भारत में जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है, उसी तेज से साइबर क्राइम के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। डीपफेक, कॉल स्पैम, डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों में कई लोग लाखों-करोड़ों रुपए गवा चुके हैं। अब ये अपराधी पकड़ से बचने के लिए विदेशी देशों से काम कर रहे हैं और भारतीय मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि उनके कॉल असली लगें। इसी बीच अब Cyber Slavery की घटनाओं में भी तेजी देखी गई है। जो न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों तक फैला हुआ है।
क्या है Cyber Slavery?
Cyber Slavery धोखाधड़ी का वह तरीका जिसमें लोगों को धोखे से फंसाकर साइबर अपराध करवाए जाते हैं। इनमें अपराधी बड़ी संख्या में लोगों को दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में नौकरी के नाम पर बुलाते हैं। इन लोगों को डेटा एंट्री या कस्टमर सर्विस जैसी नौकरियों का लालच दिया जाता है। हालांकि, जब ये लोग वहां पहुंचते हैं, तो उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते हैं और जबरदस्ती साइबर धोखाधड़ी करवाने पर मजबूर किया जाता है।
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इस अपराध में शामिल लोग फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाते हैं, जिनमें वे महिलाओं की तस्वीरें लगाकर आम लोगों को फंसाते हैं। फिर उन्हें क्रिप्टोकरेंसी ऐप्स या फर्जी निवेश स्कीम में पैसा लगाने की जाल में फंसाया जाता है। जैसे ही कोई व्यक्ति पैसे निवेश करता है, सभी संपर्क तुरंत तोड़ दिए जाते हैं और ठगी का शिकार बना व्यक्ति अपना पैसा गंवा बैठता है।
भारत के लोग Cyber Slavery के शिकार कैसे हो रहे हैं?
हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जिसमें पता चला कि 5,000 से ज्यादा भारतीयों को जबरन कंबोडिया में रखा गया और साइबर धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया गया। भारत सरकार द्वारा लगाए गए अनुमान के मुताबिक, पिछले छह महीनों में 500 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई है।
इस घटना के बाद, भारतीय सरकार ने एक खास समिति गठित की है जो इस समस्या के कारणों की जांच कर रही है। इस जांच में बैंकिंग, इमिग्रेशन और टेलीकम्यूनिकेशन क्षेत्रों की कमजोरियों को उजागर किया गया है, जिनका फायदा उठाकर ये अपराधी अपने नेटवर्क को मजबूत कर रहे हैं।
विशाखापत्तनम से म्यांमार तक फैला मानव तस्करी गिरोह
ऐसी ही एक पड़ताल टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की एक जांच रिपोर्ट में भी सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से मानव तस्करी का एक बड़ा गिरोह संचालित हो रहा है, जो म्यांमार के म्यावाडी क्षेत्र में साइबर फ्रॉड से जुड़ा है।
विशाखापत्तनम के तीन युवकों को झूठे नौकरी के वादे देकर म्यांमार भेज दिया गया, जहां उन्हें जबरदस्ती साइबर अपराध करने के लिए मजबूर किया गया। अब ये युवक वहां फंसे हुए हैं और उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है।
कैसे किया जाता है शिकार?
इन युवकों को झांसा देने वाला व्यक्ति, जिसे ‘एडम’ कहा जा रहा है, ने उन्हें अच्छे सैलरी वाली नौकरी दिलाने का वादा किया था, जिसने वास्तव में इन्हें साइबर अपराधियों को 3,500 डॉलर (लगभग 3 लाख रुपये) में बेच दिया गया।
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इन युवकों ने अपने भयावह अनुभव के वीडियो, पैसों के लेन-देन और तस्वीरें साझा की हैं, जिनमें दिखाया गया है कि कैसे थाईलैंड से म्यांमार तक अवैध रूप से भेजा गया। जांच में यह भी सामने आया कि एडम पहले लाओस के एक साइबर धोखाधड़ी करने वाले सेंटर में काम करता था और अब उसने भारतीय युवाओं को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
सरकार और जनता के लिए चेतावनी
भारत में बढ़ती साइबर धोखाधड़ी और Cyber Slavery को देखते हुए सरकार ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। हालांकि, आम लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। किसी भी अनजान व्यक्ति से फोन पर अपनी निजी जानकारी साझा न करें और अविश्वसनीय नौकरी के ऑफर्स से बचें।
कोई आपको यदि विदेश में नौकरी का प्रस्ताव दे और वहां जाने का खर्च खुद उठाने की बात करे, तो सावधान हो जाएं। यह संभव है कि यह Cyber Slavery का एक जाल हो, जिसमें फंसकर वापस निकलना बेहद मुश्किल हो सकता है।