उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 23 दिसंबर 2025 को हुई 52 ब्राह्मण विधायकों और विधान परिषद सदस्यों की बैठक ने सूबे की सियासत को नया मोड़ दे दिया है। कुशीनगर के विधायक पीएन पाठक के लखनऊ आवास पर हुई इस बैठक के बाद यूपी बीजेपी की राजनीति में हलचल है, जबकि समाजवादी पार्टी इसको मौके की तरह देख रही है। इसमें दिलचस्प बात यह है कि इस बैठक में सिर्फ बीजेपी ही नहीं, बल्कि सपा के भी ब्राह्मण विधायकों ने हिस्सा लिया। राज्य में बीजेपी की टॉप लीडरशिप इसे ठाकुर बनाम ब्राह्मण की कवायद की जोड़कर देख रही है। वहीं, सपा इस बैठक को सही ठहराकर योगी सरकार में ब्राह्मण जाति के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है। यह दो वजहें ऐसी हैं, जिसे बीजेपी अपने लिए नुकसान की तरह देख रही है।
इस समय चाहे सत्ताधारी बीजेपी हो या मुख्य विपक्षी पार्टी सपा हो दोनों की ही राजनीति ब्राह्मण जाति के इर्द-गिर्द घूम रही है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा 2027 की शुरुआत में होने हैं। इसको लेकर राज्य के सभी दल सक्रिय हो गए हैं। सभी दल अपने मूल कोर वोटर को साधे रहने के साथ में अन्य दूसरी जातियों के वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या 2027 में उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण सरकार बनने-बिगाड़ने में भूमिका निभाएंगे? आइए जानते हैं...
विधायकों की बैठक और बीजेपी
दरअसल, 52 ब्राह्मण विधायकों की बैठक के बाद यूपी बीजेपी के नए नवेले अध्यक्ष पंकज चौधरी बार-बार सफाई दे रहे हैं। वह कई बार कह चुके हैं कि बीजेपी ऐसी किसी भी बैठक को पार्टी नियमों के खिलाफ मानती है। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि यह बैठक अब दोबारा नहीं होगी और विधायकों ने दोबारा ऐसा किया तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने ऐसी बैठकों को पार्टी के संविधान विरोधी तक बता दिया।
यह भी पढ़ें: निशांत को लॉन्च करने के लिए भूख हड़ताल, कहीं यह भी नीतीश कुमार की चाल तो नहीं?
ऐसे में ब्राह्मण समाज के कई नेता अब मुखर होकर, बीजेपी के इस फरमान की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर राजपूत विधायकों की जातीय बैठक हो सकती है तो फिर ब्राह्मण विधायकों की इस बैठक से क्या दिक्कत है? इस बैठक में ब्राह्मण विधायकों ने अपने समाज की एकजुटता बढ़ाने की बात की। बैठक में पिछले कुछ समय से राजनीति दलों, उनके नेताओं, सरकार में ब्राह्मण समाज को निशाना बनाने का मुद्दा उठाया गया। इसके अलावा पिछले दिनों हुई समाज से संबंधित घटनाओं पर बात हुई। यही नहीं बीजेपी सरकार होने और पार्टी की सफलता के पीछे ब्राह्मणों की बड़ी भूमिका होने के बावजूद पार्टी संगठन से लेकर सरकार तक में उचित प्रतिनिधित्व और सम्मान न मिलने के मुद्दे पर भी चर्चा की गई।
सपा का ब्राह्मण समाज को ऑफर
वहीं, इस बीच सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने मौके का लाभ उठाते हुए बीजेपी विधायकों को अपनी पार्टी में आने का ऑफर दे दिया है। शिवपाल यादव ने ऐलान करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी में ब्राह्मण समाज को उचित सम्मान दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी के लोग जातिवाद में बांटते हैं। अगर बीजेपी से नाराज ब्राह्मण विधायक सपा में आ जाएं, पूरा सम्मान मिलेगा। इसके साथ ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी योगी सरकार के ऊपर इस समाज के साथ भेदभाव करने का आरोप लगा चुके हैं।
यूपी की सियासत में ब्राह्मण जाति की अहमियत को समझते हुए अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी लगातार ब्राह्मण नेताओं को आगे कर उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां सौंप रही है। इस कड़ी में सबसे बड़ा नाम माता प्रसाद पांडेय हैं, जो यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। वह विधानसभा में अपनी पार्टी की बात रखते हुए और राज्य के मुद्दों पर बात करते हुए दिखाई देते हैं।
बीजेपी में ओबीसी को ज्यादा महत्व?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ओबीसी वर्ग को ध्यान में रखकर पार्टी की रणनीति बना रहे हैं। चुनावों में टिकट बंटवारे में बीजेपी दिल खोलकर ओबीसी नेताओं को मैदान में उतार रही है और ओबीसी नेता विधानसभाओं से लेकर संसद में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। यूपी में जो ब्राह्मण जाति कभी कांग्रेस का वोटर हुआ करती थी, वह बाद से समय में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ रही लेकिन वर्तमान समय में ब्राह्मण समाज पूरी तरह से बीजेपी के लिए लॉयल है।
यह भी पढ़ें: 100 करोड़ का डोनेशन देंगे IIT कानपुर के पूर्व स्टूडेंट्स, क्या है वजह?
यूपी में ब्राह्मण जाति बीजेपी का वोटर है। पार्टी इस बात को अच्छी तरह से समझती है कि इस वोटर के टूटने से उसे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। बैठक में ब्राह्मण विधायकों ने जिन मुद्दों को उठाया है, उनकी बातें समाज में पहुंच चुकी हैं। ऐसे में बीजेपी नहीं चाहती है कि समाजवादी पार्टी किसी भी तरह से इस जाति को अपने पाले में करे। मगर, सपा लगातार इस वर्ग को सम्मान देने की बात कर रही है।
यूपी में ब्राह्मण जाति की ताकत कितनी?
उत्तर प्रदेश में आबादी के लिहाज से तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यूपी में ब्राह्मणों की आबादी 10 से 12 फीसदी है लेकिन आखिरी जातिगत जनगणना 1931 के हिसाब से देखें तो समाज की वर्तमान एस्टीमेट आबादी 5-6 फीसदी है। ब्राह्मण लगभग 110 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखते हैं। यह सीटें ऐसी हैं, जहां ब्राह्मण मतदाता निर्णायक रूप से प्रभावी माने जाते हैं। इस सीटों पर ब्राह्मण वोट बैंक जीत-हार तय करते हैं। इसका मतलब है कि यह समाज कुल मतदाताओं का छोटा प्रतिशत भले हो लेकिन कई सीटों पर मजबूत मौजूदगी और मतदान पैटर्न जीत के नतीजे पर असर डाल सकते हैं।
राजनीतिक दलों के लिए रणनीतिक महत्व
ब्राह्मण वोटरों ने बीजेपी पर भारी भरोसा किया है, खासकर 2014, 2017, 2019, 2022 और 2024 जैसे चुनावों में। इन चुनावों में ब्राह्मणों का 72% से 82% से ज्यादा वोट बीजेपी को मिला था। इसलिए बीजेपी के लिए ब्राह्मण वोट बैंक रणनीतिक लिहाज से बेहद खास है। यह वोटबैक खासकर तब और खास हो जाता है, जिन जिलों में ब्राह्मणों की संख्या 15 फीसदी से ऊपर है। कुल मिलाकर बीजेपी और सपा ब्राह्मण समाज को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कुश्ती कर रही हैं रही, जिससे साफ हो जाता है कि यह समाज 2027 के चुनाव में सत्ता की धुरी साबित होगा।
