पिछले साल 2024 में भारत के दो लाख से भी ज्यादा अमीर लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी। भारत छोड़कर विदेशों में बसने का चलन साल दर साल लगातार बढ़ रहा है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इसको लेकर आधिकारिक आंकड़े जारी किए हैं। आंकड़े बताते हैं कि देश के लोगों को भारत की लाइफस्टाइल और यहां की आबो-हवा पसंद नहीं आ रही है, लेकिन उनको विदेशी धरती की लाइफस्टाइल ज्यादा लुभावनी और सुरक्षित लग रही है। अगर ऐसा नहीं है तो ये लोग भारत छोड़कर विदेश में जाकर क्यों बस रहे हैं?
दरअसल, विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने गुरुवार को एक सावल के जवाब में राज्यसभा में आंकड़ा पेश करते हुए बताया कि साल 2024 में 2 लाख 6 हजार लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी। इस दौरान विदेश राज्यमंत्री ने राज्यसभा में पिछले छह सालों के आंकड़े पेश किए। इसके मुताबित, साल 2023 में 2,16, 219 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी थी। हालांकि, पिछले साल 2023 के मुकाबले कम लोगों ने नागरिकता छोड़ी है।
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छह साल में 10,40,860 भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता
इसके अलावा 2022 में सबसे ज्यादा 2.25 लाख भारतीय लोगों ने देश की नागरिकता छोड़कर विदेशी नागरिकता ले ली। साल 2020 में 85 हजार लोगों ने नागरिकता छोड़ी थी। वहीं, साल 2019 में 1,44,017 लोगों ने देश छोड़ दिया था, जिसके बाद यह संख्या लगातार बढ़ रही है। इस तरह से 2019 से लेकर 2024 तक कुल 10,40,860 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी है।

ऐसे में सवाल उठता है कि देश छोड़ने वाले ये वो लोग हैं जो धनाढ्य हैं, जिनके पास अपने माकान, जरूरत की हर वो चीज जो किसी सामान्य घर में नहीं मिलती वो सब कुछ मौजूद है। इसके बावजूद भी देश के अमीर लोग भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशों में जाकर क्यों बसने जा रहे हैं? इस खबर में आइए इसके पीछे की वजह जानते हैं...
2014 से पहले कितने भारतीयों छोड़ी नागरिकता?
बता दें कि नागरिकता छोड़ने को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर लगातार हमलावर रहा है। विपक्ष का लगातार मोदी सरकार के ऊपर आरोप लगाता है कि 2014 में बीजेपी सरकार आने के बाद से ज्यादा भारतीय देश की नागरिकता छोड़ने लगे हैं। आंकड़ें कहते हैं कि कांग्रेस सरकार में दौरान भारती नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या कभी 2 लाख के पार नहीं गई। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2014 से पहले पांच साल में 2011 में 1,22,819, 2012 में 1,20,923, 2013 में 1,31,405 और 2014 में 1,29,328 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी थी।
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सरकार से पूछा गया, क्यों बढ़ रही है संख्या?
राज्यसभा में यह सवाल भी पूछा गया कि क्या सरकार ने इस बढ़ती प्रवृत्ति की जांच की है? विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन ने इसको लेकर केवल आंकड़े प्रस्तुत किए, लेकिन इस बढ़ोतरी के पीछे की सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक वजहों पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा और नौकरियों के सीमित अवसर, सामाजिक असमानता और राजनीतिक माहौल लोगों को देश छोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
नागरिकता छोड़ने की वजह क्या है?
यह बात सत्य है कि भारत को अपनी नागरिकता छोड़ने की दर या फिर ब्रेन ड्रेन पर काबू करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। ऐसे नहीं करने पर देश से बेहतरीन दिमाग और पैसा दोनों विदेशी देशों के लिए काम करेंगे और उनकी जीडीपी में योगदान देंगे। देश के युवाओं के विदेशी नागरिकता लेने के पीछे के कारण अलग हैं, जबकि अधेड़ उम्र के लोगों की नागरिकता लेने के पीछे के कारण दूसरे हैं।
नौकरी के लिहाज से देखें तो बड़े देशों में रोजगार को लेकर युवाओं को बेहतर सुविधाएं मिलती हैं लेकिन बड़ी संख्या में लोग छोटे देशों का भी रूख करते हैं। इसकी वजह से है कि कई छोटे देश व्यापार के लिए बेहतर सुविधाएं देते हैं। कई लोगों के परिवार भी ऐसे देशों में बसे होते हैं। अफ्रीकी देश इसके उदाहरण हैं, जहां बड़ी मात्रा में भारतीय अपने परिवारों के साथ रहते हैं।
युवा क्यों छोड़ रहे हैं देश?
- भारत के युवा बेहतर काम, पैसे और बेहतर स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग की तलाश में देश छोड़कर जाते हैं।
- युवाओं के लिए विदेशों में नौकरी के दौरान काम का माहौल और काम करने के घंटे भारत से बेहतर होते हैं। अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में काम करने के घंटे निर्धारित होते हैं।
- भारतीयों को अपने देश के मुकाबले विदेशों में जितना काम करते हैं, उस हिसाब से अच्छे पैसे मिलते हैं। भारत में प्राइवेट सेक्टर में नियमों का इतने अच्छे तरीके से पालन नहीं होता है।
- अधेड़ उम्र के लोग अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए बेहतर सुविधाएं और भविष्य में बच्चों को नौकरी में आगे बढ़ने के लिए भारत से विदेशों में शिफ्ट होते हैं।
- युवाओं को विदेशों में वर्क प्लेस में बेहतर माहौल मिलता है, जिसकी वजह से वो वहां नौकरी करना ज्यादा पसंद करते हैं।
भारतीयों द्वारा नागरिकता त्यागने का आंकड़ा केवल पलायन की ही कहानी नहीं बयां करता है बल्कि यह सरकारी सिस्टम और भारत में बेहतर अवसर ना मिलने की भी कहानी है। युवाओं में भरोसे की कमी, रोजगार की अनिश्चितता और गुणवत्तापूर्ण जीवन की चाह ने नागरिकता को छोड़ने वाले इस ट्रेंड को बढ़ा दिया है। सरकार को केवल नागरिकों के देश छोड़ने के आंकड़ों तक सीमित न रहकर इसके कारणों की गहराई में जाकर नीतिगत सुधार की जरूरत है।
