प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ 2025 को दिव्य भव्य डिजिटल महाकुंभ का नया कंसेप्ट दिया है। महाकुंभ को ग्लोबल बनाने के लिए सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं। सभी व्यवस्थायें, सुविधायें और सुरक्षा को हाइटेक करते हुए डिजिटली अपग्रेड किया गया है। जब डिजिटल महाकुंभ बस चुका हो तो ऐसे में महाकुंभ में शामिल प्रमुख अखाड़ों के साधु- संत और बाबा लोग कैसे पीछे रहते हैं।
अलग-अलग अखाड़ों के बाबाओं ने भी अपने आपको डिजिटली अपग्रेड कर लिया है। अखाड़ों में सिक्योर मैसेज टॉकिंग लिए कुछ चुनिंदा अखाड़ों के टॉप बाबाओं को वॉकी टॉकी पर कमांड देते देखा जा रहा है। शोभा यात्रा से लेकर अखाड़े की पूजा तक में संत इसी तरह से आपस में कम्युनिकेशन कर रहे हैं।
किसी पुलिस थाने की तरह ही इनके शिविर में भी कॉमन कंट्रोल रूम बना हुआ है। जैसे पुलिस अधिकारी वायरलेस पर कमांड और कम्यूनिकेशन करते हैं, ठीक उसी तरह से संत भी बातचीत कर रहे हैं। किसी विशेष परिस्थिति या आपदा में लोगों तक सटीक जानकारी पहुंचाई जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर यह फैसला आयोजित किया गया है।
डिजिटल होने पर क्या बोलते हैं अखाड़ों के संत
पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के सचिव गीता नंद गिरि महराज ने कहा, 'देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाइटेक डिजिटल व्यवस्था से अखाड़ा के साधु संत प्रेरित हैं। अब अखाड़ा की भी अधिकांश व्यवस्थाएं ऑनलाइन और डिजिटली संपादित हो रही हैं। इसी क्रम में हमने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को भी हाईटेक किया है। सरकारी पुलिस प्रशासन की व्यवस्था के साथ ही अखाड़ा की अपनी सुरक्षा व्यवस्था भी है जिसको आप हाईटेक किया गया है इसमें वॉकी टॉकी काफी मददगार है।'
फिलहाल अभी शुरुआत में इस अखाड़े में 10 वॉकी टॉकी अखाड़ा में सक्रिय है जिनके लिए कंट्रोल रूम भी बनाया गया है। बड़े अखाड़ों, महामंडलेश्वर और शंकराचार्य के शिविर पंडालों में भी वॉकी टॉकी का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है।
कैसे ऑनलाइन मोड में हो गए हैं शिफ्ट?
13 प्रमुख अखाड़ों ने अपनी सुविधाएं डिजिटल कर ली हैं। शंकराचार्य के शिविरों में भी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। आय-व्यय का हिसाब भी डिजिटल रखा जा रहा है। डिजिटल महाकुंभ का कॉन्सेप्ट संतों को काफी सुविधा जनक लग रहा है। कुछ एक्सपर्ट भी संतों की मदद कर रहे हैं।
AI का भी हो रहा है खूब इस्तेमाल
AI भी इस कुंभ में सुर्खियों में है। AI चैटबॉट को भी विकसित किया जा रहा है। मेला क्षेत्र में अलग-अलग बैंकों की ओर से सेक्टर वाइज AI चैटबॉट डेवेलप किए गए हैं। यहां जाकर आप सबकुछ पूछ सकते हैं। मेला क्षेत्र में अलग-अलग बैंकों की ओर से सेक्टर वाइज डिजिटल और केस लेनदेन के लिए एटीएम और बैंक शाखाएं भी खोली है।
वॉकी टॉकी ही क्यों?
वॉकी टॉकी पर इन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन होता है। एक छोटा सा पोर्टेबल जैसे रेडियो टूल की चर्चा हर तरफ है। संत इसका इस्तेमाल खूब कर रहे हैं। वैसे तो अब वॉकी टॉकी का इस्तेमाल पुराना हो गया है लेकिन मेला क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या है। मोबाइल से संपर्क हो नहीं पाता है तो लोग वॉकी टॉकी का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ संतों के हाथ में वॉकी टॉकी नजर आ रहा है तो श्रद्धालुओं ने इसका नाम ही वॉकी टॉकी रख दिया है।