कृषि कानूनों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उनके सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन टूट गया था। करीब 25 सालों तक एक साथ चुनाव लड़ने के बाद 2020 से दोनों पार्टी पंजाब में अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं। 2022 का विधानसभा चुनाव हो या फिर 2024 का लोकसभा चुनाव दोनों पार्टी के कई बड़े नेता गठबंधन की पैरवी करते हैं लेकिन हर बार बात अटक जाती है और नतीजा दोनों पार्टियों की हार के रूप में सामने आता है। 2027 के विधानसभा चुनावों में अभी समय है लेकिन दोनों पार्टियों के कई नेता गठबंधन को लेकर बेचैन हैं। दोनों तरफ कई नेता चाहते हैं कि गठबंधन हो और चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का विकल्प खड़ा किया जा सके।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब में बीजेपी और अकाली दल के साथ गठबंधन की बात कही। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि बीजेपी पंजाब में इस स्थिति में नहीं है कि अकाली दल के बिना सरकार बना पाए। अपने दम पर सरकार बनाने के लिए बीजेपी को 2-3 चुनावों का समय लग जाएगा। उन्होंने कहा, 'अकाली दल के साथ गठबंधन के बिना सरकार बनाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है।' उनका मानना है कि अकाली दल बीजेपी को जमीनी नेटवर्क देता है जो पार्टी की जीत सुनिश्चित कर सकता है। कैप्टन अमरिंदर के अलावा कई बीजेपी नेता अकाली दल के साथ गठबंधन चाहते हैं।
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कांग्रेस ने ली चुटकी
पंजाब में अकाली दल को उखाड़कर 2017 में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। इसके बाद से अकाली दल और बीजेपी एक भी चुनाव में सफलता हासिल नहीं कर पाए। अब जब 2027 के चुनावों के लिए अकाली दल और बीजेपी के गठबंधन को लेकर चर्चा शुरू हो गई है तो कांग्रेस की ओर से भी बयान आया। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद राजा वारिंग ने खुद मोर्चा संभाला। उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयान पर कहा कि वह सही कहते हैं पंजाब में बीजेपी का अकेले कोई भविष्य नहीं है।
उन्होंने बीजेपी-अकाली गठजोड़ को लेकर कहा, 'बीजेपी और अकाली दोनों ही पंजाब से पहले ही खत्म हो चुके हैं। उनके फिर से उठने का कोई स्कोप नहीं है। अगर अकाली और बीजेपी गठबंधन भी कर लेते हैं तो भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जीरो प्लस जीरो हमेशा जीरो होता है। हालांकि, कैप्टन साहब की यह बात जरूर माननी पड़ेगी कि वह समझदार हो गए हैं और उन्होंने अपनी पार्टी को आईना दिखाया है।' राजा वारिंग ने बीजेपी पर पंजाब विरोधी होने का आरोप लगाया।
'जीरो थे जीरो ही रहेंगे'
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष ने जो बयान दिया है उसके पीछे बीजेपी और अकाली दल का बीते विधानसभा चुनावों का प्रदर्शन है। 2020 में गठबंधन से अलग होने के बाद बीजेपी और अकाली दल ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और दोनों की बुरी हार हुई। बीजेपी 2 सीटों पर तो अकाली दल 3 सीटों पर सिमट गया। बीजेपी ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन वोट प्रतिशत 6.6 प्रतिशत रहा, जो 2017 के विधानसभा चुनावों में मिले 5.4 प्रतिशत वोट से कुछ ही ज्यादा था।
अकाली दल को भी सिर्फ 18.38 प्रतिशत वोट मिले, जोकि 2017 की तुलना में 7 प्रतिशत कम थे। अकाली दल के बडे़ नेता और बादल परिवार के मेंबर्स के साथ-साथ करीबी सहयोगी भी चुनाव हार गए। पार्टी के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। यही वजह है कि कांग्रेस,अकाली और बीजेपी को जीरो करार दे रही है।
अकाली दल भी चाहता है गठबंधन?
पंजाब की राजनीति में अकाली और बीजेपी को एक-दूसरे की जरूरत है। अकाली दल ने भी बीजेपी से गठबंधन के संकेत दिए हैं। बीते लोकसभा चुनावों में भी दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर बात हुई थी। हालांकि, कुछ कारणों से दोनों के बीच गठबंधन नहीं हुआ और बीजेपी तमाम कोशिशों के बावजूद एक सीट भी नहीं जीत पाई। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी अपने गढ़ अमृतसर में ही चुनाव हार गई। रवनीत सिंह बिट्टू जैसे पुराने कांग्रेसी भी चुनावी मैदान में बीजेपी को सफलता का स्वाद नहीं चखा पाए। अकाली दल से बादल परिवार की मेंबर और सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ही चुनाव जीत पाई। हरसिमरत कौर बादल ने बीजेपी के सामने गठबंधन को लेकर कुछ शर्तें रखी हैं।
- SGPC को कमजोर करने की कोशिश ना करें और हरियाणा SGPC के अलग से चुनाव ना हों।
- पंजाब के पानी के मुद्दों पर बात हो।
- बंदी सिखों को रिहा किया जाए।
- पंजाब के संस्थानों में केंद्र दखल ना दे।
- MSP और किसानों के मुद्दों पर बातचीत शुरू की जाए।
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बीजेपी नहीं चाहती गठबंधन?
कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयान पर टिप्पणी करते हुए सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि पंजाब के सीनियर नेता पंजाब बीजेपी की कमजोरी जानते हैं। उन्होंने कहा, 'बीजेपी अकेले दम पर 2032 में भी चुनाव नहीं जीत पाएगी। अगर अकाली दल के साथ गठबंधन होता है तो बीजेपी के कई नेताओं की दुकानें बंद हो जाएंगी। इसलिए वे बीजेपी-अकाली गठबंधन के विरोध में हैं।'
पंजाब बीजेपी के सीनियर लीडर्स कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रधान पद से इस्तीफा दे चुके सुनील जाखड़ अकाली दल के साथ गठबंधन करने के पक्ष में हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सुनील जाखड़ ने बयान दिया था कि अगर बीजेपी-अकाली दल का गठबंधन होता है तो लोगों की उम्मीदों को पूरा किया जा सकता है। हालांकि, उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी-अकाली दल अलग-अलग चुनाव लड़े।
कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़े पुराने कांग्रेसी नेता हैं। बीजेपी आलाकमान ने उनके गठबंधन के प्रयासों के बावजूद गठबंधन को हरी झंडी नहीं दिखाई। कैप्टन अमरिंदर के बयान पर अब पंजाब बीजेपी के वर्किंग प्रधान ने किनारा कर लिया है और इसे उनकी व्यक्तिगत राय बता दिया है। बीजेपी के वर्किंग प्रधान अश्वनी शर्मा ने कहा कि पार्टी सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे साफ है कि बीजेपी के अंदर ही एक धड़ा ऐसा है जो अकाली दल से गठबंधन नहीं चाहता। हालांकि, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2027 के चुनावों से पहले बीजेपी और अकाली के साथ आने की संभावनाएं हैं।
