भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थापित हो चुकी है। देश के ज्यादातर राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है लेकिन पंजाब में पार्टी लगातार फेल होती जा रही है। पार्टी तमाम कोशिशों के बावजूद पंजाब में अब तक कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में गुटबाजी खुलकर सामने आई थी। इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उठाया और पंजाब कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करवा लिया।

 

पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस हार की मुख्य वजह पार्टी के अंदर की गुटबाजी थी। पार्टी के तमाम बड़े नेता आपस में लड़ रहे थे। मुख्यमंत्री पद से कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर चरनजीत सिंह चन्नी को कमान सौंप दी गई थी लेकिन इसके बावजूद पार्टी सिर्फ 17 सीट ही जीत पाई। इस करारी हार के बाद कांग्रेस के कई नेता एक-एक करके पार्टी छोड़ने लगे। इन में से कई नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। 

 

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बीजेपी में शामिल हुए नेताओं का क्या हुआ?

बीजेपी ने पंजाब में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए दूसरी पार्टी के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने की रणनीति पर काम किया। इसके तहत पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ को पार्टी में शामिल करवाया गया। पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी का विलय बीजेपी में किया गया। पंजाब में लंबे समय तक कांग्रेस और अकाली सरकार में वित्त मंत्री रहे मनप्रीत बादल को भी बीजेपी में लाया गया। पंजाब कांग्रेस के बड़े नेता रवनीत सिंह बिट्टू को भी पार्टी में शामिल किया गया। इसके अलावा भी कई नेताओं को बीजेपी में जगह दी गई। भारतीय जनता पार्टी को कई लोग पंजाब में पुराने कांग्रेसी नेताओं की पार्टी कहने लगे थे। हालांकि, बीजेपी की यह रणनीति भी पंजाब में फेल होती हुई नजर आ रही है और पार्टी के बड़े नेता अब फिर से शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन करने की बात कह रहे हैं।

बीजेपी में शामिल नेताओं का क्या हुआ?

पंजाब कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल ज्यादातर नेता पार्टी के लिए कुछ खास नहीं कर पाए। 2024 के लोकसभा चुनाव में तमाम बड़े चेहरों के पार्टी में होने के बाद भी पार्टी को करारी हार मिली। बीजेपी ने कांग्रेस से आए सुनील जाखड़ को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी दी थी। सुनील जाखड़ ने पूरे प्रदेश में संगठन को मजबूत करने का प्रयास भी किया लेकिन इसका जमीन पर कुछ खास असर दिखाई नहीं दिया। पिछले साल ही वह प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। हालांकि, बीजेपी ने उनको पदभार से मुक्त नहीं किया है। लंबे समय से सुनील जाखड़ पार्टी के काम में सक्रिय नहीं हैं लेकिन इस साल हुए लुधियाना उपचुनाव के दौरान वह सक्रिय रहे। बीजेपी ने अभी तक उन्हें पद से नहीं हटाया लेकिन उनके साथ पठानकोट से विधायक अश्वनी शर्मा को प्रेदश का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया है। 

 

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2021 में कांग्रेस पार्टी से अलग होकर पंजाब लोक कांग्रेस नाम से पार्टी बनाई थी लेकिन उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में करारी हार मिली थी। इस हार के बाद उन्होंने 19 सितंबर 2022 को अपनी पार्टी का विलय बीजेपी में कर लिया था। इसके बाद से वह बीजेपी में हैं। उनकी पत्नी कांग्रेस से सांसद थीं लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के बाद उनका भी पार्टी छोड़ना लगभग तय था।

 

उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया और अपनी सीट अमृतसर से ही चुनाव लड़ा। हालांकि, इस सीट से उन्हें आम आदमी पार्टी के नेता बलबीर सिंह से हार का सामना करना पड़ा। कैप्टन अमरिंदर सिंह अब खुलकर बीजेपी और अकाली दल के गठबंधन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर बीजेपी अकाली दल के साथ गठबंधन नहीं करती तो 2032 में भी सरकार नहीं बना पाएगी। 

 

रवनीत सिंह बिट्टू भी बीजेपी के उन नेताओं की लिस्ट में शामिल हैं, जिन्हें कांग्रेस से पार्टी में लाया गया है। उन्होंने 24 मार्च 2024 को बीजेपी का दामन थाम लिया था। इसके बाद उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में लुधियाना से टिकट दिया गया लेकिन कांग्रेस नेता राजा वड़िग के हाथों उन्हें हार मिली। हालांकि, इसके बाद भी नरेंद्र मोदी कैबिनेट में राज्य मंत्री के रूप में उन्हें शामिल कर लिया गया और बाद में राज्यसभा के जरिए संसद भेज दिया गया। मौजूदा समय में वह पंजाब बीजेपी में सबसे सक्रिय नेताओं में से एक हैं। वह कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी समेत अकाली दल पर भी आक्रामक हैं।

 

मनप्रीत सिंह पंजाब की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय नेता हैं। उन्होंने अकाली दल और कांग्रेस की सरकारों में मंत्री पद संभाला और सबसे लंबे समय तक वित्त मंत्री रहने का रिकॉर्ड उनके नाम है। 2017 में वह कांग्रेस के टिकट पर बठिंड़ा अर्बन से जीतकर विधानसभा पहुंचे और कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में वित्त मंत्री बने। 2022 में कांग्रेस ने उन्हें बठिंडा अर्बन से ही टिकट दिया लेकिन हार गए। इसके बाद उन्होंने भी भारतीय जनता पार्टी का हाथ पकड़ लिया। बीजेपी ने उन्हें उनकी पुरानी सीट गिद्दड़बाहा से 2024 में हुए उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया लेकिन वह हार गए। इसके बाद से वह राजनीति में कम सक्रिय हैं। 

 

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बाहरी नेताओं का ठिकाना बनी बीजेपी

कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उनकी कैबिनेट में साथी रहे 9 नेता बीजेपी में शामिल हो गए थे। पूर्व मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़, राज कुमार वेरका, सुंदर शाम अरोड़ा, बलबीर सिंह सिद्धू और राणा गुरमीत सोढ़ी जैसे नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। पार्टी में बाहरी नेताओं का दबदबा है। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में एक तिहाई उम्मीदवार कांग्रेस और अकाली दल से बीजेपी में शामिल हुए थे। द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये नेता पार्टी के लिए कुछ खास काम नहीं कर पाए। दूसरी पार्टी से आए नेताओं के कारण पार्टी के पुराने कार्यकर्ता असहज महसूस कर रहे हैं। बीजेपी अभी भी पंजाब में चौथे नंबर की पार्टी है। सुनील जाखड़ और कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे नेता अकाली दल के साथ गठबंधन की मांग कर रहे हैं लेकिन पार्टी अभी अकेले चलो के मूड में दिखाई दे रही है।