वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर का खजाना 54 साल बाद जब खुला तो हर कोई हैरान रह गया। 160 साल पुराने खजाने को 5 दशकों से खोला ही नहीं गया था। खजाने में एक लोहे और एक लकड़ी का बॉक्स मिला। 4-5 ताले भी मिले। लकड़ी के एक बॉक्स के भीतर कुछ गहनों के खाली डिब्बे मिले हैं। एक पत्र भी मिला, जिसमें 2 फरवरी 1970 की एक तारीख लिखी है। चांदी का एक छत्र भी मिला है।
मंदिर का खजाना खोलने के लिए कई अधिकारी मौके पर थे। उनकी मौजदूगी में ही एक ग्राइंडर से दरवाजा काटा गया। मंदिर के भीतर वह समिति भी गई, जिसमें सिविल जज, सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी सिटी, सीओ वृंदावन, सीओ सदर और मठ के चारों गोस्वामी भी मौजूद रहे।
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मंदिर के गोस्वामियों का कहना है कि खजाने का असली दरवाजा अभी नहीं पता है। ऐसी जनश्रुति है कि दरवाजा फर्श के अंदर है, जिस पर पत्थर रखा हुआ है। वह भी किसी को नहीं मिला है। धूल की वजह से लोगों का वहां टिकना मुश्किल था। अंदर सिर्फ मिट्टी ही मिट्टी है। जो सामान नजर आए हैं, उन्हें नोट कर लिया गया है। अंदर खूब मिट्टी है। समिति खजाने पर एक और बैठक करेगी, जिसके बाद और तलाशी की जाएगी।
क्या-क्या मिला है?
- लकड़ी और लोहे का दो बक्सा
- 3 कलश
- लकड़ी के बॉक्स के अंदर गहनों के खाली डिब्बे
- बंद पड़े ताले
खजाना है कहां?
खजाना वहां है,जहां गर्भगृह है। उसी के पास बने कमरे में रखा है। ऐसे दावे किए जा रहे थे यहां सांप-बिच्छू हो सकते हैं। जब खजाने की तलाशी में टीम अंदर गई तो वहां एक सांप पकड़ने वाली टीम भी थी। बांके बिहारी मंदिर का खजाना, तोशखाने के पास है। यह खजाना, बांके बिहारी के सिंहासन के नीचे है। जब खजाना, आखिरी बार खुला था तो चांदी के शेषनाग, सोने के कलश मिले थे। रूपानंद और मोहन लाल जी के नाम से कुछ संस्मरण भी रखे थे।
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आखिरी बार कब खुला था खजाना?
बांके बिहारी मंदिर का खजाना आखिरी बार साल 1971 में खुला था। खजाने में रखे चढ़ावे के आभूषण और अन्य वस्तुओं को एक बॉक्स में रखकर बैंक लॉकर में रख दिया गया था। कोर्ट ने कमरे को सील करने का आदेश दिया था। मंदिर प्रबंधन और सेवायतों की आपसी सहमति और सुरक्षा वजहों में खींचतान की वजह से इतने अरसे तक खजाना नहीं खुला। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित उच्च प्रबंधन समिति के आदेश और सुरक्षा नियमों के चलते खजाना पिछले 54 साल से बंद था।
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चोरियों के बाद बंद हुआ था खजाने का दरवाजा
मंदिर प्रंबंधन से जुड़े लोग बताते हैं कि साल 1926 और 1936 में दो बार चोरियां हुईं थी। बात में चोरी से बचने के लिए गोस्वामी समाज ने दरवाजा बंद करने के लिए एक छोटा सा मुहाना भी बनाया था। साल 1971 में अदालत ने कहा कि दरवाजे पर ताला लगाकर सील कर दिया जाए। तब से लेकर अब तक खजाना बंद रहा।