नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर साल औसतन 2 लाख भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं। ये भारतीय अपनी नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों में बस जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने हाल ही में संसद में नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों का आंकड़ा दिया है। यह दिखाता है कि कोविड के बाद से नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ ही रही है।
विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा में जो आंकड़े दिए हैं, उसके मुताबिक 2011 से 2024 के बीच 14 साल में 20.86 लाख से ज्यादा भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है।
आंकड़े बताते हैं कि 2011 से 2017 के बीच 7 साल में औसतन हर साल 1.30 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी। वहीं, 2018 से 2024 के 7 सालों में हर साल औसतन 1.67 लाख भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी। हालांकि, कोविड के बाद के सालों पर नजर डालें तो यह आंकड़ा बढ़ा ही। 2021 से 2024 के बीच 4 साल में हर साल औसतन 2 लाख से ज्यादा भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी।
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कितने भारतीय छोड़ रहे नागरिकता?
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 2011 से 2024 के बीच 20 लाख से ज्यादा भारतीयों ने नागरिकता छोड़ दी है। 2014 से 2024 के बीच मोदी सरकार के 11 साल में 17.10 लाख भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ चुके हैं।
आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा 2.25 लाख भारतीयों ने 2022 में अपनी नागरिकता छोड़ी थी। वहीं, 2020 में सबसे कम 85,256 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी।
यह वह साल था जब कोविड महामारी थी। नागरिकता छोड़ने में कमी आने की बड़ी वजह यही थी।

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छोड़ क्यों रहे हैं नागरिकता?
बीते कुछ सालों में नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ी है। नागरिकता क्यों छोड़ रहे हैं भारतीय? इस सवाल पर केंद्र सरकार का कहना है कि 'नागरिकता छोड़ने की निजी वजह है और सिर्फ उसी व्यक्ति को पता है।'
यह सही भी है कि नागरिकता छोड़ने की वजह अपनी है। बहुत से लोग भारत की नागरिकता छोड़कर विदेश इसलिए चले जाते हैं, क्योंकि वहां उन्हें कई मौके मिलते हैं। भारतीय नागरिकता छोड़ चुकी एक महिला ने बीबीसी को बताया था, 'यहां जिंदगी बहुत आसान है। स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग बहुत अच्छा है। मौके भी भारत से बेहतर मिलते हैं। काम का माहौल बहुत अच्छा है। जितना काम करते हैं, उस हिसाब से पैसा मिलता है।'

इसके अलावा कई लोग इसलिए भी नागरिकता छोड़ देते हैं, क्योंकि भारत का पासपोर्ट कई देशों की तुलना में अभी भी कमजोर है। भारतीय पासपोर्ट पर कई देशों की यात्रा करने के लिए वीजा की जरूरत पड़ती है। पासपोर्ट इंडेक्स में भारतीय पासपोर्ट पहले से कमजोर भी हुआ है। इस साल 199 देशों की लिस्ट में भारत का पासपोर्ट 85वें नंबर पर है। रवांडा, घाना और अजरबैजान जैसे छोटे देश इस लिस्ट में भारत से ऊपर हैं। भारत के पासपोर्ट पर अभी कोई 57 देशों की वीजा फ्री यात्रा कर सकता है। जबकि, 2024 में 62 देशों की यात्रा की जा सकती थी।
भारतीय नागरिकता छोड़ने का एक बड़ा कारण दोहरी नागरिकता का प्रावधान न होना है। भारतीय संविधान किसी भी व्यक्ति को भारत के साथ-साथ किसी दूसरे देश की नागरिकता रखने की इजाजत नहीं देता। जबकि, ज्यादातर बड़े देशों में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है। अगर आपके पास भारतीय नागरिकता है तो किसी दूसरे देश की नागरिकता नहीं रख सकते।
अगर किसी भारतीय के पास विदेशी नागरिकता है भी तो उसे भारत में काम करने और रहने की इजाजत होती है। ऐसे लोगों के लिए 'ओवरसीज सिटीजंस ऑफ इंडिया' यानी OCI कार्ड जारी किया जाता है। OCI कार्ड जीवनभर के लिए होता है और जिसके पास यह कार्ड होता है, उसके पास भी भारतीय नागरिक की तरह ही अधिकार होते हैं। हालांकि, OCI कार्ड होल्डर्स के चुनाव लड़ने, सरकारी नौकरी करने, वोट डालने और खेती की जमीन खरीदने पर रोक रहती है।
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नागरिकता छोड़कर जाते कहां हैं?
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, मार्च 2025 तक दुनियाभर के मुल्कों में 3.54 करोड़ से ज्यादा भारतीय बसे हैं। सबसे ज्यादा 54 लाख भारतीय अमेरिका में हैं। इसके बाद 35.68 लाख UAE में, 29.14 लाख मलेशिया में, 28.75 लाख कनाडा में और 24.63 लाख सऊदी अरब में हैं।
भारत की छोड़कर किस देश की नागरिकता ले रहे हैं भारतीय? इसे लेकर सरकार ने कोई ताजा आंकड़ा नहीं दिया है।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 2022 में सबसे ज्यादा 2.25 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी थी। ज्यादातर भारतीय अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके के लिए अपनी नागरिकता छोड़ देते हैं।
आंकड़े बताते हैं कि 2022 में 71,991 भारतीयों ने अमेरिका की नागरिकता ले ली थी। 2022 में जितने भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी थी, उनमें से 60,139 ने कनाडा की, 40,377 ने ऑस्ट्रेलिया की और 21,457 ने यूके की नागरिकता ले ली थी। इनके अलावा, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, जर्मनी, इटली, न्यूजीलैंड, नीदरलैंड, सिंगापुर और स्वीडन जैसे देशों की नागरिकता भी भारतीयों ने ली थी।
इतना ही नहीं, कुछ भारतीयों ने पाकिस्तान की नागरिकता भी ली। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 2020 से जून 2023 के बीच साढ़े 4 साल में 69 भारतीयों ने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली थी।
