भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित महाशिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है। हर साल यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इस विशेष दिन पर भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है और मंत्रोच्चारण के साथ उनका अभिषेक किया जाता है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि व्रत की तिथि और इससे जुड़ी मान्यताएं।

महाशिवरात्रि 2025 तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी सुबह 11:08 बजे शुरू होगी और 27 फरवरी सुबह 8:55 बजे समाप्त होगी। ऐसे में महाशिवरात्रि व्रत का पालन 26 फरवरी 2025, बुधवार के दिन किया जाएगा। इस विशेष दिन पर निशीथा काल पूजा मुहूर्त रात्रि 12:10 से 12:55 के बीच रहेगा। बता दें कि इस दिन भगवान शिव की उपासना प्रहर में की जाती है। प्रथम प्रहर पूजा मुहूर्त शाम 6:19 से शुरू होकर 27 फरवरी सुबह 6:50 बजे तक रहेगा।

 

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महाशिवरात्रि व्रत से जुड़ी मान्यताएं

धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में बताया गया है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है, जिसमें पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का उपयोग किया जाता है। कहा जाता है कि अभिषेक के बाद इस पंचामृत को ग्रहण करने से व्यक्ति को पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही, इस दिन पूजा-पाठ करने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

महाशिवरात्रि व्रत विधि

महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है और भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद पूरे दिन फलाहार ग्रहण किया जाता है। कुछ लोग इस दिन निर्जल उपवास भी रखते हैं। निशीथा काल में भगवान शिव का अभिषेक विधि-विधान से किया जाता है। इस दौरान महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया जाता है।

 

इस दिन भगवान शिव की उपासना चार प्रहर में पूरी की जाती है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण निशीथा मुहूर्त होता है। इसी मुहूर्त में भगवान शिव की मुख्य पूजा की जाती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।