पंजाब की राजनीति में इन दिनों एक सवाल ऐसा है जिसका जवाब खोजने की कोशिश में दो पार्टियों के नेता लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और पंजाब में कई साल तक शासन चलाने वाले शिरोमणि अकाली दल (SAD) के बीच गठबंधन की चर्चा आम हो गई है। बीजेपी और अकाली दल के कई नेता तो खुलकर दोनों पार्टियों के गठबंधन की पैरवी कर चुके हैं तो कई नेता पार्टी के अनुशासन को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक तौर पर बयान देने से बच रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2027 चुनाव आते-आते दोनों दलों के बीच गठबंधन होना तय है। इस बीच अब सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें लोगों से अकाली दल और बीजेपी के गठबंधन को लेकर सवाल किए जा रहे हैं। 

 

दैनिक भास्कर और यूएनआई न्यूज एजेंसी ने सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि पंजाब में आम लोगों को फोन कॉल आ रहे हैं और फोन पर लोगों से बीजेपी अकाली दल के गठबंधन को लेकर सवाल किए जा रहे हैं। इस वीडियो को दोनों पार्टियों के बीच गठजोड़ की संभावनाओं से जोड़कर किया जा रहा सर्वे बताया जा रहा है। दोनों पार्टियों के नेताओं की गठबंधन को लेकर हाल में हुई बयानबाजी के बाद आई इस वीडियो ने गठबंधन को लेकर चर्चाएं एक बार फिर शुरू कर दी हैं।

 

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फोन पर किए जा रहे सवाल

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि पंजाब में लोगों को एक सर्वे में हिस्सा लेने के लिए फोन कॉल आ रहे हैं। पंजाब की राजनीति में यह सर्वे सुर्खियों में बना हुआ है। वीडियो में लोगों से दो सवाल किए जा रहे हैं। पहला कि क्या आप शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी का गठजोड़ चाहते हैं? दूसरा सवाल यह कि अगर 2027 विधानसभा चुनाव में बीजेपी और अकाली दल का गठबंधन होता है तो आप किसे वोट देंगे? फोन पर ही लोगों को 1,2,3 बटन दबाकर अलग-अलग विकल्प चुनने का मौका दिया जा रहा है। 

नेताओं ने सर्वे से किया मना

मीडिया में इस सर्वे की बात सामने आने के बाद जब दोनों पार्टियों के नेताओं से संपर्क किया गया तो दोनों पार्टी के नेताओं ने इस तरह के सर्वे से इनकार किया है। हालांकि, दोनों पार्टियां बेशक सर्वे से मना कर रही हों लेकिन दोनों ही तरफ के कई नेता गठबंधन चाहते हैं। बीजेपी के सीनियर लीडर और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर बीजेपी अकाली दल से गठबंधन नहीं करती तो 2032 में भी सरकार नहीं बना पाएगी। उन्होंने कहा था की अकाली दल से गठबंधन करने से बीजेपी को जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ता मिलेंगे और दोनों मिलकर सरकार बना सकते हैं।

बीजेपी एकमत नहीं

दोनों पार्टियों के गठबंधन की बात करें तो अमरिंदर सिंह के अलावा पंजाब बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी अकाली दल से गठबंधन करने की बात कह चुके हैं। वह कई बार सार्वजनिक मंचों से कह चुके हैं कि बीजेपी और अकाली दल को एक साथ आ जाना चाहिए। हालांकि, बीजेपी में अकाली दल को लेकर एकमत नहीं है। पंजाब बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा अकाली दल से गठबंधन का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि बीजेपी अकेले दम पर सरकार बनाने के काबिल है। सर्वे के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी सर्वे बीजेपी की तरफ से नहीं करवाया गया है। बीजेपी नेता विनीत जोशी ने सर्वे के बारे में कहा कि हमें सर्वे की जरूरत ही नहीं है, पिछले चुनावों में मिले वोट सर्वे ही तो हैं। इसलिए हमारी पार्टी कोई भी सर्वे नहीं कर रही है।

अकाली दल का स्टैंड 

अकाली दल के नेताओं ने भी इस तरह के सर्वे से इनकार किया है और इसे विपक्ष का भ्रामक प्रचार बताया है। हालांकि, पार्टी की सीनियर नेता और सांसद हरसिमरत कौर गठबंधन की ओर इशारा कर चुकी हैं। उन्होंने बीजेपी के सामने कुछ शर्तें रखी थी। कुछ दिन पहले हरसिमरत कौर बादल ने कहा था कि बीजेपी और अकाली दल का गठजोड़ हो सकता है लेकिन उसके लिए बीजेपी को पंजाब के मुद्दों को हल करना होगा।

 

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अकाली दल भी जानता है कि अगर उन्हें पंजाब की सत्ता में वापसी करनी है तो बीजेपी के साथ गठजोड़ करने के अलावा उनके पास कोई और विकल्प नहीं है। पंजाब में अकाली दल का गिरता ग्राफ और पार्टी के नेताओं में आपसी टकराव के कारण पार्टी लगातार चुनाव हार रही है। ऐसे में अकाली दल के नेता भी चाहते हैं कि उन्हें कोई मजबूत साथी मिले। पिछले चुनाव में अकाली दल ने बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) के साथ गठबंधन किया था लेकिन गठबंधन का रिजल्ट पर कोई असर दिखाई नहीं दिया। अकाली दल की हार का सिलसिला जारी रहा। 

करीब पांच दशक तक साथ रहे

शिरोमणि अकाली दल भारतीय जनता पार्टी का सबसे पुराना सहयोगी था। बीजेपी और अकाली दल 1969 में एक साथ आए थे। उस समय जन संघ ने अकाली दल की सरकार को बाहर से समर्थन दिया था। 1992 तक बीजेपी और अकाली दल अलग-अलग चुनाव लड़ते थे लेकिन चुनाव के बाद एक साथ आ जाते थे। 1994 तक अकाली दल सिर्फ सिखों की पार्टी थी लेकिन इसके बाद अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी रास्ते खोले गए। इसके बाद 1997 में बीजेपी और अकाली दल ने एक साथ चुनाव लड़ा था। अकाली बीजेपी का गठजोड़ पंजाब में कई सालों तक कामयाब रहा और पार्टी कई बार सत्ता में आई।

 

2017 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन पंजाब की सत्ता से बाहर हुआ और 2020 में 25 साल पुराना गठबंधन किसान कानूनों के कारण टूट गया। अकाली दल ने किसान कानूनों का विरोध किया। 17 दिसंबर 2020 को किसान कानूनों के विरोध में हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव दोनों दलों ने अलग-अलग लड़े। अकाली दल ने बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर एक नया प्रयोग किया, जो बुरी तरह असफल रहा। अब दोनों पार्टियों में अंदरखाने गठबंधन की मांग उठ रही है लेकिन बीजेपी के नेताओं का कहना है कि गठबंध का फैसला तो आलाकमान ही करेगा।