पूर्वोत्तर की राजनीति में एक बड़े बदलाव की शुरुआत होने जा रही है। कई बड़े और अहम राजनीतिक दलों ने एक मंच पर आने की दिशा में आने की ओर कदम बढ़ा दिया है। इन दलों का कहना है कि वे सब मिलकर संयुक्त रूप से नई पार्टी बनाएंगे। मंगलवार को मेघालय के मुखिया और नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) के मुखिया कोनराड संगमा, तिपरा मोथा के संस्थापक प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा, पीपल्स पार्टी के संस्थापक डैनियल लांगथासा समेत तमाम नेता एक मंच पर आए और एलान किया कि वे मिलकर नई पार्टी बनाएंगे। इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है जो 45 दिन में यह तय करेगी कि पार्टी का नाम, झंडा और उसका एजेंडा क्या होगा। इस मौके पर कोनराड संगमा से यह भी पूछा गया कि वह अभी की तरह नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (NDA) के साथ रहेंगे या नहीं? इस पर उनका कहना था कि जो जैसा है, वैसा चलता रहेगा।
दिल्ली में हुई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोनराड संगमा (मेघालय), भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्ता रहे एम किकोन (नागालैंड), असम की पीपल्स पार्टी के संस्थापक डैनियल लांगथासा और तिपरा मोथा के संस्थापक प्रद्योत देबबर्मा (त्रिपुरा) शामिल थे। इनमें से NPP और तिपरा मोथा फिलहाल एनडीए के साथ हैं। एनपीपी की मेघालय में सरकार है और तिपरा मोथा त्रिपुरा की बीजेपी सरकार में शामिल है।
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क्या बोले कोनराड संगमा?
प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कोनराड संगमा ने कहा, 'हमारे अलग-अलग राजनीतिक दल हैं और ये सब आज मिलकर एक पार्टी और एक आइडेंटिटी बनना चाह रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम सभी पार्टियों के साथ बात करें और इस पर पहुंचें कि सब तैयार हों कि हम किस तरह से काम करेंगे। इसलिए हमने ऐसी कमेटी बनाई है जिसमें सब पार्टियों के लोग बैठेंगे। ये लोग अगले 45 दिन के अंदर हमें रिपोर्ट देंगे कि क्या-क्या बात हुई है और क्या सहमति बनी है। इसी के आधार पर हम आगे बढ़ेंगे। नाम को लेकर , सिद्धांतों को लेकर, संविधान को लेकर हम एक राय बनाएं।'
जब उनसे एनडीए में रहने या न रहने के बारे में सवाल पूछा गया तो उनका कहना था, 'इसको उससे मत जोड़िए। जिस तरह से हमारा काम हो रहा है, हम केंद्र के साथ काम कर रहे हैं, इसको उससे कतई मत जोड़िए। ना तो हमें कोई शिकायत है, ना हम किसी के खिलाफ हैं। हमें लगता है कि हम साथ में काम करना चाहते हैं। जनता की मांग बहुत साल से है कि राजनीतिक पार्टी आपस में जुड़ें। हम लोगों ने निर्णय लिया है कि हम साथ में काम करेंगे।'
तिपरा मोथा के प्रद्योत देबबर्मा ने इस मौके पर कहा, 'जो कमेटी बनाई गई है, वह बाकी के दलों से भी संपर्क करेगी। राजनीति में हमें क्या लगता है कि लोगों के अधिकार के लिए हमें बात करनी चाहिए। मुझे लगता है कि हमारे अधिकारों और समस्याओं के लिए हम एक साथ आएं और हमारी अगली पीढ़ी के लिए एक साथ काम करें। हम नहीं चाहते हैं कि हमने या हमारे पुरखों ने जो दर्द झेला, वह अगली पीढ़ी ने झेले। हमारे सामने अवैध घुसपैठियों जैसी कॉमन समस्या है।'
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क्या है नॉर्थ ईस्ट का समीकरण?
सबसे पहले मेघालय की बात करें तो वहां पर कोनराड संगमा की NPP 2018 से ही सरकार चला रही है। 2023 में उनकी पार्टी को 26 सीटें ही मिली थीं और फिलहाल यह सरकार बीजेपी, यूनाइटेड डेमोक्रैटिक पार्टी और पीपल्स डेमोक्रैटिक फ्रंट के समर्थन से चल रही है। इसी साल नागालैंड में भी चुनाव हुए थे और वहां भी कोनराड संगमा की पार्टी के 5 विधायक जीते थे। मणिपुर में भी NPP के 7 विधायक जीते थे। इन्हीं नतीजों के दम पर एनपीपी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर चुकी है और एनडीए की सहयोगी है।
दूसरी तरफ, त्रिपुरा में नई पार्टी बनाने वाले प्रद्योत देबबर्मा की तिपरा मोथा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में सबको चौंका दिया था। तब उनकी पार्टी के 13 विधायक जीते थे और यह पार्टी बीजेपी के बाद दूसरे नंबर पर रही थी। बाद में तिपरा मोथा भी त्रिपुरा सरकार में शामिल हो गई। यानी तिपरा मोथा भी एनडीए के ही साथ है। दूसरी तरफ, एम किकोन पहले बीजेपी के ही प्रवक्ता और नागालैंड सरकार में मंत्री रहे हैं। पीपल्स पार्टी असम की कई सीटों पर चुनाव लड़ी थी लेकिन उसे जीत हासिल नहीं हुई थी।
