मोदी कैबिनेट ने नए वक्फ बिल को मंजूरी दे दी है। अब इस बिल को बजट सत्र के दूसरे हिस्से में संसद में पेश किया जा सकता है। नया वक्फ बिल संसदीय समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें संसदीय समिति की सिफारिशों को शामिल किया गया है।
वक्फ बिल को पहली बार पिछले साल अगस्त में पेश किया गया था। बाद में विपक्ष के विरोध के चलते इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया था। बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल की अगुवाई वाली संसदीय समिति ने संशोधन के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को दी थी। 13 फरवरी को इस रिपोर्ट को सदन में पेश किया गया था।
संसदीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर नया वक्फ बिल तैयार किया गया है। हालांकि, विपक्ष का दावा है कि संसदीय समिति ने उनकी आपत्तियों को इसमें शामिल नहीं किया है।
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जल्द संसद में हो सकता है पेश
मोदी कैबिनेट से नए वक्फ बिल को मंजूरी मिलन के बाद अब इसके संसद में पेश होने का रास्ता साफ हो गया है। माना जा रहा है कि सरकार इसे बजट सत्र के दूसरे हिस्से में पेश किया जा सकता है। बजट सत्र का दूसरा हिस्सा 10 मार्च से 4 अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान इस बिल को पेश किए जाने की उम्मीद है।
29 जनवरी को JPC ने दी थी मंजूरी
संसदीय समिति ने 29 जनवरी को वक्फ बिल में नए बदलावों पर अपनी रिपोर्ट को 29 जनवरी को मंजूरी दी थी। रिपोर्ट के पक्ष में 15 और विरोध में 14 वोट पड़े थे। रिपोर्ट में उन बदलावों को शामिल किया गया है, जो बीजेपी सांसदों ने दिए थे।
विपक्षी सांसदों ने वक्फ बोर्डों को खत्म करने की कोशिश बताते हुए असहमति नोट जमा कराए थे। विपक्ष ने वक्फ बिल को लेकर कई आपत्तियां दर्ज कराई थीं। इसके अलावा 'वक्फ बाय यूजर' प्रावधान को हटाने के प्रस्ताव का विरोध भी किया था।
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नए बिल से क्या-क्या बदल जाएगा?
- अभी वक्फ की संपत्ति का सर्वे करने का अधिकार एडिशनल कमिश्नर के पास है। प्रस्तावित बिल में वक्फ संपत्ति को जिला कलेक्टर के पास रजिस्टर करवाना होगा। सर्वे का अधिकार भी कलेक्टर और डिप्टी कमिश्नर को दिया गया है।
- प्रस्तावित बिल में सबसे बड़ा बदलाव वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक ढांचे में किया गया है। अब तक बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिला सदस्य नहीं होते थे। नया बिल अगर कानून बनता है तो वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम और दो महिला सदस्य भी होंगी।
- अब तक किसी संपत्ति को वक्फ घोषित किए जाने पर कोई आपत्ति होती थी तो उसे वक्फ ट्रिब्यूनल में चुनौती दी जाती थी। ट्रिब्यूनल ही तय करता था कि संपत्ति वक्फ है या नहीं? मगर प्रस्तावित बिल के मुताबिक, आपत्ति होने पर कोर्ट भी जा सकेंगे। संपत्ति वक्फ है या नहीं, इसका फैसला राज्य सरकार की ओर से नामित अधिकारी करेंगे।
- प्रस्तावित बिल में सबसे बड़ा बदलाव 'वक्फ बाय यूजर' के प्रावधान को खत्म करने का किया गया है। इसका मतलब हुआ कि अगर किसी संपत्ति पर विवाद है या उस पर सरकार का मालिकाना हक है तो उसे वक्फ की संपत्ति नहीं माना जाएगा।
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क्या होता है वक्फ?
इस्लाम को मानने वाला कोई व्यक्ति जब अल्लाह या मजहब के नाम पर कोई संपत्ति देता है तो उसे वक्फ की संपत्ति कहा जाता है। एक बार जो संपत्ति वक्फ की हो गई, वो हमेशा के लिए वक्फ की ही रहती है।
वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है 'ठहरना'। वक्फ की संपत्ति को न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है। मुसलमान मानते हैं कि वक्फ की संपत्ति का मालिक सिर्फ अल्लाह ही होता है।
अब तक इस्लाम को मानने वाला व्यक्ति चल या अचल संपत्ति वक्फ कर सकता था। मगर नए बिल के मुताबिक, वक्फ के लिए संपत्ति दान करते वक्त बताना होगा कि वो 5 साल से इस्लाम को मान रहा है। संपत्ति दान करने वाले को 'वाकिफ' और इसका प्रबंधन करने वाले को 'मुतवल्ली' कहा जाता है।