाद अब इस बिल को गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में इस बिल को पास कराने में सरकार को खास दिक्कत नहीं होगी। राज्यसभा में इस बिल पर बहस के लिए 8 घंटे का समय तय किया गया है। हालांकि, जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाया जा सकता है।


राज्यसभा में अभी 236 सांसद हैं। राज्यसभा से इस बिल को पास कराने के लिए 118 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। एनडीए के पास 125 सांसद हैं। वहीं, विपक्षी दलों के पास 85 सांसद हैं।