वक्फ (Waqf) (संशोधन) विधेयक, 2025 के पारित होने के बाद, दिल्ली पुलिस ने संभावित विरोध प्रदर्शनों और कानून-व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए सुरक्षा कड़ी कर दी है। जामिया नगर, शाहीन बाग, सीलमपुर, जाफराबाद और जामा मस्जिद जैसे क्षेत्रों में पुलिस बल की तैनाती बढ़ाई गई है। महिला प्रदर्शनकारियों को संभालने के लिए संवेदनशील क्षेत्र में लगभग 100 महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। वहीं छत और गलियों की निगरानी के लिए ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए नाइट पेट्रोल और अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है। 

 

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दिल्ली, UP और बिहार में हाई अलर्ट

राजधानी दिल्ली ही नहीं उत्तर प्रदेश और बिहार में भी पुलिस का हाई अलर्ट है। इन राज्यों के विभिन्न जिलों में भी पुलिस सतर्क है और शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फ्लैग मार्च और ड्रोन निगरानी जैसे उपाय किए जा रहे हैं। ​इन सुरक्षा उपायों का उद्देश्य वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ संभावित विरोध प्रदर्शन को शांतिपूर्ण और नियंत्रित रखना है, ताकि किसी भी घटना से बचा जा सके। 

 

कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन

दिल्ली के शाहीन बाग और जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती के साथ-साथ ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। वहीं, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी पुलिस हाई अलर्ट पर है।

 

अमरोहा और संभल जैसे जिलों में फ्लैग मार्च निकाले गए जिसके बाद प्रशासन कड़ी नजर बनाए हुए है। कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में भी बड़े पैमानी पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। यहां विभिन्न समूहों ने विधेयक के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है। इस बीच बिहार में जनता दल (यूनाइटेड) के दो नेताओं मोहम्मद कासिम अंसारी और मोहम्मद नवाज मलिक ने पार्टी के विधेयक के समर्थन के विरोध में इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी का यह कदम मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है।

 

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'अदालत में देंगे चुनौती'

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विधेयक को भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक रूप से प्रेरित बताते हुए इसे अदालत में चुनौती देने और राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने की घोषण की है। बता दें कि वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार करना, पारदर्शिता लाना है। हालांकि, आलोचकों ने इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन बताया और दावा किया कि उनकी धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ जाएगा।