मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को विल्लुपुरम जिले के मीपाथी गांव में धर्मराज द्रौपदी अम्मन मंदिर में दलितों के प्रवेश पर लगे रोक को हटाते हुए, सार्वजनिक पूजा की अनुमति दे दी है। साथ ही कोर्ट ने पुलिस को यह निर्देश दिया है कि दलितों को मंदिर में रोकने वालों पर सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। बता दें कि द्रौपदी अम्मन मंदिर दक्षिण भारत के कुछ विशेष क्षेत्रों में आस्था और भक्ति का महत्वपूर्ण केंद्र है। इस मंदिर की शखाएं मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में देखने को मिलती हैं, जहां द्रौपदी अम्मन की पूजा एक देवी के रूप में की जाती है।
कौन हैं द्रौपदी अम्मन?
द्रौपदी अम्मन वास्तव में महाभारत कथा की प्रमुख द्रौपदी का दिव्य रूप हैं। धार्मिक और लोक मान्यताओं के अनुसार, द्रौपदी को शक्ति और न्याय की देवी के रूप में पूजा जाता है। महाभारत में उन्हें पांच पांडवों की पत्नी के रूप में दर्शाया गया है लेकिन दक्षिण भारत में उन्हें एक देवी के रूप में पूजने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
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मान्यता है कि द्रौपदी ने कौरवों के अपमान और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया और अपने अपमान का बदला लेने के लिए भगवान कृष्ण का आह्वान किया था। इसी कारण उन्हें शक्ति का रूप माना जाता है। कहा जाता है कि वह अग्नि से उत्पन्न हुई थीं, इसलिए उन्हें अग्नि कन्या भी कहा जाता है।
द्रौपदी अम्मन मंदिर का महत्व
दक्षिण भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थापित द्रौपदी अम्मन मंदिरों में देवी द्रौपदी की पूजा बहुत श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ की जाती है। यह मंदिर विशेष रूप से तमिलनाडु और कर्नाटक में अधिक लोकप्रिय हैं। इन मंदिरों की वास्तुकला भी अद्भुत होती है, जहां देवी की मूर्ति को अत्यंत भव्य रूप में स्थापित किया गया होता है।
यह मंदिर खासतौर पर द्रौपदी से जुड़े त्योहार और महत्वपूर्ण दिनों पर कई धार्मिक आयोजन होते हैं, जिनमें विशेष पूजा, भजन, नृत्य और अनुष्ठान शामिल होते हैं। यहां हर साल विशेष महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
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पुजा और अनुष्ठान
द्रौपदी अम्मन मंदिरों में विशेष रूप से अग्नि पूजा का महत्व है। ऐसा माना जाता है कि द्रौपदी स्वयं अग्नि कन्या थीं, इसलिए यहाँ अग्नि से जुड़े अनुष्ठान किए जाते हैं। इन मंदिरों में एक विशेष परंपरा 'थिम्मिति' का पालन किया जाता है, जिसमें भक्त जलते हुए अंगारों पर नंगे पांव चलते हैं। इसे साहस और भक्ति की परीक्षा माना जाता है। इसके अलावा, मंदिर में भक्त देवी की कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं और विशेष मंत्रों का जाप करते हैं। मंदिर में नारियल, फूल और फल अर्पित करने की परंपरा भी प्रचलित है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।