आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के अध्यक्ष पशुपति पारस ने सोमवार को बिहार की राजनीति को लेकर विस्फोटक बयान दिया। पारस ने खुद को एनडीए में नजरअंदाज किए जाने और सम्मान नहीं मिलने को लेकर बीजेपी और जेडीयू पर निशाना साधा। पशुपति पारस के बयान के बाद बिहार की सियासत में एक नया मोड़ आ सकता है। 

 

पशुपति पारस का कहना है कि वह साल 2014 से ही एनडीए का हिस्सा रहे थे लेकिन एनडीए गठबंधन के नेताओं ने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के साथ अन्याय किया है। उन्होंने इशारों में विपक्षी 'महागठबंधन' की तरफ जाने के संकेत भी दे दिए हैं। 

 

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'एनडीए ने हमारी पार्टी के साथ अन्याय किया'

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, '2014 से लेकर आज तक मैं एनडीए गठबंधन में था। हमारी पार्टी एनडीए गठबंधन की एक वफादार, ईमानदार सहयोगी थी लेकिन जब लोकसभा चुनाव हुए तो बिना किसी कारण के, क्योंकि हमारी पार्टी दलितों की पार्टी है, एनडीए गठबंधन के लोगों ने हमारी पार्टी के साथ अन्याय किया।' 

 


उन्होंने कहा कि इसके बावजूद आरएलजेपी ने लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए का साथ दिया। उन्होंने कहा, ' 6-8 महीने बाद जब भी बिहार में एनडीए की बैठक हुई तो बीजेपी या जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में हम 5 पांडव हैं, इसमें हमारी पार्टी का नाम कहीं नहीं लिया गया और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के साथ उन्हीं लोगों ने अन्याय किया।'

 

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बिहार में 243 सीटों के लिए तैयारी कर रही आरएलजेपी

 

पारस ने आगे कहा, 'हम बिहार में सभी 243 सीटों के लिए तैयार हैं। अगर महागठबंधन के लोग हमें सही समय पर उचित सम्मान देते हैं तो हम भविष्य की राजनीति पर विचार करेंगे। उस परिवार (लालू परिवार) और उस पार्टी (RJD) से मेरे संबंध शुरुआत से अच्छे रहे हैं। सही समय का इंतजार करें, जब सही समय आएगा, हम सर्वसम्मति से फैसला करेंगे।'

 

लालू प्रसाद से हो चुकी हैं कई मुलाकातें

 

बता दें कि इसी साल की शुरुआत (जनवरी) में पशुपति पारस ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं ने एक ही हफ्ते के अंदर तीन बार मुलाकात की थी। तब से ही माना जा रहा है कि पशुपति पारस की पार्टी महागठबंधन में शामिल हो सकती है। राजद नेता तेजस्वी यादव अपनी ताकत बढ़ाने के लिए बीते महीनों में कई नेताओं से मुलाकातें कर चुके हैं। बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए आरजेडी छोटे-छोटे सहयोगी दलों से गठबंधन करके अपनी ताकत बढ़ा रही है।