संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में विकसित भारत- रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) पेश किया है। विधेयक को केंद्र सरकार ऐतिहासिक बता रही है लेकिन विपक्ष का कहना है कि राज्यों को कर्ज में धकेलने की साजिश रची गई है। केंद्र सरकार यह विधेयक 'महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लायमेंट गारंटी ऐक्ट, 2005 (MGNREGA) को हटाने के लिए लाया जा रहा है। केंद्र सरकार का तर्क है कि यह कदम मांग के हिसाब से चलने वाली पुरानी व्यवस्था से बदलकर अब सप्लाई या उपलब्धता के हिसाब से चलने वाली नई योजना की ओर ले जाएगा।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान जब सदन में विधेयक पेश कर रहे थे, विपक्ष ने जमकर नारेबाजी की। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि यह देश हित में नहीं है, नाम न बदला जाए। विपक्ष के कड़े विरोध के बाद भी मंगलवार को लोकसभा में विकसित 'भारत-जी राम जी विधेयक, 2025' पेश किया। अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम अतीत का हिस्सा होगा।
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शिवराज ने पेश किया विधेयक, विपक्ष ने जताया ऐतराज
ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जैसे ही विधेयक पेश किया, सदन ने ध्वनिमत से इस विधेयक को मंजूरी दी। विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना उनका अपमान है। धर्मेंद्र यादव ने कहा कि राम हमारे दिल में बसते हैं, गांधी के अंतिम शब्द राम थे, राम को लेकर सियासत न करें, महात्मा गांधी का अपमान सत्तारूढ़ दल न करे।

क्या बदलाव किए गए हैं, विपक्ष को ऐतराज क्यों है?
- ग्रामीण परिवारों के उन बड़े सदस्यों को, जो साधारण शारीरिक काम करने को तैयार हों, हर साल 125 दिनों की गारंटी वाला मजदूरी रोजगार मिलेगा। पहले यह 100 दिन था, अब बढ़ाकर 125 दिन किया गया है।
- सभी सरकारी योजनाओं को जोड़कर, कन्वर्जेंस प्रक्रिया के तहत काम किए जाएंगे, जिससे गांवों में मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर बने। यही विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक का मकसद होगा।
- पानी की सुरक्षा, ग्रामीण सुविधाएं, आजीविका से जुड़ी चीजें और खराब मौसम से बचाव के काम पर जोर दिया जाएगा। गांवों में मजबूत, टिकाऊ और उपयोगी संपत्तियां बनेंगी। कामों की योजना ग्राम पंचायत स्तर से शुरू होगी। जीपीएस जैसी तकनीक और पीएम गति-शक्ति को कनेक्ट किया जाएगा। ऐसी योजनाएं ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर जोड़ी जाएंगी।
- बुवाई और कटाई के दौरान काम रोकने का अधिकार राज्यों को मिलेगा, जिससे किसानों को मजदूर आसानी से मिल सकें। एक साल में 60 से ज्यादा दिन कोई काम नहीं होगा। विपक्ष को इस पर भी ऐतराज है।
- राज्यों को 6 महीने में अपनी योजना बनानी होगी। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए 90 फीसदी खर्च केंद्र वहन करेगा, 10 फीसदी खर्च राज्य सरकार। अन्य राज्यों के लिए 60 फीसदी खर्च केंद्र वहन करेगा, 40 फीसदी राज्य वहन करेगा। विपक्ष को ऐतराज है कि इस प्रावधान का केंद्र गलत इस्तेमाल करेगा। गरीब राज्यों पर इस योजना से आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
- फंड बंटवारा पारदर्शी और जरूरत के आधार पर होगा। विपक्ष को इस पर ऐतराज है। विपक्ष का कहना है कि जरूरतें तय करने का अधिकार केंद्र का होगा तो फिर राज्यों को उनके हिस्से का बजट ही नहीं मिलेगा।

विपक्ष के ऐतराज की वजहें समझिए
- मनरेगा को खत्म कर महात्मा गांधी का नाम हटाकर विरासत खत्म की जा रही है
- यह अधिकार-आधारित गारंटी को कमजोर कर कंडीशनल, केंद्र-नियंत्रित योजना है
- यह राज्यों और मजदूरों के खिलाफ है, केंद्र अपनी शर्तों के हिसाब से फंड देगा
- केंद्र पर 60 और राज्य पर 40 फीसदी शेयरिंग से राज्यों पर बोझ बढ़ेगा
- मांग-आधारित रोजगार, बजट सीमा तक सीमित होने की आशंका है
- रोजगार न दे पाने की स्थिति में राज्यों पर ही बेरोजगारी भत्ते का बोझ होगा
- प्रियंका गांधी और विपक्ष ने इसे गरीब-विरोधी साजिश बताया है
- यह विधेयक बिना व्यापक चर्चा के पास कर दिया गया है
राज्यों के लिए नए निर्देश क्या हैं?
केंद्र सरकार ने राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि राज्य पारदर्शिता अपनाएं। राज्यों को अब बायोमेट्रिक, रियल-टाइम डैशबोर्ड, AI, मोबाइल रिपोर्टिंग और सोशल ऑडिट करना होगा। ग्राम पंचायत में हर हफ्ते बैठक होगी, जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य होगा। मजदूरी दर केंद्र सरकार तय करेगी। अगर 15 दिन में काम न मिले तो बेरोजगारी भत्ता देना होगा।
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केंद्र सरकार विधेयक को जरूरी क्यों बता रही है?
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि विधेयक को वापस लिया जाए या फिर संसदीय समिति के पास भेजा जाए। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'महात्मा गांधी हमारे दिलों में बसते हैं। मोदी सरकार महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर आधारित कई योजनाएं चला रही है। कांग्रेस की सरकार ने भी जवाहर रोजगार योजना का नाम बदला था तो क्या यह पंडित जवाहरलाल नेहरू का अपमान था?
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'सरकार ने मनरेगा पर 8.53 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। हम इस विधेयक में 125 दिन के रोजगार की गारंटी दे रहे हैं। यह कोई कोरी गारंटी नहीं है, बल्कि 1.51 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक से गांवों का संपूर्ण विकास होगा।'
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विपक्षी सांसदों ने क्या कहा है?
प्रियंका गांधी ने कहा, 'नए विधेयक से रोजगार का कानूनी अधिकार कमजोर हो रहा है। विधेयक में केंद्र के अनुदान को 90 से 60 प्रतिशत किया गया है और राज्यों पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। विधेयक वापस लिया जाना चाहिए या कम से कम स्थायी समिति के पास भेजा जाए। किसी की निजी महत्वाकांक्षा, सनक और पूर्वाग्रह के आधार पर कोई विधेयक पेश नहीं होना चाहिए।
हरसिमरत कौर बादल , शिरोमणि अकाली दल:-
100 दिन की मजदूरी खत्म होती जा रही है। केंद्र की तरफ से 90 फीसदी की जगह 60 फीसदी पैसे दिए जा रहे हैं। जिन राज्यों के पास पैसे नहीं हैं, वहां मनरेगा खत्म हो रहा है। केंद्र सरकार मनरेगा खत्म कर रही है और भगवान राम के नाम के पीछे छिप रही है।'
कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन ने कहा, 'नाम बदलना तो मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाना है, जिससे लोग इसमें उलझे रहें। दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपको अब महात्मा गांधी से भी दिक्कत है, आप नाम बदल रहे हैं। आप प्रावधान भी बदल रहे हैं, पहले केंद्र सरकार 90 फीसदी रकम देती थी, अब आप 60:40 प्रतिशत कर रहे हैं, गरीब राज्य कहां से पैसा लाएंगे? आपको मजदूरी बढ़ानी चाहिए थी। आपने 100 को 125 दिन दिया लेकिन 2006 में कांग्रेस यह योजना 100 दिनों के लिए लाई थी अब आपको कम से कम 150 दिन करना चाहिए था। इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए बात होनी चाहिए थी।'
