बांग्लादेश एक बार फिर अशांति की राह पर जाता नजर आ रहा है। कट्टरपंथी युवा नेता उस्मान हादी की मौत के बाद अब वहां की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने शपथ ली है कि देश के युवा, उनके आदर्शों पर चलेंगे। उन्होंने हजारों रोते-बिलखते लोगों के सामने यह वादा दोहराया कि देश उस्मान हादी की विचारधारा पर आगे बढ़ेगा। उस्मान हादी, भारत विरोधी विचारधारा के लिए बांग्लादेश में बेहद लोकप्रिय थे। वह कट्टर इस्लामिक एजेंडे को आगे बढ़ाने वाले युवा नेताओं में शामिल थे। बांग्लादेश, उस्मान हादी की मौत के बाद उबाल पर है।
उस्मान हादी महज 32 साल की उम्र में बांग्लादेश में बेहद लोकप्रिय हो गए थे। शेख हसीना के खिलाफ उग्र और हिंसक आंदोलनों के अहम चेहरों में से एक उस्मान हादी, बांग्लादेश के सबसे चर्चित नेताओं में शामिल थे। उन्हें कुछ नकाबपोश लोगों ने बीते सप्ताह ढाका में गोली मार दिया था। वह फरवरी में होने वाले चुनावों के लिए कैंपेन कर रहे थे। उनकी मौत गुरुवार को सिंगापुर में हुई। वह लगातार 6 दिनों तक लाइफ सपोर्ट पर रहे।
उस्मान हादी की मौत पर बांग्लादेश सुलग उठा है। बांग्लादेश के अखबारों और संस्थाओं पर हमले हुए हैं। बांग्लादेश पहले से ही हिंसक आंदोलनो की जद में है, बांग्लादेश में लोकतंत्र हाशिए पर है, ऐसे में उस्मान हादी की मौत अब वहां बड़े बवाल के आसार पैदा कर रही है। ढाका में जब उस्मान हादी की लाश दफन की जा रही थी, तब वहां सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल तैनात थे। उनकी लाश, बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम की बगल में दफनाई गई है।
मोहम्मद यूनुस के किस बयान से है डर?
मोहम्मद यूनुस ने उस्मान हादी को सुपुर्द-ए-खाक करने के बाद भीड़ को संबोधित किया। उन्होंने कहा, 'हम उन सिद्धांतों को पूरा करेंगे, जिनके लिए आप खड़े रहे। आपने विनम्रता और शालीनता के साथ यह दिखाया कि राजनीति कैसे की जा सकती है।' मोहम्मद यूनुस ने कहा कि उस्मान हादी ने बांग्लादेश की गरिमा बढ़ाई है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख और दूसरी दिग्गज हस्तियां भी उस्मान हादी की मौत पर वहां नजर आईं।
बांग्लादेश में चुनाव कब हैं?
बांग्लादेश में 12 फरवरी को चुनाव होने वाले हैं। मुस्लिम बाहुल इस देश में करीब 17.5 करोड़ लोग रहते हैं। बांग्लादेश के लोकतंत्र ने बीते एक साल में कई हिंसक घटनाओं का सामना किया है।
उस्मान हादी के जनाजे पर उमड़ी भीड़ को संबोधित करते मोहम्मद यूनुस।
बांग्लादेश का हाल क्या है?
अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार हुए हैं, मंदिरों के पुजारियों को जेल में डाला गया है। बांग्लादेश में लोकतंत्र हाशिए पर पहुंच गया है। मोहम्मद यूनुस आए दिन भारत विरोधी बयान दे रहे हैं। एक साल से ही लगातार बांग्लादेश में हिंसक झड़पें शुरू हुईं हैं। अलग-अलग कट्टरपंथी संगठन पनप गए हैं। अगस्त 2024 में शेख हसीना की बेदखली के बाद से ही हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।
मोहम्मद यूनुस के इस बयान से डर क्यों?
उस्मान हादी, बांग्लादेश के कट्टरपंथी नेता थे। वह शेख हसीना सरकार के खिलाफ उग्र छात्र आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थए। वह इकबाल मंच के सदस्य थे। मोहम्मद यूनुस उन्हें क्रांतिकारी मानते हैं। वह ढाका-8 सीट से चुनाव लड़ रहे थे। आवामी लीग के खिलाफ उनका संगठन सबसे मुखर संगठन रहा है। मोहम्मद यूनुस सरकार ने वैसे तो इस मंच को भंग कर दिया था और चुनाव लड़ने पर रोक लगाई थी लेकिन यह संगठन जमीन पर फैल रहा था।
मोहम्मद यूनुस अपने चीन दौरे के दौरान भारत के चिकन नेक को अलग करने की बात कह चुके हैं। उस्मान हादी यही सिद्धांत मानता था। उस्मान हादी, ग्रेटर बांग्लादेश के समर्थक थे। वह भारत के पूर्वोत्तर राज्य, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड को मिलाकर ग्रेटर बांग्लादेश की वकालत करते थे। उनकी मौत के बाद भारत विरोधी लहर देश में हावी है। मोहम्मद युनूस उसी राह पर जाते नजर आ रहे हैं।