दिल्ली में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और दिल्ली के सीएम के नामों की चर्चा पर विराम लग चुका है। बीजेपी के विधायक दल में रेखा गुप्ता को दिल्ली से अगले सीएम के रूप में चुना गया है। वह शालीमार बाग से बीजेपी विधायक हैं जहां पर उन्होंने आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी को हराकर जीत दर्ज की।
नतीजों के ऐलान के बाद से ही कई नामों पर सीएम बनाए जाने को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। इसमें रेखा गुप्ता के अलावा कई हैवी वेट नेता जैसे दिल्ली बीजेपी महासचिव आशीष सूद, दिल्ली विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता, सतीश उपाध्याय और जितेंद्र महाजन इत्यादि थे।
लेकिन सवाल है कि आखिर वे कौन से फैक्टर्स थे जिनकी वजह से बीजेपी ने रेखा गुप्ता को सीएम चुना।
यह भी पढ़ेंः नेटवर्थ, राजनीतिक सफर, दिल्ली की अगली CM रेखा गुप्ता के बारे में सबकुछ
महिला फैक्टर
दिल्ली में वैसे तो महिला वोटर्स की संख्या पुरुष वोटर्स से थोड़ा सा कम है लेकिन जहां वोटर टर्नआउट की बात आती है वहां महिलाएं आगे निकल जाती हैं। 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा बढ़चढ़कर वोट किया। जहां पुरुषों का वोटिंग प्रतिशत 60.21 था वहीं महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 60.92 था।
दिल्ली में महिला फैक्टर हमेशा से प्रभावी रहा है। इसीलिए चाहे बीजेपी रही हो या कांग्रेस सभी ने महिला मुख्यमंत्री पर भरोसा जताया है। यहां तक कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी जब सीएम का पद छोडा तो एक महिला आतिशी को ही सीएम बनाया। जाहिर है यह सांकेतिक रूप से महिलाओं को अपनी तरफ खींचने में मददगार साबित होता है।
इसका एक उदाहरण यह भी है कि पिछली आम आदमी सरकार ने चाहे बस में फ्री यात्रा की बात हो या फिर सभी महिलाओं को फ्री में पैसे देने की बात हो, इस तरह की घोषणाएं की थीं। इस चुनाव में भी बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने महिलाओं के लिए विशेष ऐलान किए थे चाहे वह राशन, गैस या फिर अकाउंट में पैसे देने की बात रही हो।
ऐसे में रेखा गुप्ता को सीएम बनाए जाने के पीछे एक उद्देश्य यह हो सकता है कि लंबे समय तक महिलाओं को अपने पक्ष में साधने में मदद मिले.
विवादों से दूर
रेखा गुप्ता आमतौर पर हमेशा विवादों से दूर रही हैं। अगर दिल्ली में बीजेपी के दूसरे कद्दावर नेताओं जैसे रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा की बात करें तो इन्होंने कई विवादित बयान दिए थे।
रमेश बिधूड़ी द्वारा आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली की सीएम आतिशी के लिए दिया बयान काफी विवादित हुआ जिसमें उन्होंने कहा था कि इन्होंने नाम क्यों बदल लिया। इसको आम आदमी पार्टी ने महिला के अपमान से जोड़ने की कोशिश की थी।
इसी तरह से प्रवेश वर्मा ने भी चुनाव प्रचार के दौरान कई विवादित बयान दिए थे। चाहे वह समुदाय विशेष के आर्थिक बॉयकॉट से संबंधित बयान रहा हो या फिर जूते बांटने को लेकर विवाद रहा हो।
इसके विपरीत रेखा गुप्ता बिल्कुल नया चेहरा रही हैं जिनके बारे में संभवतः काफी लोगों को तब तक पता नहीं रहा होगा जब तब सीएम बनाए जाने को लेकर उनका नाम मीडिया में नहीं आने लगा। इसलिए कहीं न कहीं बीजेपी दिल्ली में एक नई तरह की और विवादों से दूर राजनीति करने के बारे में सोच रही होगी।
यह भी पढ़ेंः 'शीशमहल' की होगी जांच, केंद्रीय सतर्कता आयोग ने दिए आदेश
जातिगत फैक्टर
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि रेखा गुप्ता को सीएम बनाए जाने में जातिगत फैक्टर ने भी बड़ी भूमिका निभाई है। दिल्ली में अच्छी खासी संख्या में वैश्य समुदाय के लोग और बिजनेसमैन हैं।
अरविंद केजरीवाल भी समय समय पर इशारे से यह कहते रहे हैं कि वह बनिया हैं। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने एक बार कहा था कि वह बनिया हैं जानते हैं कि पैसे कि व्यवस्था कैसे करनी है।
ऐसे में यह माना जा रहा था कि इससे वैश्य कम्युनिटी के लोगों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश थी। अब बीजेपी रेखा गुप्ता को सीएम बना के एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश कर रही है। महिला के साथ साथ वैश्य या कहें बिजनेसमैन समुदाय को साधने की कोशिश कर रही है ताकि लंबे समय तक विधानसभा में भी जड़े गहरी की जा सकें।
RSS और नए चेहरों को मौका
पिछले कुछ समय से बीजेपी में यह पैटर्न देखा जा रहा है कि नए लगातार नए चेहरों को मौका दिया जा रहा है, खासकर उन चेहरों को आरएसएस से जुडे रहे हों। पहली बार यह तब दिखा जब महाराष्ट्र में अचानक से बीजेपी ने पहली बार देवेंद्र फडणवीस को सीएम बना दिया था। इसी तरह से हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और मौजूदा सीएम नायब सैनी हैं।
इसी तरह से राजस्थान में सीएम भजनलाल, मध्य प्रदेश में मोहन यादव, छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदे साय को भी राज्य में कुछ बड़े नेताओं पर तरजीह देकर सीएम बनाया गया। रेखा गुप्ता भी लंबे समय से आरएसएस से जुड़ी रही हैं और बहुत ज्यादा विवादों में भी नहीं रही हैं। तो माना जा सकता है कि दिल्ली में भी उसी पैटर्न को फॉलो किया गया है।
यह भी पढ़ेंः यमुना का असली सिरदर्द तो दिल्ली के STP हैं! गंदे नालों की हकीकत जानिए