दिल्ली में रेखा गुप्ता दिल्ली की सीएम बनने वाली हैं और गुरुवार को वह शपथ लेंगी। रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण की तैयारियां हो चुकी हैं। काफी लोगों को निमंत्रण भेजा गया है। तमाम फिल्मी और राजनीति हस्तियों के साथ साथ आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को न्यौता भेजा गया है।
जब निमंत्रण पत्र भेजा गया था तब तक सीएम के नाम पर बीजेपी की तरफ से मोहर नहीं लगी थी। आप ने आलोचना करते हुए यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण में बुलावा तो भेजा लेकिन उसमें नाम नहीं लिखा कि कौन बनेगा मुख्यमंत्री?
खैर, ये सब तो ज़ुबानी जंग है जो अगले पांच साल तक अब चलती रहेगी। आरोप-प्रत्यारोप लगते रहेंगे, लेकिन इन सबके बीच एक सवाल यह भी है कि आखिर रेखा गुप्ता के सीएम बनने की वजह से आम आदमी पार्टी को कितना नुकसान होने वाला है?
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जातिगत वोटर्स पर पकड़
दिल्ली में वैश्य कम्युनिटी के लगभग 10 प्रतिशत लोग हैं। ऐसी स्थिति में कोई भी पार्टी इन वोटर्स को साधना चाहेगी। रेखा गुप्ता खुद भी वैश्य कम्युनिटी से आती हैं और उनके पति मनीष गुप्ता भी बिजनेसमैन हैं तो उनको सीएम बनाने से वैश्य समुदाय के लोगों को अपनी तरफ खींचने में मदद मिलेगी।
इसका अच्छा उदाहरण यह है कि चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल से जब पूछा गया था कि अपनी फ्रीबीज़ के लिए वह पैसा कहां से लाएंगे तो उन्होंने कहा था कि 'बनिया' हूं जानता हूं पैसा कहां से लाना है। ज़ाहिर सी बात है कि वह सांकेतिक रूप से समुदाय विशेष को अपनी तरफ खींचना चाह रहे थे।
ऐसे में अगर बीजेपी वैश्य समुदाय के लोगों को अपने साथ जोड़ पाती है तो आम आदमी पार्टी को भारी नुकसान होगा।
महिला वोटर्स को खींचना
दिल्ली में महिला वोटर्स को हमेशा से काफी प्रभावी माना जाता रहा है। इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा वोटिंग की। पुरुषों का वोट प्रतिशत जहां पर 60.21 था वहीं महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 60.92 था।
ध्यान से देखेंगे तो चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी का खास फोकस महिला वोटर्स की तरफ ही था, चाहे वह बसों में किराया फ्री करने की बात हो या फिर महिलाओं के अकाउंट में पैसे देने की बात हो। यह सारी योजनाएं महिलाओं को अपनी तरफ खींचने के लिए थीं।
अब बीजेपी ने उसको साधने के लिए एक महिला को मुख्यमंत्री बनाया है ताकि महिला वोटर्स को अपनी तरफ खींचा जा सके। अगर महिला वोटर्स को अच्छी तरह से बीजेपी खींचने में सफल हो जाती है तो यह आम आदमी पार्टी के लिए खासा नुकसानदायक होगा।
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हरियाणा फैक्टर
तीसरा फैक्टर है हरियाणा का। दिल्ली में हरियाणा मूल के लोगों की भी काफी बड़ी संख्या है। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को इसका भी लाभ मिलता रहा है। समय समय पर वह अपने आपको 'हरियाणा का बेटा' बुलाते रहे हैं।
रेखा गुप्ता भी मूल रूप से हरियाणा की ही हैं। उनके पिता बैंक में नौकरी करते थे। दिल्ली ट्रांसफर के बाद वह यहीं आकर बस गए और रेखा गुप्ता की पढ़ाई लिखाई यहीं पर हुई।
तो रेखा गुप्ता केजरीवाल के उस फैक्टर को भी न्यूट्रलाइज कर देंगी। ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए यह भी काफी बड़ा नुकसान हो सकता है।
नई तरह की राजनीति
अरविंद केजरीवाल ने जब पार्टी बनाई थी तो उन्होंने एक नई तरह की राजनीति करने का वादा किया था। वह एक आंदोलन से उठकर आए थे जिससे लोगों के मन में भरोसा जगा था कि अब दिल्ली को शायद नया कुछ देखने को मिलेगा।
रेखा गुप्ता किसी आंदोलन से तो उठकर नहीं आई हैं, लेकिन यह बात जरूर है कि उनका विवादों से बहुत ज्यादा नाता नहीं रहा है। ऐसे में बीजेपी एक नई तरह की राजनीति दिल्ली में शुरू कर सकती है जिसकी लंबे समय में बीजेपी तो फायदा पहुंच सकता है। अगर ऐसा होता है तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए खतरे की घंटी होगी क्योंकि अगर बीजेपी अपनी जड़ें ठीक से दिल्ली में जमा लेगी तो आप के अस्तित्व पर संकट आ जाएगा।
संभवतः इसीलिए खबरें आ रही हैं कि केजरीवाल अब गुजरात और पंजाब में पार्टी को मजबूत करने की कमान संभालेंगे और दिल्ली की कमान आतिशी को देंगे क्योंकि उन्हें पता है कि अगर अन्य राज्यों में आम आदमी पार्टी को मजबूत नहीं किया गया तो पार्टी के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो जाएगा।
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