नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है। देवीभागवत पुराण सहित विभिन्न हिंदू ग्रंथों में इनके स्वरूप, कथा, पूजा विधि और महत्व का विस्तृत वर्णन मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां चंद्रघंटा की आराधना से भक्तों को साहस, शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। आइए, विस्तार से जानते हैं देवी चंद्रघंटा के बारे में।
मां चंद्रघंटा की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा ने महिषासुर के अत्याचारों से संसार की रक्षा के लिए नौ रूप धारण किए, जिनमें से तीसरा रूप मां चंद्रघंटा का था।
जब महिषासुर और असुरों ने देवताओं पर आक्रमण किया और स्वर्ग पर अधिकार कर लिया, तब सभी देवगण भगवान विष्णु के पास पहुंचे। देवताओं की विनती पर भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा ने अपनी शक्ति से एक दिव्य तेज उत्पन्न किया, जिससे मां दुर्गा प्रकट हुईं।
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इसके बाद, जब भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह निश्चित हुआ, तो शिवजी अपनी बारात लेकर पार्वती जी के घर पहुंचे। शिवजी का रूप अघोरी था- वे गले में सर्प, शरीर पर भस्म और हाथ में त्रिशूल धारण किए हुए थे। भगवान शिव के साथ उनकी बारात में भूत, प्रेत, पिशाच और गण थे, जिनका भयानक रूप देखकर देवी पार्वती की माता भयभीत हो गईं।
यह देखकर, देवी पार्वती ने अपने चंद्रघंटा स्वरूप को प्रकट किया। इस रूप में उनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित था, जिससे उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। देवी के इस रूप को देखकर शिवजी ने अपना रौद्र रूप त्याग दिया और दिव्य स्वरूप में आ गए। इसके बाद, उनका विवाह संपन्न हुआ।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
मां चंद्रघंटा का रूप अत्यंत दिव्य और सौम्य है। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित होता है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। देवी का पूरा शरीर सोने के समान चमकता है और उनके दस हाथ हैं, जिनमें वे शस्त्र धारण करती हैं। माता सिंह पर सवार रहती हैं, जो पराक्रम और निर्भयता का प्रतीक है और उनके तीन नेत्र हैं, जो अतीत, वर्तमान और भविष्य को देखते हैं। जब मां युद्ध में उतरती हैं, तो उनके घंटे की ध्वनि से दानव भयभीत हो जाते हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां चंद्रघंटा की पूजा का संकल्प लें और अपने मन में मां के प्रति श्रद्धा प्रकट करें। मां चंद्रघंटा की पूजा में लाल फूल, चंदन, धूप, दीप, फल व मिठाई, गाय का दूध और कुमकुम व अक्षत को शामिल करें। देवी को सिंदूर, कुमकुम और चंदन अर्पित करें। साथ ही 'ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः' मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां चंद्रघंटा की आरती करें। मां चंद्रघंटा को गाय के दूध से बनी खीर अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं।
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मां चंद्रघंटा के पूजन का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां की पूजा से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग आत्मविश्वास की कमी महसूस करते हैं, उन्हें मां की उपासना करनी चाहिए। इसके साथ साधकों और योगियों के लिए मां की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है। जो लोग दुश्मनों या परेशानियों से घिरे रहते हैं, वे मां चंद्रघंटा की कृपा से सुरक्षित रहते हैं। देवी की उपासना से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।