हरियाणा के कुरुक्षेत्र का महाभारत से गहरा संबंध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक कुरुक्षेत्र में ही लड़ा गया था। आज भी महाभारत के कई साक्ष्य कुरुक्षेत्र में पाए जाते हैं। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश कुरुक्षेत्र के रण क्षेत्र में ही दिया था। जब कभी भी महाभारत युद्ध की बात होती है तो कुरुक्षेत्र का जिक्र जरूर आता है। हर साल कुरुक्षेत्र में लाखों लोग इस युद्ध के इतिहास को देखने पहुंचते हैं।
लोगों के मन में एक सवाल यह भी आता है कि महाभारत के लिए कुरुक्षेत्र को ही क्यों चुना गया। इसके पीछे काफी दिलचस्प वजह है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण के एक दूत ने उन्हें दो भाईयों के झगड़े की कहानी सुनाई थी। कहानी के अनुसार, दो भाईयों में पानी की मेड़ बनाने को लेकर झगड़ा हुआ था। इस झगड़े में एक भाई ने दूसरे को मार दिया था और मेड़ की जगह अपने भाई की लाश को रखकर पानी रोक दिया था। इसलिए कृष्ण ने इस जगह को युद्ध के लिए चुना था। कुरुक्षेत्र आज एक हिंदू तीर्थ स्थल के रूप में दुनियाभर में मशहूर है। महाभारत की कई निशानियां आज भी कुरुक्षेत्र में मौजूद हैं।
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ब्रह्म सरोवर
ब्रह्म सरोवर हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित एक पवित्र जलाशय है, जो ब्रह्मा जी और महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। इसे एशिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित जलाशय माना जाता है। इस भव्य जलाशय में हर रोज सैंकड़ों लोग आते हैं। ब्रह्म सरोवर अपने धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक कथाओं के लिए प्रसिद्ध है। इस तीर्थ को ब्रह्मा से भी जोड़ा गया है और माना जाता है कि यह वही सरोवर है जिसके पानी में खुद को बचाने के लिए दुर्योधन छिप गया था। सूर्य ग्रहण के दौरान यहां एक विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। इसके अलावा हर साल गीता जयंती महोत्सव के दौरान यहां कई धार्मिक कार्यक्रम होते हैं।
द्रौपदी कूप
यह कूप ब्रह्म सरोवर के पास ही स्थित है और माना जाता है कि यहीं द्रौपदी ने दुशासन के खून से सने बालों को धोया था। द्रौपदी कूप एक मंदिर कुछ कथाओं के अनुसार, भीम ने द्रौपदी को अभिमन्यु की मृत्यु का बदला लेने की शपथ दिलाने के बाद इसी कूप का निर्माण करवाया था। बताया जाता है कि द्रौपदी रोजाना इसी कुएं के जल से स्नान करती थी।
ज्योतिसर
यह महाभारत से जुड़ा एक प्रमुख स्थल है। माना जाता है कि यहीं भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस स्थान को गीता का जन्मस्थान भी कहा जाता है। इसका नाम ज्योति यानी प्रकाश और सर यानी तालाब को मिलाकर बना है, जिसका अर्थ है ज्ञान का सार। यहां एक प्राचीन बरगद का पेड़ भी है और मान्यता है कि इसी पेड़ के नीचे कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यह बरगद का पेड़ आज भी मौजूद है।
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भीष्म कुंड
यह कुंड हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के नरकटारी गांव में स्थित एक पवित्र जल कुंड है। यह कुंड महाभारत काल से जुड़ा है। यह वही स्थान है जहां भीष्म पितामाह बाणों की शय्या पर लेटे हुए थे और अर्जुन ने उनकी प्यास बुझाने के लिए बाण मारकर पानी निकाला था। यह कुंड तब से भीष्म कुंड के नाम से जाना जाता है और महाभारत के युद्ध की याद दिलाता है।
स्थानेश्वर महादेव मंदिर और पिहौली
पूरा कुरुक्षेत्र ही महाभारत युद्ध का साक्षी रहा है। पांडव और कौरव यहां अलग-अलग जगहों पर गए और आज भी उनके इन जगहों पर जाने के सबूत मौजूद हैं। स्थानेश्वर महादेव मंदिर इन्हीं में से एक है। यह मंदिर कुरुक्षेत्र के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और माना जाता है कि यहीं पर पांडवों ने शिवजी से आशीर्वाद प्राप्त किया था। इसके अलावा पिहौली का संबंध भी महाभारत से है। यह स्थान कुरुक्षेत्र से कुछ दूर हरियाणा के कैथल जिले में है। माना जाता है कि इसी जगह पर महाभारत के 17वें दिन कर्ण के वध किया गया था।
