दिल्ली नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के पद पर 25 अप्रैल को चुनाव होना है। नामांकन की आखिरी तारीख 21 अप्रैल थी। 2022 से लगातार तीन बार अपना मेयर बना चुकी आम आदमी पार्टी (AAP) ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि वह मेयर चुनाव में अपना प्रत्याशी ही नहीं उतारेगी। भले ही AAP के पास संख्या न हो लेकिन इस तरह से उसका चुनाव ही न लड़ना चौंकाने वाला है। इससे उलट सिर्फ 8 पार्षदों वाली कांग्रेस पार्टी ने मंदीप सिंह को मेयर पद और अरीबा खान को डिप्टी मेयर पद का प्रत्याशी बनाकर चुनाव में उतार दिया है।

 

कांग्रेस के उतरने की वजह से ही अब 25 अप्रैल को वोटिंग होगी, वरना भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राजा इकबाल सिंह और जय प्रकाश यादव मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए निर्विरोध ही चुन लिए जाते। अब कांग्रेस ने इस बारे में पूरी बात रखी है कि जहां हारने की गारंटी है, वहां उसने मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए अपने प्रत्याशी क्यों उतार दिए हैं।

 

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अपना प्रत्याशी न उतारते हुए AAP के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज और पूर्व सीएम आतिशी ने इसकी वजह भी बताई। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'हम लोगों ने एक फैसला किया है कि हम इस बार मेयर के चुनाव में AAP का उम्मीदवार खड़ा नहीं करेंगे। बीजेपी अपना मेयर बना ले। बीजेपी अपनी स्टैंडिंग कमेटी बनाए और दिल्ली को बिना किसी बहाना बनाए, चार इंजन कह लें या इसको तीन इंजन की सरकार कह लें। ये सरकार चलाएं और दिल्ली को दिखाएं।' AAP के इस दावे पर बीजेपी ने तंज कसा कि वह चुनाव लड़कर ही देख ले, फिर हकीकत पता चल जाएगी।

 

इस सब में कांग्रेस के उम्मीदवारों ने खेल पूरी तरह से बदल दिया। कांग्रेस के मंदीप सिंह और अरीबा खान पर्चा दाखिल करने पहुंचे और यह तय कर दिया कि अब मेयर और डिप्टी मेयर निर्विरोध नहीं चुने जाएंगे। रोचक बात है कि पिछले दो बार के मेयर चुनाव में कांग्रेस के पार्षदों ने बॉयकॉट किया था और किसी का समर्थन या विरोध नहीं किया था। कांग्रेस ने जरूरी संख्या न होने के बावजूद क्यों नामांकन भर दिया, यही जानने के लिए खबरगांव ने डिप्टी मेयर पद के लिए पर्चा भरने वाली कांग्रेस नेता अरीबा खान से बात की। आइए जानते हैं कि अरीबा खान ने इसके पीछे की क्या वजह बताई...

 

 

सवाल: जब लगभग 100 पार्षदों वाली AAP मेयर चुनाव में नहीं उतर रही तो 8 पार्षदों वाली कांग्रेस ने आपको क्यों उतार दिया है?

 

जवाब: सब कुछ कुर्सी के लिए नहीं होता, यह नहीं हो सकता न कि आपको कुर्सी नहीं मिल रही तो सब छोड़कर भाग गए। आपको अगर लग रहा था कि आप नहीं बना पाएंगे तो लड़ तो लेते, एक मजबूत विपक्ष की तरह सामने आते, हर चीज मलाई नहीं होती है। मेयर और डिप्टी मेयर की पोस्ट हाउस चलाने के लिए होती है, आपने तो बिल्कुल हाथ-पैर छोड़ ही दिए। दिल्ली ने आपको सत्ता से बाहर किया तो आपने हथियार ही डाल दिए। हमें देखिए, हम 8 लोग हैं लेकिन हम डरकर नहीं भाग रहे हैं। इस स्थिति में भी हम कह रहे हैं कि हम डटकर बीजेपी का मुकाबला करेंगे। कांग्रेस पार्टी की हमेशा से नीति यही रही है कि चाहे दमन के खिलाफ लड़ना हो, संविधान बचाना हो या अलग-अलग कानूनों के खिलाफ लड़ना हो, कांग्रेस हमेशा बीजेपी के सामने खड़ी रही है। इसी के चलते हमने फैसला किया कि हम AAP की तरह डरकर भागने वालों में से नहीं हैं, अब साफ हो रहा है कि बीजेपी की B टीम कौन है।

 

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सवाल: AAP का कहना है कि हम चला नहीं पाते इसलिए बीजेपी ही बना ले। इस पर क्या कहेंगी?


जवाब: स्टैंडिंग कमेटी बनाने से किसने रोका? कोर्ट कौन गया था? एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी बनना मेयर बनाने से भी जरूरी है। इसी के चलते काम रुके हुए हैं। कूड़ा उठाने से जुड़ा 1200 करोड का टेंडर रुका पड़ा हुआ है, इसीलिए दिल्ली का बुरा हाल हो रहा है। जब तक स्टैंडिंग कमेटी का चेयरमैन नहीं बनेगा, 5 करोड़ से ज्यादा के टेंडर नहीं हो सकते। अगर आपको लग रहा था कि बीजेपी ज्यादती कर रही है तो आप हर बात पर कोर्ट क्यों चले जाते हैं? काम करवाना है तो आपको हमेशा अपने बारे में नहीं सोचना होता। आप चाहते तो स्टैंडिंग कमेटी का चेयरमैन बन चुका होता। ये जो भी बातें बता रहे हैं, वह सच नहीं है। असल में इनके पार्षद ही क्रॉस वोटिंग करते हैं और आरोप हम पर लगाते हैं। 

 

सवाल: क्या आपने मेयर चुनाव के लिए AAP से कोई समझौता तो नहीं किया है?


जवाब: नहीं, नहीं, यह हमारा पार्टी का फैसला है। हमारे अध्यक्ष देवेंद्र यादव जी से हमारी लगातार बातचीत हो रही थी तो हमने कल फैसला लिया कि हम चुनाव में उतरेंगे। हमारी लड़ाई बीजेपी से है, हम उसके खिलाफ लड़ते रहेंगे। हर बात हार और जीत की नहीं है, कुछ नैतिक जिम्मेदारी भी होती है। हम विपक्ष में हैं तो हमारा दायित्व है कि हम आवाज उठाते रहें।

 

सवाल: दिल्ली में कांग्रेस आगे कैसे मजबूत होगी?


जवाब: देखिए, इस बार हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है। हम लगातार आवाज उठा रहे हैं, भले ही हमारे पार्षद कम हैं, विधायक नहीं हैं लेकिन हम इन AAP वालों की तरह घर नहीं बैठ जाएंगे, हम लड़ते रहेंगे और आवाज उठाते रहेंगे।

 

MCD का नंबर गेम क्या है?

एमसीडी में कुल 250 पार्षद होते हैं। मौजूदा समय में कुल 238 पार्षद ही हैं और 12 पद खाली हैं। इसमें से घोषित रूप से BJP के पास 117, AAP के पास 113 और कांग्रेस के पास 8 पार्षद हैं। मेयर चुनाव में 14 विधायक, 7 लोकसभा सांसद और 3 राज्यसभा सांसद भी वोट डालते हैं। मौजूदा संख्या के हिसाब से कुल 238 पार्षद, 14 विधायक और 10 सांसद वोट डालेंगे। इस तरह मेयर बनाने के लिए 262 में से 132 वोट की जरूरत होगी। अगर AAP चुनाव में उतरती भी और उसे अपने सभी 113 पार्षदों का वोट मिल भी जाता तो उसका मेयर बनना मुश्किल था। दरअसल, जो 14 विधायक नॉमिनेट हुए हैं, उसमें 11 बीजेपी के और 3 AAP के हैं। तीनों राज्यसभा सांसद AAP के हैं लेकिन स्वाति मालीवाल से AAP के संबंध अब जगजाहिर हैं। 

 

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ऐसे में AAP की कुल संख्या 113+3+2=118 तक ही पहुंच सकती थी। वहीं, 117 पार्षद, 11 विधायक और 7 लोकसभा सांसदों की बदौलत बीजेपी आराम से 135 वोट तक पहुंच जाती और उसका जीतना एकदम आसान है। शायद यही वजह रही कि AAP ने पहले ही ऐलान कर दिया कि वह चुनाव में उम्मीदवार ही नहीं उतारेगी।

 

भले ही दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के साथ एमसीडी में हालात बदल गए हों लेकिन यह स्थिति 2022 में नहीं थी। 2022 में जब एमसीडी के चुनाव हुए थे तब AAP ने 134 और बीजेपी ने 104 सीटें जीती थीं। एमसीडी में दल-बदल कानून लागू नहीं होता इसलिए कई पार्षदों ने कई बार पार्टी बदली है। कमलजीत पार्षद लोकसभा सांसद बन गई हैं और कुल 11 पार्षद अब विधायक बन गए हैं, इसलिए 12 पद खाली भी हैं।