सोमवार का दिन भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित है। मान्यता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव का जल से अभिषेक करने से और बेलपत्र अर्पित करने से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते है। भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करना उनके भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
शिव पुराण और अन्य पौराणिक ग्रंथों में बेलपत्र के महत्व को विस्तार से बताया गया है। यह भगवान शिव की पूजा का अभिन्न हिस्सा है। इसे शिवजी को प्रिय मानने के पीछे कई पौराणिक कथाएं और धार्मिक मान्यताएं हैं।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत और विष निकला, तो उसमें से 'हलाहल' नामक विष इतना घातक था कि वह पूरी सृष्टि को नष्ट कर सकता था। इस विष को शांत करने के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। इससे शिव का कंठ नीला हो गया, और वे 'नीलकंठ' कहलाए।
इस विष के प्रभाव को कम करने के लिए देवताओं और ऋषि-मुनियों ने शिवजी पर जल चढ़ाया और बेलपत्र अर्पित किया। ऐसा माना गया कि बेलपत्र की शीतलता ने शिवजी को विष के प्रभाव से राहत दी। तभी से भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
सोमवार को बेलपत्र चढ़ाने का महत्व
सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना गया है। इस दिन भक्त शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाकर उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि सोमवार के दिन बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
आध्यात्मिक रूप से यह भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। वहीं, प्राचीन विज्ञान की दृष्टि से देखें तो बेलपत्र में औषधीय गुण होते हैं, जो शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल और वातावरण को शुद्ध करते हैं।
बेलपत्र चढ़ाने के नियम
- बेलपत्र को स्वच्छ पानी से धोकर चढ़ाना चाहिए।
- पत्ते पर किसी प्रकार का कटाव नहीं होना चाहिए।
- त्रिपत्री (तीन पत्ते जुड़े हुए) को चढ़ाना शुभ माना जाता है। हालांकि, तीन से अधिक पत्ते वाला बेलपत्र मिलना बहुत ही शुभ माना जाता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।