अंडमान के पास भारत को तेल का बड़ा भंडार मिलने की उम्मीद है। यहां 184,440 करोड़ लीटर कच्चा तेल हो सकता है। यह तेल भंडार गुयाना में मिले भंडार के जितना हो सकता है। कुछ दिन पहले केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसका खुलासा किया तो पूरे देश में चर्चा होना लाजिमी है। भारत आज भी 80 फीसदी तेल और 50 फीसदी प्राकृतिक गैस का आयात करता है। मगर अंडमान के करीब बड़ा भंडार मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। 

 

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि अंडमान इलाके में भारत को गुयाना की तरह ही बड़े पैमाने पर तेल का भंडार मिल सकता है। यह भारत की अर्थव्यवस्था को 20 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचाने में मदद करेगा। पुरी का कहना है कि अंडमान क्षेत्र में ऑयल इंडिया और ओएनजीसी जैसी कंपनियों ने सर्वे शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे पास अंडमान में कई गुयाना की क्षमता है। उन्होंने यह भी बताया कि सूर्यमणि में 4 मिलियन मीट्रिक टन और नीलमणि में 1.2 मिलियन मीट्रिक टन तेल मिलने की संभावना है। 2865 मीटर की गहराई पर एक अन्य कुएं में तेल और गैस के भंडार मिले हैं।

 

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तेल का कुआं मिलने के बाद क्यों नहीं हो पाता उत्पादन?

भारत में तेल और गैस के भंडार तो कई जगह मिले हैं, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती उनके आकार की होती है। गोदावरी और कृष्णा नदी घाटी में तेल और गैस के भंडार हैं। मगर यहां भारी लागत के कारण कुछ स्थानों पर उत्पादन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ब्रह्मपुत्र नदी और राजस्थान के कुछ हिस्सों में तेल के भंडार मिले हैं। मगर यहां भी लागत एक प्रमुख चिंता है। आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी यही मुश्किल है। दरअसल, कुछ तेल के भंडार इतने छोटे होते हैं कि उनसे होने वाला उत्पादन का मूल्य लागत से कम होता है। ऐसी स्थित में वहां तेल या गैस की निकासी नहीं की जाती है।

काफी महंगा है तेल खोजना

समुद्र में तेल की खोज न आसान है और न ही सस्ता है। हरदीप पुरी के मुताबिक एक तटीय कुएं की लागत औसतन 4 मिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब होती है। वहीं अपतटीय कुएं की लागत लगभग 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर होती है। उन्होंने बताया कि गुयाना ने 46 कुएं खोदे। इनमें से किसी में तेल नहीं मिला। मगर जब उन्होंने 47वां कुआं खोदा तो उन्हें तेल मिला और यह सबसे बड़ी खोज बन गई। गुयाना में अनुमानित तौर पर 11.6 बिलियन बैरल तेल और गैस मिला है। तेल भंडार के मामले में वह 17वें स्थान पर पहुंच चुका है।

भारत में कहां-कहां होता है तेल का उत्पादन?

भारत में मौजूदा समय में कच्चे तेल का उत्पादन गुजरात, असम, राजस्थान मुंबई हाई और कृष्णा-गोदावरी बेसिन से होता है। देशभर के तमाम हिस्सों में तेल भंडार की खोज की जा रही है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तक सर्वे का काम जारी है। यहां ऑयल इंडिया और ओएनजीसी जैसी कंपनियां नए भंडारों की तलाश में सर्वे और ड्रिलिंग कर रही हैं।

क्या है सरकार की रणनीति? 

हरदीप पुरी के मुताबिक देश में 35 लाख वर्ग किलोमीटर की तलछटी बेसिन है। मगर सिर्फ 8 फीसदी हिस्से में ही तेल की खोज की गई। समुद्र के एक बड़े हिस्से में अभी तक खोज नहीं हो सकी। तलछटी बेसिन के कुछ हिस्से निषिद्ध क्षेत्र में आते थे। सरकार ने अब तलछटी बेसिन के 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर के निषिद्ध क्षेत्र को खोज के लिए हरी झंडी दे दी है।

 

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सरकार ने बेसिन के बड़े हिस्से में तेल की खोज करने का फैसला किया है। अनुमान के मुताबिक देश के तलछटी बेसिन में लगभग 42 बिलियन टन तेल और गैस हो सकता है। सरकार ने पेट्रोलियम उद्योग में खोज और उत्पादन गतिविधियों में अनुमोदन की प्रक्रिया को सरल बनाया है। पहले कुल 37 प्रक्रियाओं से कंपनियों को गुजरना पड़ता था। अब इनकी संख्या 18 रह गई है।

बलिया और बदायूं से भी उम्मीद

2025 में उत्तर प्रदेश के बालिया और बदायूं जिले में तेल भंडार की खबरें सामने आईं। यहां ओएनजीसी तेल की खोज में जुटी है। कंपनी का अनुमान है कि बलिया में 3000 मीटर की गहराई में तेल भंडार हो सकता है। बदायूं जिले के गांव टिटौली में अल्फाजियो इंडिया कंपनी तेल की तलाश में जुटी है। दरअसल, गंगा नदी के बेसिन में तेल भंडार मिलने की संभावना है। इसी कारण गंगा के आसपास स्थित जिलों में सर्वे किया जा रहा है। अभी तक दोनों जिलों में तेल भंडार मिलने की पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है। मगर उम्मीद बरकरार है।