अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नहीं चाहते हैं कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग सेना या सुरक्षाबलों में रहें। उन्होंने 30 दिनों के भीतर ट्रांसजेंडरों को सेना से बाहर निकालने का आदेश दिया है। अमेरिकी सेना को 30 दिनों के अंदर उनकी पहचान करनी होगी और सेना से बाहर की राह दिखानी होगी।
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने कार्यकारी आदेश में सत्ता संभालते ही फैसला किया था कि अमेरिका में तीसरा जेंडर नहीं होगा, सिर्फ महिला और पुरुष ही होंगे। उन्होंने अब अपनी एंट्री ट्रांसजेंडर नीति को लागू करने के आदेश दिए हैं और समयसीमा तय की है।
30 दिनों की ट्रम्प ने दी डेडलाइन
अमेरिकी सेना के अधिकारी अब यह पहचान करेंगे कि कौन-कौन ट्रांसजेंडर सेना का हिस्सा होंगे। सैनिकों के साथी यह बता दें या वे खुद ऐलान कर दें कि वे ट्रांस हैं, उन्हें सेना से हटा दिया जाएगा। रक्षा विभाग को राष्ट्रपति कार्यालय से ज्ञापन मिला है।
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डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश के मुताबिक 26 मार्च तक जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित या इलाज कराने वाले सदस्यों की पहचान के लिए प्रक्रियाएं तय की जाएं। जैसे ही ट्रांस व्यक्ति की पहचान हो, उन्हें सेवा से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। इसके लिए सिर्फ 30 दिनों का ही समय होगा।
क्यों अमेरिका में हो रहा है ऐसा?
अमेरिका डोनाल्ड ट्रम्प से पहले प्रगतिशील देशों में शुमार रहा है लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषित तौर पर अपनी ट्रांस विरोधी नीतियों का ऐलान कर दिया है। उन्होंने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे कि ट्रांसजेंडर लोगों को सेना से बैन किया जाएगा। उनकी नीतियों को कानूनी तौर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर ही सैकड़ों सैन्य कर्मियों की पहचान की जा सकती है। अमेरिकी सैन्य कर्मियों की संख्या करीब 21 लाख है। इसमें ट्रांस सैनिकों की संख्या बेहद सीमित है। अब जो हैं, उन्हें भी हटा दिया जाएगा।
क्यों हटाए जा रहे हैं ट्रांसजेंडर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रक्षा सचिव पीट हेगसेथ का मानना है कि ट्रांसजेंडर सैन्य कर्मियों के लिए तय मानकों को पूरा नहीं कर पाते हैं। अमेरिकी प्रशासन का कहना है, 'जो लोग जेंडर डिस्फोरिया का इलाज करा रहे हैं या उनका इतिहास है, जिनमें ऐसे लक्षण दिखते हैं, वे सैन्य सेवा के लिए जरूरी मानसिक और शारीरिक क्षमताओं के लिहाज से फिट नहीं हैं।' अमेरिकी प्रशासन की ओर से कहा गया है कि ट्रांसजेंडर सैनिकों की तरह आक्रामक नहीं हो सकते हैं, किसी का जेंडर नहीं बदला जा सकता है, वह जन्म के साथ ही वही रहता है।
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ट्रांसकर्मियों को अब कोर्ट से आस
डोनाल्ड ट्रम्प के फैसले के खिलाफ 6 ट्रांसजेंडर सर्विस वर्कर्स ने अदालतों में अर्जी दी है। याचिका में कहा गया है कि उनका रवैया ट्रांसफोबिक है, वह ट्रांस समुदाय से दुश्मनी रखते हैं और असमानता को बढ़ावा दे रहे हैं। सहयोगियों और जनता की नजर में उन्हें अपमानित किया जा रहा है। मानवाधिकार मिशन में कानूनी मामलों वाइस प्रेसीडेंड सारा वारबेलो ने कहा, 'अचानक, आपको खुद के बारे में बताना होगा। दूसरे लोग भी बताएंगे।
अगर आपका सेना में कोई अच्छा दोस्त है, जिसे पता है कि आप ट्रांसजेंडर हैं, नई गाइडलाइन के मुताबिक उन्हें अगर महिला ट्रांसजेंडर हैं तो आपको खुद को उजागर करने की आवश्यकता होगी। अन्य लोगों को भी आपको उजागर करने की आवश्यकता होगी। दि सेना में आपका कोई सबसे अच्छा दोस्त है जो संयोग से जानता है कि आप ट्रांसजेंडर हैं, तो इस नए मार्गदर्शन के तहत उन्हें - यदि आप एक महिला हैं जो ट्रांसजेंडर हैं तो उन्हें सर, अगर पुरुष ट्रांसजेंडर हैं तो मैम कहना शुरू करना होगा।'
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करो या मरो की स्थिति में सेना!
रक्षा विभाग को मिले आदेश में कहा गया है कि अपने ट्रांस साथियों की सैन्य कर्मी पहचान जाहिर करें। वे यह तय करें कि आदेश का उल्लंघन करना है या जानकारी सार्वजनिक करनी है। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो सजा सुनाई जा सकती है।
अमेरिका में कितने हैं ट्रांसजेंडर?
अमेरिकी सेना के अधिकारियों ने अनुमान जताया है कि नौसेना में 600 और सेना में 300 से 500 ट्रांसजेंडर सैनिक हो सकते हैं। उनकी पहचान मेडिकल रिकॉर्ड के जरिए ही की जा सकती है।