महाकुंभ को आस्था का महापर्व कहा जाता है। बता दें कि महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्ष में होता है और इसमें 12 अंक का गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। भारतीय परंपरा और ज्योतिष में 12 को विशेष स्थान प्राप्त है। इसका संबंध न केवल खगोलशास्त्र और ग्रह-नक्षत्रों से है, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है।
महाकुंभ में 12 अंक का महत्व
महाकुंभ का आयोजन चार प्रमुख तीर्थ स्थलों- हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक पर होता है। यह आयोजन 12 वर्षों के चक्र में होता है, क्योंकि यह बृहस्पति ग्रह के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश के आधार पर निर्धारित किया जाता है। बृहस्पति को वैदिक ज्योतिष में गुरु या देवगुरु कहा जाता है और इसे धर्म, ज्ञान व आध्यात्मिकता का प्रतीक माना गया है। बृहस्पति का एक चक्र 12 राशियों में घूमने में लगभग 12 वर्ष लेता है और यही कारण है कि महाकुंभ का आयोजन 12 वर्षों में होता है।
इसके अलावा, महाकुंभ को इन चार तीर्थ स्थलों पर 12 बार आयोजित किया जाता है। यह भी 12 अंक के महत्व को दर्शाता है। 12 महीनों का 1 वर्ष और 12 राशियां भारतीय संस्कृति में इस अंक के विशेष महत्व को दर्शाते हैं।
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12 ज्योतिर्लिंग और महाकुंभ
भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार, देश के विभिन्न हिस्सों में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग- सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर और घुश्मेश्वर स्थित हैं. मान्यता है इनकी पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाकुंभ और 12 ज्योतिर्लिंग के बीच संबंध को समझने के लिए हमें ध्यान देना होगा कि महाकुंभ का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति है और यही उद्देश्य 12 ज्योतिर्लिंग की पूजा का भी है।
महाकुंभ भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। जहां देश और विदेश से आए भक्त स्नान करते है और इसे आत्मा की शुद्धि का माध्यम माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि कुंभ के दौरान इन तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो सकता है। इसी प्रकार, 12 ज्योतिर्लिंग की यात्रा और उनकी पूजा से भी व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
कुंभ का संबंध समुद्र मंथन और देवताओं व असुरों के बीच हुए युद्ध से भी जुड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान हुए देवासुर युद्ध 12 सालों तक चला था और युद्ध में 4 स्थानों पर अमृत कलश से पृथ्वी पर 4 स्थानों पर अमृत कि बूंदे गिर गई थीं। 12 अंक से महाकुंभ के संबंध का यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।