अयोध्या में कम से कम 9 मीट की दुकानें और 13 शराब की दुकानों को हमेशा के लिए बंद किया जाएगा। ये दुकानें 'रामपथ' के रूट पर पड़ रही थीं। अयोध्या म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का तर्क है कि रामपथ भक्ति मार्ग का पथ है, इस पर ऐसी दुकानें नहीं होनी चाहिए। अयोध्या भगवान राम की जन्मस्थली कही जाती है। भक्त यहां 14 कोसी परिक्रमा करते हैं, रामलला के दर्शन करते हैं। हनुमानगढ़ी और कनकभवन जैसे प्राचीन मंदिर भी इसी रूट पर पड़ते हैं।
व्यापारिक संगठनों ने दुकानों को बंद करने के इस फैसले पर कहा है कि उन्हें कोई वैकल्पिक जगह भी दी जाए, जिससे प्रभावित दुकानदारों की रोजी-रोटी न प्रभावित हो। नगर निगम के इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने से पहले व्यापारिक संगठन चाहते हैं कि इसका कोई स्थाई और प्रभावी विकल्प दिया जाए, जिससे रोजगार न प्रभावित होने पाए।
बीड़ी, सिगरेट, शराब और मांस भी बैन
अयोध्या धाम में सिगरेट, बीड़ी, गुटखा और इनरवीयर के विज्ञापनों पर भी रोक लगेगी। मेयर गिरीश पति त्रिपाठी ने कहा, 'राम पथ का अपना सम्मान और पवित्रता है। यहां ऐसी दुकानें ठीक नहीं लगतीं।' अयोध्या के लिए लिया गया यह फैसला सभी सदस्यों के समर्थन से लिया गया। अब यह प्रस्ताव जिला अधिकारी और संबंधित विभाग को भेजा जाएगा, जो इसे लागू करने की दिशा में काम करेंगे।
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व्यापार मंडल की चिंता क्या है?
व्यापार मंडल ने मांग की है कि दुकानदारों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की व्यवस्था पहले की जाए। व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुशील जायसवाल ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में कहा कि मांस और शराब की दुकानों के लिए नई जगह तय हो, जिससे दुकानदारों का नुकसान न हो।
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दुकानदारों के सामने रोजगार का संकट
अयोध्या के कई दुकानदारों ने चिंता जताई है। मांस विक्रेताओं का कहना है कि उनके परिवार का खर्च, उनकी दुकान पर निर्भर है। कुछ को शादियां करनी हैं, कुछ अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं। कई दुकानदार ऐसे हैं, जिनके घर में बीमार लोग रहते हैं, बड़ा परिवार है। अचानक दुकान बंद होने से उनके सामने आजीविका का संकट खड़ा होगा। दुकानदार चाहते हैं कि जल्द से जल्द उनकी आजीविका को लेकर फैसला किया जाए, दुकान लगाने की सही जगह आवंटित की जाए।
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रामपथ के प्रमुख मंदिर कौन-कौन से हैं?
अयोध्या का 13 किमी लंबा राम पथ, सहादतगंज से नया घाट तक, कई प्रमुख मंदिरों को जोड़ता है। इसमें राम जन्मभूमि मंदिर, भगवान राम का जन्मस्थान और हनुमानगढ़ी मंदिर ज्यादा प्रसिद्ध हैं। कनक भवन मंदिर राम-सीता को समर्पित है, वहीं नागेश्वरनाथ मंदिर भगवान शिव से जुड़ा है। इसी राह में सीता की रसोई, छोटी देवकाली मंदिर, तुलसी स्मारक भवन, और त्रेता के ठाकुर का भी मंदिर पड़ता है। राम को करीब 845 करोड़ की लागत से विकसित किया गया है। जगह-जगह रामायण से जुड़ी कलाकृतियां उकेरी गई हैं।