तेजस्वी यादव:-
छोटी-मोटी सहयोगी पार्टियों को जो जितना दाना देगा, उसी में संतुष्ट रहेंगी।
बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने यह बयान, एनडीए गठबंधन के घटक दलों पर बातचीत करते हुए एक प्रेस इंटरव्यू में दिया है। उनके बयान के कई मतलब निकाले जा रहे हैं। जैसे कुछ लोग कह रहे हैं कि वह चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तान आवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की ओर इशारा कर रहे हैं। एक तरफ वह ऐसे बयान दे रहे हैं, दूसरी तरफ मुकेश सहनी जैसे नेता को हमेशा साथ रखते हैं। अगर आप भूल गए हों तो साल 2024 का लोकसभा चुनाव याद कीजिए।
तेजस्वी यादव की एक ऐसी जनसभा नहीं है, जिसमें वह मुकेश सहनी के साथ नजर न आए हों। मुकेश सहनी उनकी जनसभाओं में, उन्हीं के हेलीकॉप्टर में बैठक खूब घूमते हैं। ऐसा करने की कई वजहें हैं। उनमें से सबसे बड़ी वजह है कि मुकेश सहनी, निषाद या मल्लाह समाज से आते हैं। वह खुद को 'सन ऑफ मल्लाह भी कहते हैं।'
मुकेश सहनी सबके लिए VIP क्यों?
निषाद राजनीति करने वाले मुकेश सहनी 'मल्लाह' जाति से आते हैं। बिहार में मल्लाह समुदाय की आबादी 2.60 प्रतिशत है। करीब 15 करोड़ की आबादी में इस जाति की संख्या 3410093 के आसपास है। राज्य सरकार के जातिगत जनगणना वाले आंकड़े बताते हैं कि बिहार की राजनीति में यह आंकड़ा ब्राह्मण, राजपूत और कोइरी समाज से थोड़ा सा कम ही है।
मुकेश सहनी, जातियों के इस गुणा गणित से सहमत नहीं हैं। मुकेश सहनी का कहना है कि मल्लाह में कई उपजातियां भी हैं, जैसे केवट, निषाद, माझी, मछुआरा। इन सबकी कुल आबादी मिला लें तो यह संख्या 4 प्रतिशत पार सकती है। वैसे भी मुकेश सहनी, सभी मल्लाह उपजातियों को एक बैनर तले लाने का दावा करते हैं।
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दावा क्या है?
मुकेश सहनी का दावा है कि बिहार में निषाद पार्टी की 20 उपजातियां हैं। बिन्द, बेलदार, नोनिया, मल्लाह, केवट (कउट), केवर्त, कोल, गोंड, गंगई (गणेश), गंगोता, चार्य, तियर, तुरहा, घिगर, मझवार, मोरियारी, वनपर, गोड़ी (छावी), अमात और घटवार। अगर इन्हें मिला लिया जाए तो इनकी आबादी करीब 9.64 प्रतिशत तक पहुंच रही है। उनका दावा है कि निषाद समुदाय, बिहार की दूसरी सबसे जाति है, इन्हें एक जाति कोड में रख दिया जाए। नोनिया और कुछ दूसरे समुदायों ने मल्लाह में शामिल किए जाने का पुरजोर विरोध भी किया था।

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मुकेश सहनी: एक नजर उनकी जिंदगी पर
निषाद समाज के नेता हैं। खुद को सन ऑफ मल्लाह बुलाते हैं। वह बिहार के सुपौल के रहने वाले हैं। 8वीं तक पढ़े मुकेश सहनी, मुंबई में एक सेट डिजाइनर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। उनकी कंपनी का नाम 'मुकेश सिने वर्ल्ड' है। वह देवदास और बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों के सेट बना चुके हैं।
साल 2010 में उन्होंने सहनी समाज कल्याण संस्था की नींव रखी। 2015 में इसका दायरा बढ़ा और निषाद विकास संघ की शुरुआत की। 2018 में विकासशील इंसान पार्टी बनाई। शुरुआती दोस्ती महागठबंधन से रही, दोस्ती टूटी तो एनडीए सरकार में 2020 तक मंत्री बन गए।
बिहार की सियासत में क्या है जातियों का गुणा-गणित?
- यादव- 14.26
- कुशवाहा- 4.2 प्रतिशत
- भूमिहार- 2.86 प्रतिशत
- ब्राह्मण- 3.65 प्रतिशत
- राजपूत-3.45 प्रतिशत
- कुर्मी- 2.87 प्रतिशत
- तेली- 2.81 प्रतिशत
- मुसहर-3.08 प्रतिशत
बिहार में मल्लाह समाज को अति पिछड़े वर्ग (EBC) में रखा गया है।
मुकेश सहनी:-
विकासशील इंसान पार्टी एक बेहतर बिहार बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसा बिहार जो अपराध मुक्त हो, जहां सभी को रोटी, कपड़ा और मकान मिले।
विकासशील इंसान पार्ट का एजेंडा क्या है?
- सामाजिक सद्भाव
एजेंडा: समाज के सर्वांगीण विकास के लिए समाज में सद्भाव, सौहार्द का होना जरूरी है - समान अधिकार
एजेंडा: पूरब से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक एक भारत - शांति और सुरक्षा
एजेंडा: समाज में रहने वाला हर नागरिक शांतिपूर्ण, सुरक्षित माहौल - सामाजिक न्याय
एजेंडा: सांस्कृतिक और धार्मिक पूर्वाग्रहों के आधार पर भेदभाव न हो

लोकसभा में चुनावी सफलता से अभी दूर हैं मुकेश सहनी
- 2019 लोकसभा चुनाव: मधुबनी, मुजफ्फरपुर और खगड़िया में उम्मीदवार उतारे। कुल मिलाकर 7 लाख वोट पड़े। 2 से 3 प्रतिशत के आसपास वोट पड़े। नतीजा शून्य रहा।
- 2024 लोकसभा चुनाव: 3 सीटें मिलीं। मोतिहारी, गोपालगंज और झंझारपुर। करीब 2 से 3 प्रतिशत फिर वोट पड़े। नतीजा शून्य रहा।
क्यों सबके लिए VIP क्यों हैं मुकेश सहनी?
विकासशील इंसान पार्टी की नींव, 4 नवंबर 2018 को पटना के गांधी मैदान में पड़ी। मुकेश सहनी इस पार्टी के अध्यक्ष हैं। उन्होंने निषाद पार्टी की सारी उपजातियों को जोड़ने का ऐलान किया। मुकेश सहनी दावा करते हैं कि उनका वोट बैंक 14 प्रतिशत है। अगर ये आंकड़े सच हैं तो बिहार में यादव के बाद संख्या बल में सबसे मजबूत वोट बैंक, मल्लाह ही है।
एक चुनाव और बिहार की राजनीति में स्थापित हो गए मुकेश सहनी
मुकेश सहनी, चतुर राजनेता हैं। साल 2018 में उन्होंने VIP नींव क्या रखी, हर राजनीतिक पार्टी ने उन्हें अपने खेमे में करने की कोशिश की। ऐसा तब हुआ, जब वह किसी वंशवादी पार्टी से नहीं आए थे, बिहार की राजनीति में नए प्रयोग थे। उन्होंने VIP को निषाद और मल्लाह समुदाय के हितों पर केंद्रित कर दिया। पार्टी की स्थापना के महज 2 साल बाद बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। उन्होंने चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ दोस्ती की लेकिन सीट बंटवारे पर असहमति हो गई।
मुकेश सहनी, पहली बार में ही गठबंधन पर दबाव बनाया कि VIP को कम से कम 20 से 25 सीटें दी जाएं। उन्होंने जीतने पर अपने लिए डिप्टी सीएम का पद भी मांग लिया। हुआ इसके ठीक उलट। सीट बंटवारे में आरजेडी ने अपने पास 144 सीटें रखीं। कांग्रेस ने 70 सीटें लीं और वाम दलों को संयुक्त रूप से 29 सीटें मिलीं। VIP को मिली कम सीटों पर मुकेश सहनी भड़क गए। उन्होंने महागठबंधन से किनारा किया और एनडीए का हाथ थाम लिया।
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नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन ने उनकी पार्टी को 11 सीटें दीं, जिनमें से VIP ने चार सीटें जीतीं। दिलचस्प बात यह है कि वह सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा से चुनाव में उतरे थे लेकिन अपनी ही सीट नहीं जीत पाए। चुनाव में एनडीए गठबंधन की जीत हुई। एनडीए सत्ता में आई। मुकेश सहनी के 4 विधायक थे, निषाद वोट का दबदबा था तो मंत्रिमंडल में जगह मिल गई। उन्हें पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग का मंत्री बनाया गया। सियासी गलियारों में चर्चा चली कि अमित शाह का उन पर हाथ है।
4 सीटें थीं, सब कैसे गंवा बैठे मुकेश सहनी
बिहार में 4 सीटें जीतने के बाद मुकेश सहनी का राजनीतिक प्रभुत्व बढ़ने लगा। यूपी के निषाद वोट पर उनकी नजर थी। 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। बिहार विधानसभा परिषद में भी चुनाव थे। उन्होंने 24 विधान परिषद की सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया। बीजेपी के साथ टकराव बढ़ा। और तो और यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने 53 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिया। 28 मार्च 2022 को नीतीश कुमार सरकार से उनकी विदाई हो गई।
मुकेश सहनी के 4 में से 3 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया। राजू सिंह, मिश्री लाल यादव, स्वर्णा सिंह ने किनारा कर लिया। उन्होंने विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने छाती में खंजर घोंप दिया। साल 2024 में मुकेश सहनी महागठबंधन का रुख किया। प्रदर्शन शून्य रहा, साल 2019 की तरह। मुकेश सहनी ने अपना आदर्श पुरुष कर्पूरी ठाकुर और लालू प्रसाद यादव को बताया है। हर दिन केंद्र पर उन्हीं के सहारे सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने का वादा कर रहे हैं। उन्हें कितनी सीटें मिलेंगी, यह अभी तक तय नहीं हो पाया है।
2025 से उम्मीद क्या हैं?
- अगर जीत गए तो क्या करेंगे?
- निषाद समुदाय को SC आरक्षण
- बिहार को विशेष राज्य का दर्जा
- महिलाओं को 2500 रुपये मासिक सहायता
- बेरोजगारी दूर करने हेतु उद्योग स्थापना
- तेजस्वी यादव को CM, स्वयं उपमुख्यमंत्री
- VIP को 40-50 सीटें जीतना
- 150 सीटों पर प्रभाव डालना
- बीजेपी के खिलाफ जनता को एकजुट करना
- सामाजिक न्याय और निषाद उत्थान
- महागठबंधन की सरकार में मजबूत भूमिका