देश का राजधानी दिल्ली में स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब इन दिनों चर्चा में है। इस चर्चा की सबसे अहम वजह यह है कि इसके एक पद के लिए हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के ही दो नेता आमने-सामने आ गए। राजीव प्रताप रूडी बनाम संजीव बालियान हो गए इस चुनाव में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, UPA चेयरपर्सन सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे नेताओं ने भी वोट डाला। रोमांचक मुकाबले में राजीव प्रताप रूड़ी विजयी हुए हैं। अब आम जनता के मन में सवाल है कि यह कैसा क्लब है और यहां चुनाव क्यों होने लगा। एक और सवाल यह है कि इस क्लब में क्या होता है और वहां कौन-कौन जा सकता है। आइए सारे सवालों का जवाब जानते हैं।
सीधे शब्दों में कहें तो यह देश के सांसदों का क्लब है। लोकसभा और राज्यसभा के मौजूदा या पूर्व सांसद इसके सदस्य बन सकते हैं। मौजूदा और पूर्व सांसदों को मिलाकर मौजूदा वक्त में भी 1200 से ज्यादा लोग इसके सदस्य हैं। क्लब में दो रेस्तरां है जिसमें से एक में आम जनता भी जा सकती है।
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कॉन्स्टिट्यूशन क्लब को कौन चलाता है?
लोकसभा के अध्यक्ष इस क्लब के पदेन अध्यक्ष होते हैं, राज्यसभा के उपसभापति इसके महासचिव हैं और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री इसके उपाध्यक्ष होते हैं। CCI की 11 सदस्यीय कार्य समिति में प्रशासन, खेल और संस्कृति मामलों के तीन प्रभारी सचिव और कोषाध्यक्ष होते हैं। सीसीआई में दो रेस्टोरेंट हैं। इनमें आम जनता के लिए आर्टिकल 21 और क्लब के सदस्यों के लिए ‘द प्रीएम्बल’ रेस्टोरेंट है। इसके परिसर में एक कॉफी हाउस, स्वास्थ्य केंद्र, स्पा, यूनिसेक्स सैलोन, बिलियर्ड्स रूम, एक बैडमिंटन कोर्ट, आराम करने के लिए लाउंज और सम्मेलन सुविधाएं भी हैं।
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब का इतिहास
संसद भवन से बमुश्किल कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित, कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया (CCI) देशभर के सांसद दिनभर के कामकाज के बाद जिम में कसरत करते हैं या तरोताजा होने के लिए कुछ पल स्विमिंग पूल में बिताते हैं। इसका इतिहास स्वतंत्र भारत जितना ही पुराना है। इसकी स्थापना 1947 में संविधान सभा के उन सदस्यों के लिए एक स्थान के रूप में की गई थी, जिन्हें संविधान का मसौदा तैयार करने का काम सौंपा गया था। ये सदस्य उस समय कर्जन रोड कहे जाने वाले कॉन्स्टिट्यूशन हाउस में रहते थे।
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कस्तूरबा गांधी रोड पर स्थित मूल कॉन्स्टिट्यूशन हाउस में अब सिविल सेवा अधिकारी संस्थान है। आजादी के तुरंत बाद के दिनों में संविधान सभा के सदस्य कॉन्स्टिट्यूशन हाउस में ठहरते थे और बड़े डाइनिंग हॉल में अपने मेहमानों का स्वागत सत्कार करते थे। भोजन के बाद की चर्चाएं और गपशप परिसर के हरे-भरे लॉन में की जाती थीं। फिलहाल, जिस बिल्डिंग में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब है उसका उद्घाटन 1965 में तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था और यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक सोसायटी के रूप में रजिस्टर्ड भी है।
क्यों चर्चित है कॉन्स्टिट्यूशन क्लब?
पिछले कुछ साल में CCI राजनीतिक बैठकों, कला और शिल्प प्रदर्शनियों, समारोहों, सम्मेलनों और बैठकों के लिए एक लोकप्रिय स्थल के रूप में उभरा है। राजीव प्रताप रूडी ने क्लब मैनेजमेंट में अपना 25 साल पुराना दबदबा कायम रखते हुए सचिव (प्रशासन) के पद पर अपना कब्जा बरकरार रखा और मंगलवार को हुए चुनाव में साथी बीजेपी नेता संजीव बालियान को हरा दिया। चुनाव में बीजेपी के अमित शाह और कांग्रेस की सोनिया गांधी सहित कई प्रमुख सदस्यों ने वोटा डाला।
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इस वोटिंग से पहले बीजेपी के राज्यसभा सदस्य प्रदीप कुमार वर्मा ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी और कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला सचिव (खेल) के रूप में निर्वाचित हो गए थे। इसी तरह, पूर्व बीजेपी सांसद प्रदीप गांधी ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी और डीएमके के तिरुचि शिवा को सचिव (संस्कृति) के रूप में निर्वाचित किया गया। डीएमके सांसद पी विल्सन ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी और पूर्व बीआरएस सांसद ए पी जितेंद्र रेड्डी कोषाध्यक्ष चुन लिए गए थे। कार्यकारी समिति के 11 सदस्यों में नरेश अग्रवाल, प्रसून बनर्जी, प्रदीप गांधी, नवीन जिंदल, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, एन के प्रेमचंद्रन, प्रदीप कुमार वर्मा, जसबीर सिंह गिल, कलिकेश नारायण सिंह देव, श्रीरंग अप्पा बार्ने और अक्षय यादव को चुना गया है।