गणेशोत्सव के समापन का समय आते ही देशभर में गणपति बप्पा के विसर्जन की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो जाती हैं। भक्तों का मानना है कि गणपति बप्पा घर आकर सुख, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं और विसर्जन के साथ अपने लोक लौट जाते हैं। मान्यता के अनुसार, सही विधि-विधान से किया गया विसर्जन ही पूर्ण फलदायी माना जाता है। अगर विसर्जन से पहले पूजन प्रक्रिया सही तरीके से न की जाए, तो पुराणों के अनुसार, भक्तों को विसर्जन का फल नहीं प्राप्त होता है।

 

गणेश पुराण और मुद्गल पुराण में वर्णित है कि मिट्टी से बनी गणपति प्रतिमा का जल में विसर्जन जीवन की अनित्य प्रकृति और सृष्टि के शाश्वत चक्र का प्रतीक है। आज के समय में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए शाडू मिट्टी या इको-फ्रेंडली मूर्तियों का विसर्जन करने की परंपरा भी तेजी से अपनाई जा रही है। गणपति विसर्जन केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आस्था, विदाई और दोबारा स्वागत का संदेश देने वाला पर्व माना जाता है।

 

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गणपति विसर्जन का सही नियम

उत्तरपूजा (विदाई पूजा)

  • विसर्जन से पहले उत्तरपूजा करना जरूरी है, जिससे भगवान को प्रणाम करके उनसे अनुमति ली जाती है।
  • गणपति जी को स्नान कराएं (पुष्प, गंगाजल या शुद्ध जल से)।
  • चंदन, अक्षत, पुष्प, दूर्वा (दूब) अर्पित करें।
  • धूप, दीप, नैवेद्य और नारियल चढ़ाएं।
  • आरती करें और परिवार के सभी सदस्य उन्हें प्रणाम करें।
  • 'गणपति बाप्पा मोरया, अगले साल जल्दी पधारना' कहकर भावपूर्वक विदाई दें।

संकल्प और आभार

  • भगवान को धन्यवाद दें कि उन्होंने घर में आकर कृपा बरसाई।
  • उनसे क्षमा मांगें कि पूजा में कोई भूल-चूक हुई हो तो क्षमा करें।
  • संकल्प लें कि अगली बार और अधिक श्रद्धा से उनका स्वागत करेंगे।

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विसर्जन यात्रा

  • गणपति जी की मूर्ति को सजाकर डोल-नगाड़ों, भजनों या मंत्रोच्चारण के साथ जलाशय (तालाब, नदी, समुद्र) की ओर ले जाएं।
  • यात्रा के समय भी 'गणपति बाप्पा मोरया' का जयघोष करें।

जल में विसर्जन

  • मूर्ति को धीरे-धीरे जल में प्रवाहित करें।
  • विसर्जन से पहले भगवान से निवेदन करें, 'हे गणपति, अब आप अपने लोक पधारें लेकिन हमेशा हमारे जीवन में अपनी कृपा बनाए रखें।'
  • फूल, नारियल, मिठाई आदि भी जल को अर्पित करें।

शास्त्रीय आधार

  • विसर्जन की परंपरा का वर्णन गणेश पुराण, मुद्गल पुराण और शिव पुराण में मिलता है।
  • पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, मिट्टी से बनी मूर्ति वापस जल में मिलकर हमें जीवन की अनित्य प्रकृति और जन्म-मरण के चक्र का स्मरण कराती है।

ध्यान देने योग्य बातें

  • पर्यावरण की रक्षा के लिए मिट्टी की (शुद्ध शाडू मिट्टी) या पर्यावरण-हितैषी मूर्ति का ही विसर्जन करना चाहिए।
  • रासायनिक रंग और पॉप मूर्तियों से बचना चाहिए।
  • आजकल कई जगह आधुनिक तालाब या घर पर बाल्टी/टब में विसर्जन की भी परंपरा अपनाई जा रही है।