हिंदू धर्म में रंगों के त्योहार होली को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और होली की बधाई देते हैं। ऐसा ही भारत के विभिन्न मंदिरों में भी किया जाता है। खास बात यह है कि कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां भगवान को गुलाल चढ़ाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है। इसी प्रसाद से कई लोग होली खेलते हैं और कुछ इसे घर पर श्रद्धा भाव से रखते हैं। आइए, जानते हैं भारत के किन प्रमुख मंदिरों में प्रसाद के तौर पर दिया जाता है गुलाल।
पुरी का जगन्नाथ मंदिर (ओडिशा)
ओडिशा में पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत के चार धामों में से एक है और यहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसकी अनूठी परंपराएं हैं, जिनमें से एक गुलाल को प्रसाद के रूप में बांटना भी शामिल है।
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होली के शुभ अवसर पर मंदिर में जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की विशेष पूजा होती है, तो उनकी मूर्तियों को गुलाल से सजाया जाता है। यह विशेष रूप से दोल यात्रा (होली उत्सव) के दौरान, भगवान जगन्नाथ को गुलाल अर्पित किया जाता है, जिसे बाद में भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि भगवान कृष्ण, जिन्हें भगवान जगन्नाथ के रूप में पूजा जाता है, रंगों से खेलना पसंद करते थे। इसलिए, मंदिर में गुलाल को एक पवित्र प्रसाद की तरह माना जाता है और श्रद्धालु इसे अपने माथे पर लगाते हैं।
बांके बिहारी मंदिर (वृंदावन, उत्तर प्रदेश)
वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर विशेष रूप से होली के समय अपनी अद्भुत परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां फाल्गुन महीने में होली के पूरे सप्ताह तक श्रद्धालुओं को गुलाल प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
इस मंदिर में जब होली उत्सव मनाया जाता है, तो भगवान बांके बिहारी को गुलाल और अबीर से सराबोर कर दिया जाता है। यह गुलाल कोई साधारण रंग नहीं होता, बल्कि इसे मंदिर में विशेष मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित किया जाता है। इस गुलाल को भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है, जिसे वे अपने माथे पर लगाते हैं और कुछ लोग इसे अपने घर भी ले जाते हैं ताकि सुख-शांति बनी रहे।
कहते हैं कि इस मंदिर में मिलने वाला गुलाल भक्तों के सारे कष्ट हर लेता है और जीवन में शुभता लाता है। यही कारण है कि यहां आने वाले श्रद्धालु इस प्रसाद को बहुत आदर के साथ ग्रहण करते हैं।
श्याम बाबा मंदिर (खाटू, राजस्थान)
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर भी उन पवित्र स्थलों में शामिल है जहां गुलाल को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। खाटू श्याम, जिन्हें कलियुग के कृष्ण भी कहा जाता है, उनके भक्त उन्हें प्रेम और भक्ति से रंगों से सजाते हैं।
खासकर फाल्गुन के महीने में लगने वाले खाटू श्याम मेले के दौरान, भगवान श्याम की मूर्ति को गुलाल से सजाया जाता है और फिर उस गुलाल को भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
इस गुलाल के बारे में मान्यता है कि यह आशीर्वाद और सौभाग्य का प्रतीक है। भक्त इस गुलाल को अपने घर में रखते हैं या अपने माथे पर लगाते हैं ताकि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे।
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गुलाल प्रसाद की आध्यात्मिक मान्यता
गुलाल को प्रसाद के रूप में देने के पीछे धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। यह केवल रंग नहीं, बल्कि भगवान की कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। गुलाल का लाल और गुलाबी रंग प्रेम, ऊर्जा और भक्ति को दर्शाता है। यही कारण है कि इन मंदिरों में गुलाल को एक पवित्र वस्तु की तरह वितरित किया जाता है।
भक्तों का मानना है कि इस गुलाल को माथे पर लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मन में सकारात्मकता का संचार होता है। यही नहीं, कई लोग इसे अपने घरों में रखकर भगवान का स्मरण करते हैं और जीवन में शुभता की कामना करते हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।