युद्ध जैसी स्थिति में बंकर न केवल सैनिकों बल्कि आम लोगों की सुरक्षा में बेहद अहम साबित होते हैं। अक्सर आपने देखा होगा कि इजरायल में हमले की सूरत में लोग सायरन बजते ही पास में स्थित बंकर में छिप जाते हैं। इनमें से कुछ बंकर परमाणु हमला तक झेलने में सक्षम होते हैं। बंकर भूमिगत होते हैं। बंकर प्राकृतिक आपदा, गोलीबारी, मिसाइल व ड्रोन हमले से लोगों की हिफाजत करते हैं। बंकर कैसे होते हैं, इनमें क्या व्यवस्था होती है और इनके बनाने में कितनी लागत आती है, आइए जानते हैं सबकुछ।

 

ज्यादातर बंकरों को सीमावर्ती क्षेत्रों में बनाया जाता है। पाकिस्तान से तनाव के बीच भारत में सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूद बंकरों को साफ किया जा रहा है। पहले और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी बंकरों ने लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। उस समय यूरोप में बड़ी तादाद में बंकरों का निर्माण किया गया था। 

 

क्यों अहम होते हैं बंकर?

6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा में अमेरिका ने परमाणु बम गिराया था। ग्राउंड जीरो से लगभग 170 मीटर की दूरी पर एक तहखाने में इजो नोमुरा मौजूद थे। बंकर की वजह से उनकी जान बच गई। बाद में 1982 में 84 साल की उम्र में नोमुरा ने आखिरी सांस ली थी। इससे ही आप बंकर की अहमियत का अंदाजा लगा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जमीन के ऊपर बने घरों की अपेक्षा बंकर अधिक सुरक्षित होते हैं। 

 

बंकर में क्या-क्या व्यवस्था होती है?

बंकर में खाना-पानी, बिस्तर, दवाई आदि की व्यवस्था होती है। हर बंकर में मिलने वाली व्यवस्था अलग-अलग हो सकती है। निजी बंकरों में  व्यवस्था अपने हिसाब से करनी पड़ती है।  

कितनी होती बंकर की लागत?

बंकर बनाने की कीमत भी उसके आकार और सुविधाओं पर निर्भर करता है। मामूली बंकर लगभग 1 लाख रुपये में बन सकता है। अगर आकार बड़ा हुआ तो इसकी लागत कई लाख रुपये तक जा सकती है। सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में अधिकांश समुदायिक बंकर का निर्माण करती है। इनकी लागत लाखों रुपये से लेकर करोड़ों रुपये तक होती है।


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क्या होता है बंकर?

बंकर एक तरह से जमीन के अंदर बना मजबूत कमरा या घर होता है। इसकी दीवारें मोटी कंक्रीट से बनाई जाती हैं। एक औसत अंडरग्राउंड बंकर लगभग 2.5 मीटर गहरा, 3.5 मीटर चौड़ा व 3.5 मीटर लंबा होता है। जरूरत के हिसाब से इसके अंदर शौचालय और वॉशरूम की भी व्यवस्था की जा सकती है।

 

बंकर बनाने में क्या ध्यान रखें

बंकर का निर्माण सुखी जगह पर किया जाना चाहिए। पानी का रिसाव नहीं होना चाहिए। दीवार कंक्रीट से और मोटी बनाई जानी चाहिए। कोई भी बंकर जमीन से लगभग 3 फुट नीचे होना चाहिए। इसमें इमरजेंसी निकास और प्रवेश द्वार का होना जरूरी है। 

 

निजी कंपनियां बेचती हैं बंकर

दुनियाभर में कई कंपनियां बंकरों का न केवल निर्माण करती हैं बल्कि बने बनाए बंकरों को भी बेचती हैं। इन बंकरों की कीमत लाखों से करोड़ों रुपये तक हो सकती है। कंपनियों का दावा है कि यह बंकर परमाणु, रासायनिक और जैविक हमले से बचाने में सक्षम हैं। आधुनिक तकनीक से लैस हैं। 

 

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पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर में हजारों की संख्या में बंकरों का निर्माण किया गया। इन बंकरों को मोदी बंकर कहा जाता है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक 2021 तक जम्मू में लगभग 8,000 बंकरों का निर्माण किया गया था। 

 

कैसे बनाए सस्ता देसी बंकर?

अपने घर के पीछे या सामने खाली पड़ी जगह पर देसी बंकर बना सकते हैं। बंकर उसी तर्ज पर बनते हैं, जैसे आजकल शहरों में लोग बेसमेंट का निर्माण कराते हैं। अंतर सिर्फ यह है कि बंकर पूरी तरह से जमीन के नीचे बना होना चाहिए। बंकर बनाते समय यह ध्यान रखें कि आसपास कोई गैस या पानी की पाइपलाइन न हो। बंकर का आकार अपनी जरूरत के हिसाब से तय करें। अगर बंकर में रसोई, शौचालय आदि की व्यवस्था करते हैं तो लागत बढ़ सकती है। रईस लोगों के पास आलीशान बंकर होते हैं। इनकी कीमत लगभग 30 लाख से 100 करोड़ रुपये तक होती है।

 

कैसे होते हैं मिलिट्री बंकर?

सैन्य बंकर अलग होते हैं। यह अधिक मजबूत होते हैं। इन बंकरों को ऐसे डिजाइन या बनाया जाता है कि टैंक, मोर्टार समेत किसी भी हमले को झेल सकते हैं। चीन सीमा पर भारतीय सेना 3-D प्रींटेड बंकर बना रही है। मिलिट्री बंकरों में खाना-पानी, बिजली, दवाइयों और कम्युनिकेश की व्यवस्था होगी। इसकी छत कंक्रीट से बेहद मजबूत बनाई जाती है, ताकि दुश्मन के हमलों से सैनिकों को बचाया जा सके। सेना अपना गोला-बारूद भी बंकरों में रखती है।