दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग समिति (CWC) की अहम बैठक हो रही है। इस बैठक में पार्टी के बड़े नेता मनरेगा योजना को लेकर मोदी सरकार पर हमला तेज करने की रणनीति बनाने की तैयारी कर रहे हैं। हाल ही में संसद ने विकसित भारत–गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 पास किया है, जिसने यूपीए सरकार की प्रमुख योजना मनरेगा को पूरी तरह बदल दिया है। राष्ट्रपति ने भी इस कानून को मंजूरी दे दी है।

कांग्रेस के लिए मनरेगा उनकी बड़ी उपलब्धि थी, जो गांवों में गरीबों को 100 दिन का गारंटी वाला रोजगार देती थी। अब नए कानून में रोजगार के दिन 125 कर दिए गए हैं, लेकिन फंडिंग का बोझ राज्यों पर ज्यादा डाला गया है। कुछ दूसरे बदलाव भी हैं, जिन्हें कांग्रेस गरीबों के खिलाफ बता रही है। 

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कांग्रेस को VB-G RAM G से दिक्कत क्या है?

कांग्रेस पार्टी का कहना है कि यह योजना को कमजोर करने की कोशिश है और महात्मा गांधी का नाम हटाना भी गलत है। 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुछ सफलता पाई थी, लेकिन हाल के बिहार चुनाव में उनकी 'वोट चोरी' मुहिम फ्लॉप रही है। अब पार्टी रोजगार और गरीबी जैसे आम मुद्दों पर फोकस करना चाहती है। 

क्या अवसर तलाश रही कांग्रेस?

2026 में असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में चुनाव हैं, जहां ग्रामीण वोटर ज्यादा हैं। कांग्रेस को लगता है कि मनरेगा पर हमला करके वह BJP को कमजोर कर सकती है।इसके अलावा, नए कानून से राज्यों पर ज्यादा खर्च आएगा, इसलिए दूसरे विपक्षी दल जैसे टीएमसी भी साथ आ सकते हैं। इससे इंडिया गठबंधन को नई जान मिल सकती है।

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अब आगे की तैयारी क्या है?

कांग्रेस पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि बैठक में देशभर में आंदोलन की योजना बनेगी। पिछले हफ्ते कांग्रेस नेताओं ने कई प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं और सोनिया गांधी ने वीडियो जारी कर सरकार पर हमला किया था। कांग्रेस का कहना है कि अगर दबाव बनाया तो सरकार पीछे हट सकती है।

कांग्रेस को उम्मीद है यह कानून वापस होगा 

कांग्रेस को चुनौती यह है कि वह मुद्दों पर लंबे समय तक दबाव बनाए रखे। कांग्रेस पहले राफेल या जीएसटी पर इसी तरह का दबाव बनाने की कोशिश की थी लेकिन उस मुद्दे को भी जनता ने खारिज कर दिया था। अब कांग्रेस, मनरेगा की नीति पर केंद्र को घेरने की योजना तैयार कर रही है। 

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क्या सरकार फैसला वापस ले सकती है?

बीजेपी सरकार ने कई मौकों पर विपक्ष और जन आंदोलनों के दबाव में फैसले बदले हैं। साल 2021 में प्रचंड बहुमत की सरकार होने के बाद भी केंद्र सरकार ने 3 कृषि कानूनों को वापस लिया था। किसान धरने पर बैठे थे और विपक्ष के दबाव की भी अहम भूमिका रही है। 

किसानों के साल भर चले विशाल आंदोलन और विपक्ष के विरोध के कारण प्रधानमंत्री मोदी ने नवंबर 2021 में इनकी वापसी की घोषणा की। संसद में इन्हें निरस्त किया गया। यह सरकार की बड़ी यू-टर्न कहलाता है। 2021 से पहले भी बीजेपी सरकार ऐसा कर चुकी है। साल 2015 के भूमि अधिग्रण संशोधन अध्यादेशों को भी सरकार ने वापस लिया था। 

सरकार ब्रॉडकास्टिंग बिल, लेटरल एंट्री भर्ती विज्ञापन और बजट में इंडेक्सेशन लाभ जैसे प्रस्तावों को वापस लिया है। अब कांग्रेस को उम्मीद है एक बार फिर अगर दबाव बनाया जाए तो सरकार, मनरेगा की जगह VB-G RAM G वाले फैसले से वापस हट सकती है।