भगवान के अस्तित्व पर मशहूर लेखक और गीतकार जावेद अख्तर और इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती शमाइल नदवी की बहस इन दिनों खूब चर्चा में है। सोशल मीडिया पर अभी भी चर्चा हो रही है कि किसके तर्क ज्यादा मजबूत थे और किसके तर्कों में बात नहीं दिखी। जावेद अख्तर तो पहले से काफी मशहूर हैं लेकिन शमाइल नदवी अचानक से चर्चा का केंद्र बन गए हैं। लोग उनके बारे में जानना चाहते हैं। यही वजह है कि उनके कई पुराने वीडियो भी अब वायरल होने लगे हैं। पुराने पन्नों को पलटने के इसी क्रम में एक पन्ना वह भी मिलता है, जब पश्चिम बंगाल में जावेद अख्तर का विरोध हुआ था और उनका कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था। इस घटना से भी शमाइल नदवी का नाता है। 

 

यह घटना 2025 के अगस्त महीने के आखिर और सितंबर महीने की शुरुआत की है। पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें जावेद अख्तर भी शामिल होने वाले थे। हालांकि, कुछ संगठनों ने जावेद अख्तर का विरोध किया और पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से संचालित उर्दू अकादमी ने यह कार्यक्रम ही रद्द कर दिया। कार्यक्रम 31 अगस्त से 3 सितंबर तक कोलकाता में आयोजित होना था और इसका विषय था- 'हिंदू सिनेमा में उर्दू।'

 

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इस विरोध के पीछे की वजह थी कि जावेद अख्तर ने कुछ दिन पहले ही खुद को नास्तिक और सांस्कृतिक मुसलमान कहा था। उन्होंने धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद का समर्थन किया था। इस घटना की तुलना साल 2007 में तस्लीमा नसरीन के विरोध से भी की गई। तब तस्लीमा नसरीन को मुस्लिम संगठनों के विरोध के चलते पश्चिम बंगाल छोड़ना पड़ा था। अब इस विरोध में एक रोचक एंगल यह था कि जावेद अख्तर की खिलाफत कर रहे संगठनों में एक संगठन वाहियान फाउंडेन भी था। वही वाहियान फाउंडेशन जिसके कर्ता-धर्ता मुफ्ती शमाइल नदवी हैं।

वाहियान फाउंडेशन क्या करता है?

 

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से चलने वाला यह संगठन मई 2024 में बनाया गया है। संगठन का अपने बारे में कहना है कि वह एक चैरिटेबल इस्लामिक ट्रस्ट है जिसका काम लोगों को इस्लामिक शिक्षा देना, सामाजिक सहयोग करना, मेडिकल सेवाएं देना और शरिया से जुड़ी सलाह देना है। यह संस्था कई कोर्स भी करवाती है जिसमें बच्चों और युवाओं के अलावा बालिग पुरुष और महिलाएं भी हिस्सा ले सकती हैं। 

इसके अलावा, फ्री मेडिकल कैंप लगवाने, अलग-अलग विषयों पर सेमिनार करवाने और आपदा के वक्त में मदद पहुंचाने में भी यह संगठन काफी सक्रिय रहा है। मुफ्ती शमाइल नदवी ही इस संगठन के प्रमुख चेहरे के तौर पर काम करते हैं। संगठन से जुड़े बच्चों और युवाओं के लिए जब लेक्चर आयोजित किए जाते हैं तब यह संस्था कई अन्य इस्लामिक स्कॉलर्स को भी बुलाती है।

 

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कौन हैं मुफ्ती शमाइल नदवी?

 

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जन्मे शमाइल नदवी का असली नाम शमाइल अहमद अब्दुल्ला है। उनके पिता मौलाना अबू सईद भी बड़े इस्लामिक स्कॉलर हैं। शुरुआती शिक्षा बंगाल से पूरी करने के बाद शमाइल ने कुरान की शिक्षा भी हासिल की। इसके बाद उन्होंने लखनऊ के दारुल उलूम नदवतुल उलेमा में एडमिशन लिया और 6 साल वहीं पढ़ाई की। नदवतुल से जुड़ने के कारण शमाइल ने अपने नाम में नदवी जोड़ लिया। फिलहाल वह मलेशिया से इस्लामिक स्टडी में पीएचडी कर रहे हैं।

 

वाहियान फाउंडेशन चलाने वाले शमाइल नदवी इस्लामिक स्टडी के प्रचार-प्रसार के लिए कई तरीके अपनाते हैं। कहा जा रहा है कि जावेद अख्तर से साथ डिबेट भी उन्हीं के दिमाग की उपज थी। वह अपने तर्कों में इस्लामिक सिद्धांतों के साथ-साथ फिलॉसफी, विज्ञान और इतिहास का भी बखूबी इस्तेमाल करते हैं और आधुनिक युग की कई बातों को सहज स्वीकार भी करते हैं।