कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच जो खींचतान चल रही है, वह अब खुलकर सामने आ गई है। दोनों के बीच कई हफ्तों से सीएम पद को लेकर खींचतान चल रही है। मगर गुरुवार को दोनों के सोशल मीडिया पर 'शब्दों की ताकत' को लेकर तीखी बयानबाजी हुई। सोशल मीडिया पोस्ट में दोनों 'शब्द की कीमत' पर जोर दे रहे हैं।


सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच चल रही खींचतान पर बेंगलुरु से दिल्ली तक बैठकें हो रही हैं। सिद्धारमैया जहां साफ कर चुके हैं कि वही 5 साल तक सीएम रहेंगे। तो वहीं शिवकुमार ने पिछले दिनों 'सीक्रेट डील' का राग छेड़ दिया था।


अब तक दोनों ही खुद को कांग्रेस का सिपहसालार बताते आ रहे थे और कह रहे थे कि हाईकमान जो फैसला लेगा, वही माना जाएगा। मगर अब दोनों खुलकर एक-दूसरे पर हमले करने लगे हैं। 


दोनों के बीच यह खींचतान ऐसे वक्त खुलकर सामने आ गई है, जब 20 नवंबर को ही सिद्धारमैया की सरकार ने ढाई साल पूरा किया है। ऐसा कहा जाता रहा है कि मई 2023 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पावर शेयरिंग डील हुई थी, जिसमें तय हुआ था कि ढाई साल सिद्धारमैया और उसके बाद ढाई साल शिवकुमार सीएम रहेंगे। कुछ दिन पहले शिवकुमार ने जिस 'सीक्रेट डील' का जिक्र किया था, उसे इसी कथित पावर शेयरिंग डील से जोड़कर देखा जा रहा।

 

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शिवकुमार ने अब क्या कहा?

सिद्धारमैया के साथ चल रही खींचतान पर शिवकुमार ने पहली बार सोशल मीडिया पोस्ट पर खुलकर कहा है। उन्होंने गुरुवार को एक पोस्ट करते हुए लिखा, 'अपनी बात पर कायम रहना दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है।'

 

 

उन्होंने आगे लिखा, 'शब्दों की ताकत ही दुनिया की ताकत है। चाहे जज हो या राष्ट्रपति हो या कोई और, जिसमें मैं भी शामिल हूं, हम सभी को अपनी कही बात पर चलना होगा। अपनी बात की ताकत की दुनिया की ताकत है।'


शिवकुमार की इस पोस्ट को 'सीक्रेट डील' वाली बात से जोड़कर देखा जा रहा है। उन्होंने हाल ही में कहा था, 'मैंने मुख्यमंत्री बनाने के लिए नहीं कहा है। यह हम 5-6 लोगों के बीच एक 'सीक्रेट डील' है। मैं इस पर पब्लिकली कुछ नहीं कहना चाहता। मुझे अपनी अंतरात्मा पर भरोसा है। हमें अपनी अंतरात्मा से काम लेना चाहिए। मैं किसी भी तरह से पार्टी को शर्मिंदा नहीं करना चाहता और उसे कमजोर नहीं करना चाहता। अगर पार्टी है तो हम हैं। अगर कार्यकर्ता हैं तो हम हैं।'

 

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सिद्धारमैया ने भी किया पलटवार

शिवकुमार ने सुबह 8:21 बजे पोस्ट की थी। इसके लगभग 10 घंटे बाद शाम 6:39 बजे सिद्धारमैया ने भी एक पोस्ट की। इसमें सिद्धारमैया ने भी ठीक उसी तरह की भाषा का इस्तेमाल किया, जैसी शिवकुमार ने की थी। पोस्ट में सिद्धारमैया ने उन कामों की लिस्ट भी रखी, जिसे वह अपने बचे हुए कार्यकाल में पूरा करेंगे।


सिद्धारमैया ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'कर्नाटक के लोगों का दिया हुआ जनादेश एक पल का नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है जो पूरे 5 साल तक चलती है।'

 

 

उन्होंने आगे लिखा, 'कोई शब्द तब तक ताकत नहीं है, जब तक वह लोगों के लिए दुनिया को बेहतर न बनाए। कर्नाटक के लिए हमारे शब्द सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि यह हमारे लिए दुनिया है।'


सिद्धारमैया ने पोस्ट में दावा किया कि जब वह 2013 से 2018 के बीच मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने 165 में से 157 वादे पूरे किए थे। उन्होंने लिखा, 'इस कार्यकाल में 593 में से 243+ वादे पहले ही पूरे किए जा चुके हैं और बाकी हर वादा कमिटमेंट और भरोसे के साथ पूरा किया जाएगा।'

 

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2.5 साल का फॉर्मूला बना मुसीबत!

सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच तनातनी की वजह '2.5 साल का फॉर्मूला' है। यही फॉर्मूला कांग्रेस में अंदरूनी कलह की वजह बन गया है। 


कर्नाटक से पहले कांग्रेस को इसी कथित फॉर्मूले की वजह से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी खींचतान का सामना करना पड़ा है। इन दोनों राज्यों में खींचतान की वजह से कांग्रेस को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी। मध्य प्रदेश में तो ज्योतिरादित्य सिंधिया पाला बदलकर बीजेपी में आ गए थे। वहीं, छत्तीसगढ़ में जहां कांग्रेस 2018 में भारी बहुमत से सत्ता में आई थी, उसे 2023 के चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।


अब सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच खींचतान चल रही है। बार-बार शिवकुमार समर्थक विधायक दिल्ली पहुंच रहे हैं और हाईकमान पर शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने का दबाव डाल रहे हैं। 


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में बेंगलुरु में सिद्धारमैया और उसके बाद शिवकुमार के साथ मुलाकात की थी। खड़गे का कहना है कि कर्नाटक को लेकर हाईकमान ही फैसला लेगा।