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जावेद अख्तर ने मुफ्ती शमाइल नदवी से ऐसा क्या कहा कि लोग उखड़ गए?

जावेद अख्तर और मुफ्ती शमाइल नदवी के बीच 'क्या ईश्वर है' विषय पर बहस हुई। इस बहस के बाद लोग जावेद अख्तर के तर्कों पर सवाल उठा रहे हैं।

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जावेद अख्तर, Photo Credit: PTI

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 मशहूर गीतकार और तर्कवादी जावेद अख्तर और इस्लामिक मामलों के जानकार मुफ्ती शमाइल नदवी के बीच शनिवार को बहस हुई। दोनों ने 'क्या ईश्वर है' विषय पर अपनी-अपनी बात रखी। इस वाद-विवाद की चर्चा हर तरफ हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग दोनों के बीच हुए तर्कों को शेयर कर रहे हैं और अपनी राय भी रख रहे हैं। आस्था बनाम तर्क की बहस के बाद जावेद अख्तर को लोग ट्रोल करने लगे हैं। उनके कुछ तर्कों को शेयर किया जा रहा है और उन्हें गलत बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर दोनों के तर्कों का फैक्ट चेक भी किया जा रहा है। 

 

शनिवार 20 दिसंबर को यह बहस दिल्ली में आयोजित की गई थी। इस बहस में मॉडरेटर की भूमिका में दी लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी थे। जावेद अख्तर ने ईश्वर के अस्तित्व पर सवाल उठाए  और मुफ्ती शमाइल ने ईश्वर के होने के पक्ष में अपनी बात रखी। दोनों के बीच कई पहलुओं पर बहस हुई। जावेद अक्तर ने तर्क दिया कि धर्म लोगों को सोचने नहीं देता और नशे की आदत की तरह बढ़ता ही जाता है। जावेद अख्तर ने सवाल किया कि अगर ईश्वर है तो दिखाई क्यों नहीं देते?

 

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जावेद अख्तर के तर्कों पर विवाद

जावेद अख्तर ने बहस के दौरान सवाल उठाया कि अगर ईश्वर वास्तव में सर्वशक्तिमान और दयालु है, तो दुनिया में बच्चों के कष्ट, अत्याचार और निर्दोष लोगों पीड़ा में क्यों हैं? उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर ईश्वर सर्वशक्तिमान है, तो गाज़ा  के बच्चों की दुर्दशा क्यों नहीं रोक पा रहा है? जावेद अख्तर के इस सवाल पर कई लोग उखड़ गए। जावेद अख्तर ने आगे कहा कि अगर ईश्वर है तो उन्हें दिखाना चाहिए और अपने होने के सबूत देने चाहिए। जावद अख्तर का तर्क था कि विश्वास वहां से शुरू होता है जहां तर्क खत्म हो जाता है। तथ्यों के बिना केवल विश्वास पर आधारित दावा करना सही नहीं है। यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और कुछ धार्मिक समुदायों में गहरी नाराजगी का कारण बन गया क्योंकि उन्होंने इसे ईश्वर के प्रति अनादर या अविश्वास के रूप में लिया।

 

मुफ्ती शमाइल नदवी ने तर्क दिया था कि भगवान ने बुराई इसलिए बनाई है ताकि हम अच्छाई को पहचान सकें। इस तर्क पर जावेद अख्तर ने उनकी आलोचना की। जावेद अख्तर ने उनसे सवाल किया कि अच्छाई को पहचानने के लिए क्या जरूरी है? रेप कई गई औरतें, मारे गए बच्चे, ला इलाज बीमारियों से पीड़ित बच्चे, नरसंहार? उन्होंने कहा, 'भगवान बिना इतनी ज्यादा तकलीफ के नैतिकता क्यों नहीं सिखा सकते थे? अगर कोई इंसान जानबूझकर सिर्फ सबक सिखाने के लिए दर्द पैदा करता तो हम उसे सचमुच जेल में डाल दिया जाता। इसे दैवीय ज्ञान कहने से यह अचानक नैतिक नहीं बन जाएगा।'

 

जावेद अख्तर ने आगे कहा, 'एक छोटे बच्चे को परीक्षा देने की क्या जरूरत है? एक नवजात शिशु किस चीज में फेल या पास हुआ? इनाम से पहले दुख क्यों होना चाहिए?? अगर भगवान बाद में जन्नत दे सकते हैं तो वह बिना किसी सदमे के भी दे सकते थे।' जावेद अक्तर की इस तुलना के लिए भी लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं

 

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भगवान की मर्जी पर उठे सवाल

मुफ्ती शमाइल नदवी का तर्क था कि इस संसार में सब कुछ भगवान की मर्जी से होता है। भगवान ने लोगों को फ्री विल दी है और इसके साथ ही वह सर्वशक्तिमान हैं। मुफ्ती शमाइल नदवी का तर्क था कि अल्लाह की मर्ज़ी के बिना कुछ नहीं होता अल्लाह जिंदगी देता है और जिंदगी लेता है सब कुछ भगवान के प्लान का हिस्सा है। जावेद अख्तर का तर्क था कि यह विरोधाभास कभी हल नहीं होता। उन्होंने कहा, 'अगर सब कुछ भगवान के प्लान का हिस्सा है तो रेप क्यों होता है। अगर भगवान ने यह सब जानते हुए दुनिया की रचना की है तो फिर गुनाहों के लिए इंसानों को दोषी क्यों माना जाता है। आप एक ही समय में पूरा नियंत्रण और जीरो जिम्मेदारी नहीं रख सकते।'

क्यों उखड़ गए लोग?

धर्म लोगों की आस्था का विषय है और जावेद अख्तर ने अपनी बहस में लोगों की आस्था पर ही सवाल उठाए। उन्होंने तर्क दिया कि विश्वास और आस्था वहां से शुरू होते हैं, जहां तर्क खत्म हो जाते हैं। उनकी इस बात पर लोग उखड़ गए हैं और सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। लोग अलग-अलग वैज्ञानिकों की धार्मिक आस्था के बारे में बात कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जावेद अख्तर इस तरह की बहस करने के लिए सही व्यक्ति नहीं थे। लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जावेद अख्तर मुफ्ती शमाइल के तर्कों के आगे फेल हो गए। कुछ लोगों ने जावेद अख्तर के बयानों की निंदा करते हुए कहा कि जावेद अख्तर को धर्म का ज्ञान नहीं है इसलिए वह इस तरह की बात कर रहे हैं। हालांकि, जावेद अख्तर के समर्थक लिख रहे हैं कि जावेद अख्तर ने बड़ी ही सहजता के साथ अपनी बात रखी। 

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