कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और तिब्बती बोन धर्म में अत्यंत पवित्र और दिव्य स्थान माना जाता है। यह पर्वत तिब्बत में स्थित है और इसे सृष्टि का केंद्र कहा गया है। कहा जाता है कि यह पर्वत नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है जिसे लोग ईश्वर का निवास स्थान मानते हैं। इस पर्वत को लेकर अनेक पौराणिक कथाएं और वैज्ञानिक रूप से अब तक अनसुलझे रहस्य जुड़े हुए हैं।
कैलाश पर्वत का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में, कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान कहा गया है। मान्यता है कि भगवान शिव यहां देवी पार्वती के साथ सदा तप में लीन रहते हैं। शिवभक्तों के लिए यह स्थान मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। शिवपुराण, स्कंदपुराण और अन्य पुराणों में इसका कई बार उल्लेख मिलता है।
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बौद्ध धर्म में, इसे मेरु पर्वत कहा गया है और माना जाता है कि यह ब्रह्मांड का केंद्र है। तिब्बती बौद्ध इसे 'कांग रिंपोछे' कहते हैं, जिसका अर्थ है- 'बर्फ का कीमती रत्न'। वहीं जैन धर्म में, कैलाश पर्वत को उस स्थान के रूप में देखा जाता है जहां पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने मोक्ष प्राप्त किया था। इसके साथ बोन धर्म, जो तिब्बत का प्राचीनतम धर्म है, इसे देवताओं का घर मानता है और यहां पूजा की विशेष विधियां अपनाई जाती हैं।
पौराणिक कथाएं
शिव-शक्ति का निवास
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और देवी पार्वती निवास करते हैं। यहीं पर शिव ने तांडव किया था और यहीं पार्वती के साथ उनका विवाह भी हुआ था।
रावण की तपस्या
एक पौराणिक कथा के अनुसार, रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया था ताकि वह भगवान शिव को लंका ले जा सके। हालांकि, भगवान शिव ने अपने पैर के अंगूठे से पर्वत को दबा दिया, जिससे रावण पर्वत के नीचे दब गया और कई वर्षों तक वहीं तप करता रहा। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उसे 'रावणेश्वर' नाम दिया।
अर्जुन और शिव का युद्ध
महाभारत में वर्णन है कि अर्जुन ने कैलाश पर्वत पर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। उन्होंने भगवान से पाशुपतास्त्र प्राप्त किया था। यह भी यहीं हुआ था जब शिव ने एक शिकारी का रूप लेकर अर्जुन की परीक्षा ली थी।
कैलाश पर्वत के रहस्य
अब तक कोई भी व्यक्ति इस पर्वत की चोटी पर नहीं पहुंच पाया है। कई पर्वतारोहियों ने कोशिश की है लेकिन या तो वे रास्ता भटक गए या अजीब घटनाओं का सामना कर वापस लौट आए। कई यात्रियों का कहना है कि कैलाश के पास समय का अनुभव अलग होता है। कुछ लोगों ने महसूस किया कि वहां समय बहुत तेजी से बीत जाता है। बाल सफेद होना और शरीर में थकान जैसी घटनाएं अचानक होती हैं।
दो झीलों का रहस्य

कैलाश पर्वत के पास दो प्रसिद्ध झीलें हैं – मानसरोवर और राक्षसताल। माना जाता है कि मानसरोवर शिव-पार्वती का पवित्र जल है, जबकि राक्षसताल असुरों की ऊर्जा से भरा हुआ है। दोनों झीलें एक-दूसरे के पास होते हुए भी उनके जल का रंग, प्रकृति और कंपन अलग है। एक शांत और पवित्र, दूसरी अशांत और रहस्यमयी।
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चुंबकीय शक्ति का केंद्र
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कैलाश पर्वत में अत्यधिक चुंबकीय ऊर्जा है। यह ऊर्जा इतनी तीव्र होती है कि कम्पास की दिशा भी यहां भ्रमित हो जाती है।
ब्रह्मांड का केंद्र
कुछ विद्वानों और आध्यात्मिक गुरुओं का मानना है कि कैलाश पर्वत ही वास्तव में सृष्टि का केंद्र है। यह पृथ्वी की चारों दिशाओं से लगभग समदूरी पर स्थित है। तिब्बती मान्यताओं में इसे 'विश्व मंडल का केंद्र बिंदु' माना गया है।
कैलाश परिक्रमा
कैलाश की परिक्रमा धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पुण्यकारी मानी जाती है। लोग करीब 52 किलोमीटर लंबा यह मार्ग पैदल तय करते हैं। कहा जाता है कि एक परिक्रमा करने से जीवन के पाप नष्ट होते हैं, 108 परिक्रमा करने से मोक्ष प्राप्त होता है। परिक्रमा मार्ग कठिन होता है, फिर भी श्रद्धालु हर साल हजारों की संख्या में यहां आते हैं।