भारतीय जनता पार्टी (BJP) पश्चिम बंगाल में अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश कर रही है। साल 2021 में हुए पश्चिम बंगाल चुनावों में बीजेपी ने सत्ता आने के लिए जी-जान झोंक दिया था, 3 सीट से 70 से ज्यादा से ज्यादा सीटें भी आईं लेकिन पार्टी सत्ता में नहीं आ सकी। ममता बनर्जी, अल्पसंख्यक वोटों को साधने में सफल रहीं। अब एक बार फिर वह अल्पसंख्यक बाहुल मालदा, मुर्शिदाबाद और कूचबिाहर में रैलियां कर रहीं हैं। इन जिलों में 40 से ज्यादा विधानसभाएं आतीं हैं, जिन्हें ममता बनर्जी, स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बहाने साधने की कोशिश कर रहीं हैं। बीजेपी के लिए इन्हीं जिलों में हिंदू वोटरों को एकजुट करना बड़ी चुनौती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी चुनौती से निपटने के लिए रणनीति तैयार की है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को राज्य में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर BJP घेरा। उन्होंने कहा कि यह वोटरों को परेशान करने और छल से पश्चिम बंगाल पर कब्जा करने की कोशिश है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सांसदों को सलाह दी कि वे इस मुद्दे पर कड़े बयान देने से बचें और इसे सामन्य प्रशासनिक प्रक्रिया के तौर पर जनता में पेश करें।
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SIR पर जनता से क्या कहेंगे बीजेपी के सांसद?
पश्चिम बंगाल के बीजेपी सांसदों को पीएम मोदी ने साफ संदेश दिया है कि वे बयानबाजी करने की जगह, जनता में यह समझाएं कि यह एक सामान्य चुनाव आयोग की प्रक्रिया है। यह वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने की प्रक्रिया है, जिससे यह तय हो सके केवल वैध वोटर ही वोट दें। जो अयोग्य हैं, उनके नाम हटाए जाएं। अगर कोई अयोग्य वोटरों की संख्या पूछे तो उस पर कोई बयानबाजी न की जाए। कितने नाम कटे, कितने जोड़े गए, इसे बताने का काम, चुनाव आयोग का है।
बीजेपी की ममता बनर्जी के खिलाफ रणनीति क्या है?
बीजेपी हिंदू वोटों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है। बीजेपी मतुआ समुदाय को केंद्र में रखकर आगे बढ़ रही है। बीजेपी के नेता और बनगांव से सांसद शांतनु ठाकुर ने हाल ही में कहा था कि SIR के बाद गिरफ्तारियां होंगी और लोग सीधे डिटेंशन कैंप जाएंगे। ममता बनर्जी ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि बंगाल में कोई डिटेंशन कैंप नहीं बनेगा। कुछ सांसदों के बयानों से यह साफ है कि पीएम मोदी ने साफ संदेश दिया है कि इस तरह की बयानबाजी नहीं होनी चाहिए, जमीन पर सांसद अपनी नीतियों को लेकर स्पष्ट रहें।
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SIR पर ममता बनर्जी बनाम बीजेपी की जंग
तृणमूल कांग्रेस कह रही है कि SIR असल में NRC लागू करने की तैयारी है। असली बंगाली-हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के नाम काटे जाएंगे। चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है। बीजेपी कह रही है कि राज्य सरकार घुसपैठियों को बचाने के लिए यह ड्रामा कर रही है। पार्टी का कहना है कि सिर्फ फर्जी और मरे हुए वोटरों के नाम हट रहे हैं।
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BJP सांसदों को क्या निर्देश मिले हैं?
बुधवार को, बंगाल के कई सांसदों ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। बैठक में मालदा उत्तर के सांसद खगेन मुर्मू भी मौजूद थे, जिन पर अक्टूबर में भीड़ ने हमला किया था। पीएम मोदी ने सांसदों से उनके कामकाज के बारे में फीडबैक और सुझाव मांगे। उन्होंने पूछा कि सांसद बूथ स्तर पर क्या कर रहे हैं।
सांसदों को निर्देश है कि वे केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जनता को जागरूक करें। स्थानीय कार्यकर्ताओं के मुद्दों पर सांसद ध्यान दें, उनके नजरिए से चुनाव की तैयारियों को देखें। बीजेपी सांसदों को यह भी निर्देश मिला है कि जिन योजनाओं को राज्य सरकार की मंजूरी नहीं मिली है, उनके बारे में जनता को बताएं। जो क्षेत्र पिछड़े हैं, उन पर ध्यान दिया जाए।
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अब बीजेपी कौन सा दांव चल रही है?
2026 विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी भ्रष्टाचार और कल्याण योजनाओं की अनियमितताओं पर तीखा हमला कर रही है। हिंदू वोटों को एकजुट करने के लिए अवैध घुसपैठियों और अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के आरोप बीजेपी, टीएमसी पर लगा रही है। मतुआ समुदाय और हिंदुत्व के हितों की बात बीजेपी नेता मुखर होकर कर रहे हैं।
जमीनी स्तर पर बूथ कमेटियों को मजबूत कर महिलाओं-केंद्रित अभियान चलाए जा रहे। एक तरफ टीएमसी जहां SIR को वोटरों को डराने का हथियार बता रही है, बीजेपी ममता बनर्जी की इस नीति को अल्पसंख्य तुष्टीकरण बता रही है।
बीजेपी ममता बनर्जी के दुर्गा आंगन प्रोजेक्ट के जवाब में बीजेपी जय मां काली से दे रही है। बीजेपी इस बार 150 से ज्यादा सीटें हासिल करना चाहती है। ममता बनर्जी की छवि को विकास विरोधी पेश करने की कोशिशों में जुटी है।
