उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है, लेकिन इससे पहले बीजेपी ने अपने 14 जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी है। बुधवार देर रात जारी की गई लिस्ट में 14 जिलाध्यक्षों के नाम घोषित किए गए हैं। बीजेपी दो साल से अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की भी तलाश कर रही है। मगर, राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम के ऐलान से पहले ही यूपी में बीजेपी ने संगठन में बदलाव की शुरुआत कर दी है। 14 जिलाध्यक्ष के नामों का ऐलान प्रदेश चुनाव अधिकारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया।
दरअसल, पार्टी ने जिलाध्यक्षों का जिले स्तर पर चुनाव करवाया था। 14 नामों के ऐलान के बाद माना जा रहा है कि बाकी के जिलों में भी जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी। इस प्रक्रिया के पूरे होने के बाद ही यूपी में प्रदेश अध्यक्ष का चयन किया जाएगा। मगर, बीजेपी ने जिन 14 नेताओं को जिला अध्यक्ष बनाया है, इसके मायने दूर तक जाते हैं। पार्टी ने यह कदम बहुत सोच समझकर उठाया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इन नियुक्तिों के पीछे क्या कारण हैं...
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जिलाध्यक्ष के नाम दिलचस्प
बुधवार को जारी की गई बीजेपी जिलाध्यक्ष के नाम दिलचस्प है। इस लिस्ट में ही यूपी की राजनीति के मायने छुपे हुए हैं। दरअसल, इस लिस्ट की एक खास बात ये है कि बीजेपी जिलाध्यक्ष के नामों के आगे उनकी जाति भी लिखी गई है। नामों के आगे सामान्य, पिछड़ा, अनुसूचित जाति लिखकर पार्टी ने नामों की घोषणा की है। जिन 14 जिलों के जिलाध्यक्ष के नाम की घोषणा की गई है, उनमें 7 में सामान्य वर्ग से जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं, जबकि 6 पिछड़ा (OBC) और एक अनुसूचित जाति वर्ग से हैं।
बीजेपी केंद्र से लेकर राज्यों में... खासतौर से उत्तर भारत में पिछड़ों औक दलितों की सियासत कर रही है। ऐसे में पार्टी इस वर्ग की जातियों को साधने के लिए इसी वर्ग के नेताओं को महत्व दे रही है। क्योंकि उत्तर प्रदेश से संदेश दिल्ली तक जाता है, इसलिए पार्टी ने नामों के आगे जाति लिखकर संदेश देने की कोशिश की है।
किन जिलों को मिले नए जिलाध्यक्ष?
सुधीर सिंह को झांसी महानगर का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही फिरोजाबाद, हाथरस, एटा, जालौन, मेरठ, हमीरपुर, फतेहपुर समेत कुल 14 जिलाध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं। इन जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में जातियों का विशेष ध्यान दिया गया है। बीजेपी ने सबसे ज्यादा 7 सामान्य वर्ग के नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया है, जबकि पिछड़े वर्ग के 6 नेताओं को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है।
हरवीर पाल को मेरठ जिले का जिलाध्यक्ष बनाया गया है, जबकि हापुड़ में कविता माधरे (अनुसूचित जाति) को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है। इसी तरह फिरोजाबाद जिला में उदय प्रताप सिंह, हाथरस में प्रेम सिंह कुशवाहा, अलीगढ़ महानगर में राजीव शर्मा और अलीगढ़ जिला में कृष्ण पाल सिंह लाला को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। एटा में प्रमोद गुप्ता को जिलाध्यक्ष, जालौन में उर्विजा दीक्षित और झांसी महानगर में सुधीर सिंह को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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इसी तरह से हमीरपुर में शकुंतला निषाद, फतेहपुर में अन्नू श्रीवास्तव, बाराबंकी में राम सिंह वर्मा, जौनपुर में अजित प्रजापति और कौशाम्बी में धर्मराज मौर्य को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
सामान्य वर्ग से जिलाध्यक्ष
- फिरोजाबाद जिला- उदय प्रताप सिंह
- अलीगढ़ महानगर- राजीव शर्मा
- अलीगढ़ जिला- कृष्ण पाल सिंह लाला
- एटा- प्रमोद गुप्ता
- जालौन- उर्विजा दीक्षित
- झांसी महानगर- सुधीर सिंह
- फतेहपुर- अन्नू श्रीवास्तव
ओबीसी वर्ग से जिलाध्यक्ष
- मेरठ जिला- हरवीर पाल
- हाथरस- प्रेम सिंह कुशवाहा
- हमीरपुर- शकुंतला निषाद
- बाराबंकी- राम सिंह वर्मा
- जौनपुर- अजित प्रजापति
- कौशाम्बी- धर्मराज मौर्य
नियुक्ती के असल मायने
दरअसल, बीजेपी ने जिन छह जिलों में ओबीसी जातियों के नेताओं को जिलाध्यक्ष की जिम्मेवारी सौंपी, इन जिलों में बीजेपी को 2024 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, या फिर पार्टी बहुत कम मार्जिन से चुनाव जीतने में सफल हुई थी। बीजेपी 2024 लोकसभा चुनाव में हमीरपुर (समाजवादी पार्टी), जौनपुर (समाजवादी पार्टी), कौशाम्बी (समाजवादी पार्टी), बाराबंकी (कांग्रेस) से हार गई थी। वहीं, मेरठ में पार्टी महज लगभग 12 हजार वोटों से जीती थी। हालांकि हाथरस में बीजेपी बड़े मार्जिन से जीती थी।
हमीरपुर, जौनपुर, कौशाम्बी और बाराबंकी में समाजवादी पार्टी ने ओबीसी जातियों को एकजुट करके और पीडीए का नारा देकर साधा, जिससे उसे जनता ने पिछले लोकसभा में आशीर्वाद दिया। पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों के भरोसे ही सपा यूपी में अकेले 37 जीतने में कामयाब रही। मेरठ में बीजेपी सांसद अरुण गोविल सामाजवादी पार्टी की सुनीता वर्मा से हारते-हारते बचे थे।
ऐसे में यूपी विधानसभा चुनाव 2027 में प्रस्तावित हैं। बीजेपी आगामी चुनाव में 2024 की गलती या फिर किसी भी तरह की कमी को दूर करने में जी-जीन से जुटी है। पार्टी नहीं चाहती है कि ओबीसी वोटों में बिखराव हो और उसका फायदा समाजवादी पार्टी को मिले। इसी कमी को दूर करने के लिए बीजेपी ने 14 में से 6 जिलों में पिछड़े समाज से जिला अध्यक्ष बनाए हैं।
