हिंदू धर्म में भगवान हनुमान जी की उपासना का विशेष महत्व है। हनुमान जी उपासना में कई चीजों का प्रयोग किया जाता है, जिसमें केसरिया रंग से जुड़ी चीजें भी शामिल है। बता दें कि हनुमान जी को केसरिया (भगवा) रंग अत्यंत प्रिय है और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और आध्यात्मिक कारण बताए गए हैं। बता दें कि केसरिया रंग त्याग, भक्ति, वीरता और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यह रंग हनुमान जी के चरित्र और उनके जीवन के आदर्शों से गहराई से जुड़ा हुआ है।
क्या है पौराणिक महत्व?
हनुमान जी भगवान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। उनका जीवन पूरी तरह से भगवान राम की सेवा और भक्ति के लिए समर्पित था। केसरिया रंग त्याग और भक्ति का प्रतीक है, जो हनुमान जी के आदर्शों को दर्शाता है।
केसरिया रंग ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है। हनुमान जी को 'पराक्रम के देवता' कहा जाता है। जब उन्होंने लंका में सीता माता की खोज की और राम-रावण युद्ध में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया, तब उनका यह रूप केसरिया रंग की शक्ति को दर्शाता है।
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पौराणिक कथा के अनुसार, बचपन में हनुमान जी ने सूर्य को एक फल समझकर निगलने की कोशिश की थी। इस घटना के कारण उन्हें 'सूर्य समान तेजस्वी' कहा गया। सूर्य का रंग भी केसरिया होता है, जो हनुमान जी के तेज और शक्ति से जुड़ा हुआ है।
पौराणिक मान्यता यह भी है कि हनुमान जी ने अपने जीवन में हमेशा भगवा वस्त्र धारण किए। यह उनके वैराग्य, साधना और तपस्वी जीवन को दर्शाता है। भगवा वस्त्र सन्यासियों और तपस्वियों का प्रतीक है, जो सांसारिक मोह-माया से मुक्त होते हैं।
क्या है हनुमान जी पूजा में केसरिया रंग का फायदा?
हनुमान जी की उपासना में केसरिया रंग का प्रयोग करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस रंग का संबंध त्याग से है कारण से भक्तों को बुरी आदतों को त्यागने की और अच्छी आदतों को अपनाने की शक्ति प्राप्त होती है।
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