हिंदू धर्म में कुंभ मेला का अपना एक विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ मेले में भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती है और उनके सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। बता दें कि कुंभ मेले में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत और महात्मा इस महा समागम में हिस्सा बनने आते हैं। बता दें कि 13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन शुरू होने जा रहा है। इस कुंभ में पवित्र स्नान के साथ-साथ कई अखाड़ों का नगर प्रवेश और शाही स्नान दर्शनीय होता है। 

 

परंपरागत रूप से महा कुंभ मेले में पहला नगर प्रवेश और शाही स्नान का अधिकार अखाड़ों को दिया गया है। यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जिसमें विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत, विशेष रूप से नागा साधु संगम में शाही स्नान करते हैं। इसके साथ महाकुंभ में पहला नगर प्रवेश और शाही स्नान करने का विशेष अधिकार शैव संप्रदाय के अंतर्निहित जूना अखाड़े को प्राप्त है। आइए जानते हैं इस अखाड़े का इतिहास।

क्या है जूना अखाड़े का इतिहास?

शैव संप्रदाय के 7 अखाड़ों में जूना अखाड़ा सबसे प्राचीन और सबसे बड़ा अखाड़ा है, जिसमें लगभग 5 लाख नागा साधु और महामंडलेश्वर शामिल हैं। इनमें अधिकांश नागा साधु हैं। जूना अखाड़े की स्थापना का श्रेय आदि शंकराचार्य को दिया जाता है। 8वीं शताब्दी में, आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म को पुनर्जीवित करने के लिए अखाड़ों की स्थापना की। जूना अखाड़ा उन्हीं चार प्रमुख अखाड़ों में से एक है। इसीलिए इसे ‘आदि अखाड़ा’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह सबसे पुराना और बड़ा अखाड़ा है। 

 

जूना अखाड़ा मुख्य रूप से दशनामी संप्रदाय का हिस्सा है, जिसे शंकराचार्य ने व्यवस्थित किया था। यह अखाड़ा विशेष रूप से शैव संप्रदाय से संबंधित है और भगवान शिव के भक्तों का केंद्र है। जूना अखाड़े के संत ‘नागा साधु’ कहलाते हैं, जो अपने तप, कठिन साधना, और निःस्वार्थ जीवन के लिए प्रसिद्ध हैं। हालांकि, इस अखाड़े का मूल उद्देश्य सनातन धर्म की रक्षा करना और धर्म को विदेशी आक्रमणों व अन्य चुनौतियों से बचाना था। उस समय साधु-संतों ने केवल साधना और ज्ञान का प्रचार ही नहीं किया, बल्कि हथियारों का भी अभ्यास किया, ताकि धर्म और समाज की रक्षा के लिए आवश्यकता पड़ने पर युद्ध में हिस्सा लिया जा सके। इसलिए महकुंभ में नगर प्रवेश में निकलते हुए जुलुस ने साधु तलवार का प्रदर्शन करते हैं।

जूना अखाड़ा को पहला शाही स्नान का अधिकार

जूना अखाड़े को कुंभ मेले में सबसे पहले नगर प्रवेश और शाही स्नान का अधिकार प्राप्त है। यह इसकी प्राचीनता और धर्म में इसके योगदान को दर्शाता है। कुंभ मेले में, जूना अखाड़ा सबसे पहले संगम या पवित्र नदी में स्नान करता है। बता दें कि इस अखाड़े के इष्टदेव भगवान शिव और गुरु दत्तात्रेय भगवान हैं। वर्तमान समय में इस अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज, जिन्हें इस अखाड़े का सबसे ऊंचा पद प्राप्त है।