देश-विदेश में भगवान शिव को समर्पित कई प्राचीन और पौराणिक मंदिर है, जिनसे लाखों शिव तत्वों की आस्था जुड़ी हुई है। भारत सहित पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका जैसी पड़ोसी देशों में भी भगवान शिव को समर्पित कई प्राचीन मंदिर है। ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है, जिसे कटासराज मंदिर के नाम से जाना जाता है।
कटासराज मंदिर मंदिर न केवल हिंदू आस्था का केंद्र है, बल्कि इसके साथ जुड़ी हुई कहानियां और रहस्य भी लोगों को आकर्षित करते हैं। खास तौर पर यहां मौजूद कुंड (तालाब) का रहस्य आज भी श्रद्धालुओं और इतिहासकारों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
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धार्मिक मान्यता और इतिहास
कटासराज मंदिर का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि इस स्थान का संबंध महाभारत काल से है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय यहां बिताया था। यह मंदिर परिसर कई छोटे-बड़े मंदिरों का समूह है, जिसमें भगवान शिव का मुख्य मंदिर सबसे प्रमुख है।
कुंड का अद्भुत रहस्य
कटासराज मंदिर के परिसर में एक पवित्र कुंड स्थित है, जिसे ‘शिव कुंड’ कहा जाता है। इस कुंड को लेकर एक लोकप्रिय कथा जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि जब देवी सती का निधन हुआ, तो भगवान शिव अत्यंत दुखी हुए और उनके आंसुओं से यह कुंड बना। इसलिए इसे 'शिव के आंसुओं से बना कुंड' भी कहा जाता है।
इस कुंड का पानी कभी सूखता नहीं, और इसकी जलधारा आज तक रहस्य बनी हुई है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि यह किसी भूमिगत स्रोत से जुड़ा हो सकता है, लेकिन इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला है।
वास्तुकला और महत्व
कटासराज मंदिर की बनावट हिंदू मंदिरों की पारंपरिक शैली में की गई है। पत्थरों पर की गई नक्काशी और मंदिर की ऊंचाई इस बात का प्रमाण हैं कि यह एक समृद्ध और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थल रहा है। यह मंदिर भारत के कई पुराने मंदिरों की याद दिलाता है।
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आज की स्थिति
हालांकि यह मंदिर पाकिस्तान में है, लेकिन भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। पाकिस्तान सरकार द्वारा समय-समय पर इस मंदिर की मरम्मत और देखभाल की जाती है, खासकर महाशिवरात्रि जैसे पर्वों के दौरान। भारतीय तीर्थयात्रियों को विशेष अनुमति के तहत इस स्थल पर जाने की अनुमति मिलती है।
धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक
कटासराज मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारत-पाकिस्तान की साझा सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक भी है। यह हमें याद दिलाता है कि आस्था की जड़ें सीमाओं से परे होती हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।