भारत ने 2011-12 से 2023-24 के बीच भीषण गरीबी को लगभग पूरी तरह खत्म कर दिया है। एक रिसर्च पेपर में यह दावा किया गया है कि देश की कुल आबादी में गरीबी दर 21.9 प्रतिशत से घटकर मात्र 2.3 प्रतिशत रह गई है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मुस्लिम समुदाय में 'एक्स्ट्रीम पोवर्टी' या बेहद ज्यादा गरीबी की दर हिंदुओं से थोड़ी कम है। मुस्लिमों में यह दर 1.5 प्रतिशत है, जबकि हिंदुओं में 2.3 प्रतिशत है। 

यह शोध पत्र कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पानगढ़िया और विशाल मोरे ने मिलकर लिखा है। यह लेख इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली में प्रकाशित हुआ है। रिसर्च पेपर में दावा किया गया है कि यह आंकड़े आम धारणा को चुनौती देते हैं कि मुस्लिमों में गरीबी हिंदुओं से ज्यादा है। 

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बेहद गरीबी है क्या है? 

रिसर्च पेपर में कहा गया है कि एक्स्ट्रीम पोवर्टी या बेहद गरीबी की परिभाषा विश्व बैंक की उस सीमा से ली गई है, जिसमें क्या शक्ति क्षमता के हिसाब से एक शख्स, हर दिन 3 डॉलर से कम पर गुजारा करता है। यह भारत की पुरानी तेंदुलकर समिति की ओर से तय की गई गरीबी रेखा के करीब है। 

आंकड़े क्या कह रहे हैं?

रिसर्च पेपर में दावा किया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर गरीबी रेखा 2011-12 में 932 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति माह थी, जो 2023-24 में बढ़कर 1,804 रुपये हो गई। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों तथा राज्यों के हिसाब से अलग-अलग गरीबी रेखा लागू की गई। पिछले 12 सालों में गरीबी में तेज और व्यापक गिरावट आई है, जिससे देश ने चरम गरीबी को लगभग समाप्त कर दिया।

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हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, कौन कितना गरीब?

धार्मिक समुदायों के आंकड़े और भी दिलचस्प हैं। हिंदुओं में गरीबी दर 2.3 प्रतिशत है, मुस्लिमों में 1.5 प्रतिशत, ईसाइयों में 5 प्रतिशत, बौद्धों में 3.5 प्रतिशत, जबकि सिखों और जैनों में यह शून्य है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिमों की गरीबी दर 1.6 प्रतिशत है, जो हिंदुओं के 2.8 प्रतिशत से कम है। 

शहर या गांव, कौन ज्यादा गरीब है?

शहरी क्षेत्रों में भी अब दोनों समुदायों में गरीबी बहुत कम हो गई है, मुस्लिमों में 1.2 प्रतिशत और हिंदुओं में 1 प्रतिशत। 2011-12 में शहरी मुस्लिमों में गरीबी 20.8 प्रतिशत थी, जो हिंदुओं के 12.5 प्रतिशत से काफी ज्यादा थी। रिसर्च में दावा किया गया है कि हिंदू-मुस्लिम के बीच चरम गरीबी का अंतर लगभग खत्म हो गया है। आम धारणा को सुधारने की जरूरत है कि मुस्लिमों में गरीबी ज्यादा है। 

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किस वर्ग में ज्यादा गरीबी है?

सामाजिक वर्गों में भी गरीबी तेजी से घटी है। अनुसूचित जनजाति (ST) में, गरीबी 8.7 प्रतिशत रह गई है। अनुसूचित जाति (SC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और सवर्ण जातियों में भी बड़ा सुधार हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी ज्यादा तेजी से घटी है। करीब 22.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है, वहीं शहरी में क्षेत्र में 12.6 प्रतिशत तक गिरावट देखने को मिली। 

किन राज्यों में शून्य है गरीबी दर?

हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, गोवा जैसे तीन राज्यों और चंडीगढ़, दिल्ली, दमन-दिव जैसे तीन केंद्र शासित प्रदेशों में गरीबी दर शून्य के करीब है। पिछले दो दशकों की तेज आर्थिक वृद्धि ने सभी समुदायों को भीषण गरीबी की रेखा से ऊपर उठा दिया है। अब भीषण गरीबी की स्थिति आदिवासी आबादी तक सीमित रह गई है।