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क्या है पंचसागर मंदिर का इतिहास, जहां गिरे थे देवी सती के दांत

51 शक्तिपीठों में से एक पंचसागर शक्तिपीठ का अपना एक विशेष महत्व है, जहां देवी सती के दांत गिरे थे। आइए जानते हैं, क्या है इस स्थान से जुड़ी मान्यताएं।

AI Image Bhagwan Shiv and Sati

सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: AI Image)

भारत के प्राचीन धार्मिक स्थलों में देवी सती के 51 शक्ति पीठों का विशेष महत्व है। ये वह तीर्थ स्थान हैं जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे और इन स्थलों को देवी के शक्तिशाली रूपों के रूप में पूजा जाता है। इन्हीं 51 शक्तिपीठों में से पंचसागर मंदिर भी एक ऐसा ही महत्वपूर्ण शक्ति पीठ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पंचसागर शक्तिपीठ वह स्थान है, जहां देवी सती के दांत गिरे थे। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी पौराणिक कथा और इतिहास भी इसे विशेष बनाते हैं।

कहां है पंचसागर मंदिर?

पंचसागर मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले में स्थित है। यह मंदिर वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के पास ही है, जिस वजह से इस स्थान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। वाराणसी को प्राचीन काल से ही आध्यात्मिक और धर्म नगरी के रूप में जाना जाता है और पंचसागर मंदिर इस नगरी की धार्मिक परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है। यह मंदिर वाराणसी के पंचकोसी यात्रा मार्ग का एक महत्वपूर्ण स्थल है।

 

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पंचसागर मंदिर की पौराणिक कथा

किंवदंतियों के अनुसार, देवताओं के राजा दक्ष प्रजापति ने अपने महल में भव्य यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया। हालांकि, राजा दक्ष ने अहंकार वश अपने दामाद भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया, क्योंकि वे शिव के तपस्वी जीवन से संतुष्ट नहीं थे। जब दक्ष प्रजापति की पुत्री देवी सती को इस बात का ज्ञान हुआ तो वह बिना बुलाए ही इस यज्ञ में पहुंच गईं। अपने पति के प्रति पिता द्वारा किए गए अपमान को  देखकर सती अत्यंत आहत हुईं। इस अपमान को सहन न कर पाने के कारण सती ने यज्ञ कुण्ड में आत्मदाह कर दिया।

 

जब भगवान शिव को इस घटना का पता चला तो वे अत्यंत क्रोधित हो उठे। उन्होंने अपने गण वीरभद्र को यज्ञ स्थल पर भेजा, जिन्होंने यज्ञ का विध्वंस कर दिया और दक्ष का सिर काट दिया। इसके बाद, भगवान शिव ने सती के जले हुए शरीर को अपने कंधे पर उठाया और पूरे ब्रह्मांड में घूमने लगे। इससे सृष्टि के संचालन में कई समस्याएं आने लगी। तब देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे शिव के इस दुख को शांत करें। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए। जहां-जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे, वहां- वहां शक्ति पीठों की स्थापना हुए। मान्यता है कि पंचसागर वह स्थान है जहां देवी सती के दांत गिरे थे।

पंचसागर मंदिर की वास्तुकला

पंचसागर मंदिर का निर्माण प्राचीन शैली में किया गया है। यह मंदिर अन्य मंदिरों की भांति अधिक बड़ा नहीं है लेकिन यहां का धार्मिक महत्व इसे और भी खास बनाता है। मंदिर के गर्भगृह में देवी सती के प्रतीकात्मक दांत रूप की पूजा की जाती है। विशेष रूप से नवरात्रि, चैत्र नवरात्र, और शारदीय नवरात्र के समय यहां श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है। इस दौरान मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है और हवन-पूजन का आयोजन होता है।

 

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पंचसागर मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में देवी सती की उपासना करने से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यहां पूजा करने से विद्या और शक्ति में भी वृद्धि होती है। इसके साथ भक्तों का यह भी विश्वास है कि जो दंपत्ति संतान सुख की कामना करते हैं, उन्हें यहां पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। एक मान्यता यह भी है कि देवी के इस शक्तिपीठ में साधना व पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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